राहुल वर्मा
जो दिल में है उसे
ज़ुबां पर आने दीजिए
नगमा ए मुहब्बत
गुनगुनाने दीजिए।
कब तलक दूर दूर
यूं तुमसे रहूंगा।
अब तो हमसाया
मुझे बन जाने दीजिए।
ना उम्मीदी के अंधेरों से
घिरा हुआ हूं मैं
उम्मीद का दीया
रौशन हो जाने दीजिए।
गर्दिश -ए- वक्त ने
जिसे बेनूर कर दिया
थोड़ा सा नूर
इस चेहरे पर आने दीजिए।।