Inbooker
Happy New year to all of you guys and girls.
Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
Atrij Kasera
Corona को समर्पित :-
तेरे सिवा भी कई रंग ख़ुशनज़र थे मगर
जो तुझको देख चुका हो वो और क्या देखे
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परवीन शाक़िर
संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
शशिरंजन सिंह
केंद्र में पीवी नरसिंहाराव थे और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन था… राज्यपाल थे सेवानिवृत्त जनरल केवी कृष्णा राव… उनके सुरक्षा सलाहकार थे सेवानिवृत्त जनरल एमए ज़की… उन्होंने तुरंत आदेश दिया BSF को… घेर लो… BSF ने घेरा डाल दिया।
दिल्ली अभी ऑपरेशन ब्लूस्टार को भूली नहीं थी… सुरक्षा विशेषज्ञ चाहते थे कि कमांडो कार्यवाही करके दरगाह को खाली करा लिया जाए… पर दिल्ली की जान सूख गयी… बाहर BSF। अंदर आतंकी और उनके साथ 100 से ज़्यादा आम लोग…सरकार ने कमांडो ऑपरेशन की इजाज़त न दी... सरकार की ओर से एक वरिष्ठ नौकरशाह वजाहत हबीबुल्लाह को मध्यस्थ बना के अंदर भेजा गया, आतंकियों के सामने घुटने टेक गिड़गिड़ाने के लिये कि ‘प्लीज भाई लोग, आत्मसमर्पण कर दो’… वो नहीं माने… उन्होंने कहा, ‘आम लोगों को तो छोड़ दो’… आतंकियों ने कहा, ‘हाँ इनको ले जाओ’… पर आम लोगों ने बाहर आने से मना कर दिया…
फौजी सलाहकारों ने दूसरा विकल्प सुझाया, वो जो वो 1988 में स्वर्ण मंदिर में ही ऑपरेशन ब्लैक थंडर में आजमा चुके थे… उस वक़्त उन्होंने जून महीने में स्वर्ण मंदिर घेर लिया था और बिजली पानी काट दी और शौचालय भी घेर लिए थे…अंदर से आतंकियों ने खबर भेजी कि हमारे पास राशन पानी नहीं है... आमलोग भूखे प्यासे मरेंगे तो तुम जिम्मेदार होगे... काँग्रेस सरकार एकदम आत्मसमर्पण की मुद्रा में आ गयी... बिरयानी बना के भेजी गयी... फौज ने विरोध किया... ये क्या तमाशेबाज़ी है... बिरयानी ही भेजनी है तो घेराबंदी का क्या मतलब?
उधर आतंकियों ने बिरयानी अस्वीकार कर दी... सरकारी बिरयानी नहीं खाएंगे...
वजाहत हबीबुल्लाह ने पूछा, किसने बनाई थी बिरयानी?
बताया गया कि किसी सरकारी मेस में बनी थी...
श्रीनगर के सबसे महंगे 5 स्टार होटल से बिरयानी मंगाई गयी और श्रीनगर के कुछ हुर्रियत छाप संगठन अंदर बिरयानी ले के गए तो नव्वाब साहेब ने बिरयानी खाई...फिर यही सिलसिला हफ्ता भर चला… उस होटल की एक वैन में पतीला भर भर बिरयानी जाती दिन में 3 बार… साथ में बिस्लरी की बोतलें... बाकायदे कंबल रजाई भेजी गयी... इस बीच शांति वार्ता भी चलती रही...
इधर फौज ने कहा कि इजाज़त दो तो इसी बिरयानी वाली गाड़ी में ही 20 कमांडो भेज दें, 10 मिनट में काम तमाम कर देंगे... पर बुज़दिल काँग्रेस सरकार नहीं मानी... उधर बीजबेहड़ा फायरिंग के कारण बवाल मचा था पूरी घाटी में...
अंततः सरकार ने नव्वाब साहब लोगों को फ्री पैसेज पेशकश किया... बोली ‘आपको हम रिहा करते हैं... हथियार छोड़ पैदल निकल जाओ’... उन्होंने कहा, ‘ना... हथियार तो ले के जाएंगे’... सरकार उस पर भी मान गयी...
अंत में 15 दिन की घेराबंदी के बाद वो 40 पाकिस्तानी–अफगान आतंकी हमारी फौज के सामने से AK 47 लहराते हुए पैदल ही निकले और श्रीनगर की गलियों में गुम हो गए... जब निकले तब भी सेना ने कहा, अब ठोक देते हैं सालों को... पर दिल्ली बोली ‘नहीं... वादा खिलाफ़ी हो जाएगी’...इस तरह इन काँग्रेसियों ने 40 पाकिस्तानी आतंकियों को 15 दिन दामाद की तरह पाला और फिर सेफ पैसेज दे दिया...
वन्देमातरम्।
साभार
Rahul Shukla
"कर्मों "की "चपेट" से कौन बचा है जिसने जैसा" करा "है उसने वैसा" भरा "है