शशिरंजन सिंह
मोदी मायने क्या ?
मोदी का मायने समझने के लिए प्रधानमंत्री पद पर आसीन पूर्व व्यक्तियों की फाइल उलटनी होगी
और महानियत के पर्दे बिल्कुल हटाकर वास्तविक तथ्य देखना होगा। इसके बाद तुलनातमक अध्ययन करना होगा।
आज एक अच्छा पोस्ट पढ़ा, जिसमें उल्लेख था कि जब मनमोहन सिंह को इंग्लैंड में डिग्री मिली
उन्होंने शुक्रिया अदा करते हुए अँग्रेजों की गुलामी की सराहना की।
बताया कि शिक्षा, भाषा, ज्ञान-विज्ञान, कानून देकर अँग्रेज ने भारत को कृतार्थ किया।
इस तरह की बातें मैंने अँग्रेज के शुक्रगुजार प्रोफेसरों के मुँह से सुनी है।
अँग्रेजों को भारत का उद्धारकर्ता माननेवाले लोग अकादमिक- शैक्षिक क्षेत्र में मिल जाएँगे।
एक मनमोहन सिंह ही अंग्रेज परस्त नहीं है।
कम्युनिस्टों का कारोबार भी अँग्रेज पर ही आधारित है, जैसे आर्य आगमन थ्यूरी इत्यादि।
मनमोहन सिंह अच्छे गुलाम नहीं होते तो प्रधानमंत्री बनना तो बहुत दूर की बात है, उन्हें कहीं अन्यत्र ठिकाना नहीं मिलता।
मनमोहन सिंह रिफ्युजी पंजाबी और अनुसूचित जाति के व्यक्ति थे, गुलामी की कला उनके व्यक्तित्व में कूट-कूट कर भरी थी।
जब सोनिया खारिज हो गई, मनमोहन डंमी प्रधानमंत्री हुए,
तब उनके एक पाकिस्तानी रिस्तेदार चर्मकार ने जूते का उपहार भेजा था।
यह पाकिस्तानी जूता किसके सिर पर गिरा?
राष्ट्रीय स्वाभिमान हीन उन तमाम लोगों के सिर पर जिन्होंने सोनिया को नेता चुना।
सोनिया ने मनमोहन को किसी अज्ञात के इशारे पर प्रधानमंत्री बनाया।
मनमोहन वर्ड बैंक के कर्मचारी थे, उन्हें वर्ल्ड बैंक ने इंदिरा गांधी का आर्थिक सलाहकार बनाकर तब भेजा था
जब इंदिरा गांधी ने आईएमएफ से कर्ज लेने से इंकार कर दिया। उन्हें मनमोहन की माया में फँसाया गया था।
आप जानते होंगे इन्दरकुमार गुजराल भी प्रधानमंत्री हुए थे। वह भी पाकिस्तान परस्त रिफ्युजी मिजाज के आदमी थे।
ये पाकिस्तान केन्द्रित सोच के लोग हैं इनके दिमाग का देश उन्हीं तक सिमटा हुआ है।
सोनिया, मनमोहन, गुजराल जैसे लोग जब भारत पर राज कर सकते हैं तब शत्रु देश क्यों नहीं सोचेगा कि भारत को गुलाम बनाना बड़ी बात नहीं है।
पाकिस्तान के लिए ही नहीं, चीन के लिए भी भारत की जनता की ऐसी मूर्खताएं उत्साहित करती रहीं।
उन दिनों की पाकिस्तानी और चीनी हरकतों को याद कीजिए और सोचिए सबकुछ होते हुए भी भारत का मान-सम्मान गिरा हुआ क्यों था?
इस पृष्ठभूमि में भारत राष्ट्र के पक्ष में खड़ा होकर देखिए मोदी का मायने समझ में आ जाएगा।
tecpmfwf ngo
Hi,
I am really happy that I have been nominated for the most coveted awards in the field of digital literature & creative writing - StoryMirror Author of the Year Award - 2020.
StoryMirror is India's largest multilingual platform for readers & writers and I am really proud that I am among the 2% of the writers who have been nominated.
Now I need your support to win the title.
Please visit this link: https://awards.storymirror.com/author-of-the-year/hindi/author/1w53iqvi and click on the vote button.
Vijay Verma
Sir, hum comments nahi kar pa rahe h. Aur na hi comments ko read kar pa rahe h.