शशिरंजन सिंह
केदारनाथ त्रासदी जून 2013 शायद लोगों की याददाश्त से उतर जाए, लेकिन है सिर्फ 10 साल पुरानी बात ।
उस त्रासदी में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने PM Relief Fund में जमकर पूरे देश से दान मांगा और देशवासियों ने बढ़-चढ़ कर दान दिया भी था, लेकिन 8000 करोड़ रु मिले दान का शायद ही 10% भी खर्च किया गया हो । उसमें भी विवाद ये था कि उत्तराखंड सरकार ने केंद्र का विरोध करते हुए कहा था कि केंद्र से उसे मात्र 5700 रु करोड़ ही मिले, बाकी का केंद्र और राज्य के बीच गोलमाल का पता भी नहीं चला ।
खैर 2015 में जब आपदा की CAG रिपोर्ट आयी तो केंद्र और राज्य दोनों में ही भाजपा की सरकार थी ।
रिपोर्ट में आपको जानकर ताज्जुब होगा कि ऑडिट में आधा लीटर दूध की कीमत 195 रुपये बताई गई थी ।
एक टाइम का खाना जो लोगों को उस आपदा में दिया गया, उसकी कीमत 900 रु. थी ।
साधारण होटल के कमरों का एक दिन का भाड़ा 6-7 हज़ार रुपये था।
बहुत से ट्रक का नम्बर स्कूटरों का निकला और उस पर गई राहत सामग्री भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई ।
जो सबसे बड़ी तकलीफदेह बात रही, जिससे कोई भी इंसान आग बबूला हो जाएगा, वो ये कि लाश को केदार नाथ से देहरादून तक लाने का जिस एकमात्र कम्पनी Blue Breeze Trading Pvt Ltd. को ठेका दिया गया, वो दिल्ली की कम्पनी थी ।
और उस कम्पनी ने 1 लाश को ढोने का किराया 1 लाख और ज़िंदा आदमी को देहरादून पहुचाने का भाड़ा 2 लाख लिया और उस कम्पनी के 2 डायरेक्टर थे, एक रोबर्ट वाड्रा, दूसरी उनकी माँ मौरीन वाड्रा ।
ऐसी बदनीयत रखने वालों को तकलीफ ये है कि PM Relief Fund को लूटने का मौका इनके हाथ से निकल गया और इनको तक़लीफ़ इस बात की है कि जो पैसा इनके ऐशों आराम में खर्च होना था, उसका उपयोग 80 करोड़ की आबादी को 8 महीने राशन देने में कैसे हुआ, 20 करोड़ महिलाओं को 500 रु महीना 3 महीने तक देने में क्यों हुआ ।
GST से कोरोना में 3-4 लाख करोड़ का सरकार को नुकसान होने के बावजूद सरकार कैसे ऐसे काम कर रही है । तकलीफ इनको इस बात की है कि देश में PM Relief Fund से 47000 वेंटिलेटर से 1.5 लाख वेंटिलेटर कैसे हो गए ।
ये अधर्मी लाशों पर व्यवसाय करते हैं । ये उस मोदी से तुलना कर रहे हैं, जिसने अपने एक साल में मिले सभी उपहारों की नीलामी से 103 करोड़ रु बचा कर शैक्षिक संस्थाओं को दान दे दिया । जिसने अपनी तनख्वाह का 21 लाख कुम्भ मेले के कर्मचारियों को दे दिया, जो अपनी किचन का खर्चा अपनी जेब से करता है, उसको ये चोर कहते हैं ।
चुल्लू भर पानी भी कम है इनके लिए...
कुछ ताकतें सच दबाने में लगी हुई हैं, इसलिए कृपया रिपोस्ट अवश्य करें !
wattsaap से
Shanu Gupta (Sonu)
वक्त दिखाई नहीं देता हैं पर,
बहुत कुछ दिखा देता है,
"अपनापन" तो हर कोई दिखाता है,
"पर" अपना कौन है यह वक्त दिखाता हैं!!
