Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
मदन प्रकाश कुमावत
(owner)
आ तो सुरगा ने शरमा वे...
ई पर देव रमण ने आवे...
ई रो जस नर नारी नारी गावे...
धरती धोरा री...
धरती धोरा री...!
राजस्थान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
Mukesh Bansal
यह अच्छा हुआ केरल
हाई कोर्ट के जजों को कुछ
नहीं हुआ लेकिन अगर कुछ
हो जाता तो न्यायपालिका
आज “तांडव” कर रही होती -
जो हिंदू मार दिए गए, वो तो मार दिए गए क्योंकि वो कलमा नहीं पढ़ सके लेकिन केरल हाई कोर्ट के 3 जज जस्टिस अनिल के नरेंद्रन, जस्टिस जी गिरीश और जस्टिस पी जी अजितकुमार भी अपने परिवारों के साथ 17 अप्रैल से जम्मू कश्मीर छुट्टियां बिताने गए हुए थे - जजों का एक निजी स्टाफ सदस्य आतंकियों का शिकार बन गया -
तीनो जज और उनके परिवार नरसंहार के दिन पहलगाम में थे लेकिन सुबह 9.30 पर वहां से निकल गए थे यानी आतंकी हमले से कुछ ही घंटे पहले - एक जज ने कहा कि टैक्सी ड्राइवर हमें और सैर कराना चाहता था लेकिन हमने आग्रह किया कि डल लेक की सैर कर वापस निकल लेंगे और उसके बाद हम सकुशल श्रीनगर 2 बजे पहुंच गए -
यह अच्छा हुआ उनके साथ कुछ नहीं हुआ क्योंकि कलमा तो उन्हें भी पढ़ना नहीं आता होगा और फिर कुछ भी हो सकता था जैसे अन्य 27 के साथ हुआ - वो तो कोर्ट में बैठ कर “सेकुलरिज्म” का पाठ पढ़ाते रहे होंगे और वहां “सेकुलरिज्म” काम नहीं आता - आतंकी बस हिंदू समझते और काम कर देते -
एक बार कल्पना कीजिए कि यदि ये तीनों जजों को कुछ हो जाता तो क्या हो सकता था - पूरी न्यायपालिका कामकाज बंद करके तांडव कर रही होती और सरकार को जजों को सुरक्षित न रखने के लिए कटघरे में खड़ा कर पेल देती - यह फर्क होता है अपनों और दूसरों के बिछुड़ने में -
आज लोग सही सवाल कर रहे हैं कि 370 पर फैसला देने वाली चंद्रचूड़ की बेंच को क्या चुल मची थी सरकार को आदेश देने की कि सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव हो जाने चाहिए और इसलिए लोग इस नरसंहार के लिए चंद्रचूड़ को दोषी मान रहे हैं - जब तक चुनाव नहीं हुए थे और उमर अब्दुल्ला की सरकार नहीं बनी थी, तब तक हालत काफी हद तक सामान्य थे लेकिन अब्दुल्ला के सत्ता में आने के बाद आतंकी हमले बढ़ गए - आखिर सुप्रीम कोर्ट को क्या मिल गया जम्मू कश्मीर में चुनाव करा कर -
जम्मू कश्मीर में चुनाव होना लोकतंत्र का तकाजा था लेकिन कब चुनाव होने चाहिए, यह फैसला केंद्र सरकार को ही लेने देना चाहिए था मगर चंद्रचूड़ की बेंच ने अपना निर्णय मोदी सरकार पर थोप दिया - अब नरसंहार की जिम्मेदारी लेने की भी हिम्मत करो -
Lt Gen D.P. Pandey (Retd) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जिन जजों ने चुनाव जल्दी कराने की जिद की, उन्हें स्वयं अब पहलगाम जाना चाहिए - वैसे वो वहां जाकर क्या घुईया उखाड़ लेंगे लेकिन उन्हें हिम्मत करके कुछ बेंच गर्मी के दिनों में श्रीनगर में लगानी चाहिए लेकिन ऐसा करने से वो डरेंगे कि कहीं 370 का फैसला देने के लिए उनका काम तमाम न कर दिया जाए -
न्यायपालिका को कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में घुसपैठ बंद कर देनी चाहिए वरना इसका अंजाम बहुत ख़राब हो सकता है -
(सुभाष चन्द्र)
“मैं वंशज श्री राम का”
25/04/2025
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अनिल जैन
रिश्ते खून से नहीं, बल्कि भरोसे से बनते है और भरोसा वहां टूटता है, जहां अहमियत कम हो जाती है..
Priyadarshi Tiwari
सभी के असली चेहरे न दिखा ऐ जिंदगी
कुछ लोगों कि हम इज्जत करते है