राहुल वर्मा
ये न मिला वो अधूरा ही रहा
जितना मिला वो ही बहुत मिला!
ख्वाहिशों का क्या है बढ़ती जाएं
हिस्सा में जो लिखा बहुत मिला!
हर एक सफ़र में छूटे साथी
राहों में साथ तो दिया बहुत मिला!
दर्द भी आया सुकून भी आया
जीने का ख़ूब सबक बहुत मिला!
गिनती में क्यों हम जाएं अक्सर
क़िस्मत का तो हिसाब बहुत मिला!
दुनिया से शिकवा अब कैसा
दिल को तो आज जवाब बहुत मिला!
टूटे सपनों से भी सीखा
हर इक घाव में आफताब बहुत मिला!
छोटे लम्हे बड़े सुकूँ के
राहों में ऐसा ख़्वाब बहुत मिला!