राधे राधे❤
शिव पाण्डेय
*किसी ने भेजा है कहा था शेयर कर देना।*
*
अजय राज़ मोदी
(owner)
‘जाइए कश्मीर आपको दिया’ \ud83d\ude01
1991 में प्रधानमंत्री बनते ही उसी दिन चंद्रशेखर राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के मालदीव की राजधानी माले चले गए। वहां पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी आए हुए थे। पहले नवाज शरीफ का भाषण हुआ फिर भारत के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का। चंद्रशेखर भाषण समाप्त करके जैसे ही मंच से नीचे उतरे वहां नवाज शरीफ उनकी तरफ ही आ रहे थे। चंद्रशेखर हर एक से अनौपचारिक व्यवहार करते थे। नवाज शरीफ जैसे ही पास पहुंचे, चंद्रशेखर ने उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा, आप बहुत बदमाशी करते हैं। इस पर नवाज शरीफ बोले, आप बदमाशी का कारण दूर कर दीजिए। खड़े-खड़े चंद्रशेखर ने पूछा, क्या कारण है मैं दूर कर देता हूं। नवाज शरीफ ने कहा, कश्मीर हमें दे दीजिए बदमाशी दूर हो जाएगी।
चंद्रशेखर ने क्षण भर नवाज को देखा और बोले, जाओ कश्मीर आपको दिया। नवाज शरीफ के चेहरे पर खुशी और सब कुछ पा लेने का भाव चमकने लगा। उन्हें लगा कि उन्होंने इतिहास को जीत लिया है। वह बोले, तो आइए बात कर लेते हैं। चंद्रशेखर और नवाज शरीफ एक छोटे से कमरे में चले गए। नवाज शरीफ ने पूछा, कैसे आगे बढ़ना है। तो चंद्रशेखर बोले, आपको एक छोटी सी घोषणा करनी है। नवाज़ शरीफ ने कहा, बताइए मैं अभी करता हूं। चंद्रशेखर ने कहा, कश्मीर के साथ आपको भारत के पंद्रह करोड़ मुसलमानों को भी लेना होगा।
नवाज शरीफ चौंक गए और बोले, इसका क्या मतलब। तब चंद्रशेखर ने उन्हें समझाया, भारत में 15 करोड़ मुसलमान हैं, पूरे देश में फैले हैं और ज्यादातर मुसलमान गांवों में रहते हैं। आप जैसे ही संख्या और धर्म के आधार पर कश्मीर लेंगे वैसे ही पूरे हिंदुस्तान के गांवों से मांग उठने लगेगी कि यहां मुसलमान अल्पसंख्यक हैं इन्हें यहां से निकालो। गांव-गांव में दंगे शुरू हो जाएंगे। मेरे पास इतनी पुलिस और सेना नहीं है कि मैं गांव-गांव उन्हें तैनात कर सकूं। आगे चंद्रशेखर ने कहा, कश्मीर भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदे का क्षेत्र नहीं है। वहां हर चीज बाहर से भेजनी पड़ती है। आर्थिक बोझ बहुत है लेकिन कश्मीर भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता का जीता जागता प्रतीक है। कश्मीर हमारे पास है यह भारत के बाकी मुसलमानों को सुरक्षा की गारंटी तो है ही, विश्व को यह विश्वास भी दिलाता है कि भारत का संवैधानिके ढांचा धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को मानता है और सभी को बराबरी से जीने और आगे बढ़ने की गारंटी देता है।
चंद्रशेखर ने फिर कहा, आप कश्मीर के साथ 15 करोड़ मुसलमानों को लेने को तैयार हैं तो मैं घोषणा कर देता हूं। नवाज शरीफ अवाक रह गए। उन्होंने चंद्रशेखर से मुस्कुराते हुए कहा, क्या मैं आपको भाई साहब कह सकता हूं। चंद्रशेखर भी मुस्कुराए और कहा, क्यों नहीं। तब नवाज़ शरीफ ने हंसते हुए कहा, कश्मीर पर मैं भी चुप हो जाता हूं, आप भी चुप हो जाइए। दूसरी बात नवाज शरीफ ने यह कही, हम लोग हॉटलाइन लगा लेते हैं ताकि हम समस्या पैदा होने पर सीधे बात कर सकें। इसके बाद दोनों प्रधानमंत्रियों के कार्यालयों में हॉटलाइन लग गई।
- पत्रकार व पूर्व सांसद संतोष भारतीय की वॉरियर विक्ट्री पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'वीपी सिंह चंद्रशेखर सोनिया गांधी और मैं' के 34 वें अध्याय 'कश्मीर आपको दिया' से।