Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
मदन प्रकाश कुमावत
(owner)
जिंदगी में सबसे बड़ा योग है "सहयोग"...
इसलिए योग चाहे करें या ना करें लेकिन सहयोग अवश्य करें।
!!धन्यवाद!!
Mukesh Bansal
हाईकोर्ट के जजों को आपके टैक्स के पैसों से कितनी अय्याशी मिलती है ... पूरा अनालिसिस
जज को लगभग 8 घरेलू नौकर मिलते हैं - घर के सभी काम करने के लिए, वो घर जो कम से कम चार बड़े कमरों वाला मकान होता है, जो साहब को फ्री में रहने को दिया जाता है.
जिसके हर कमरे में - और जज साहब चाहें तो टॉयलेट में भी AC लगे हुये होते हैं, जिनका बिल कभी साहब को नहीं चुकाना होता.
ये AC हर साल बदले जाते हैं -फ्री में - उसी तरह जैसे साहब का मोबाइल (जो हमेशा मार्केट में उपलब्ध सबसे मंहगा फोन होता है) और लैपटॉप भी हर साल बदला जाता है.
और ये 'पुराने AC, लैपटॉप या मोबाइल साहब को जमा नहीं करना पड़ता - वो उनके बच्चों या रिश्तेदारों के काम आते हैं.
साहब को सुरक्षा के नाम पर (तीन शिफ्टों के मिलाकर) 12 पुलिसवाले मिले होते हैं जिनमें एक समय में तीन हर समय घर की सुरक्षा करते हैं और एक दरोगा रैंक का व्यक्ति बॉडी गार्ड रुप में साथ चलता है. मैडम को अलग से कहीं शॉपिंग करने जाना हो तो वह भी (दूसरी) सरकारी गाड़ी से -सरकारी ड्राइवर व सरकारी सुरक्षा गार्ड के साथ जा सकती हैं.
रिटायर होने के बाद भी साहब को एक प्रोटोकॉल ऑफिसर मिलता है जो विभिन्न काम निपटाता है जैसे कि किसी बीमारी की हालत में साहब किसी हॉस्पीटल पहुँचें तो वह प्रोटोकॉल ऑफिसर पहले से हॉस्पीटल पहुंचकर सब इन्तजाम देखता है कि साहब को प्राइवेट हॉस्पीटल में भी एक रुपया भी न देना पड़े.
देश भर में कहीं भी जाने पर फ्री हवाई यात्रा और फ्री ट्रेन यात्रा (प्रथम श्रेणी AC) पत्नी व परिवार सहित, जहां जायें वहां फ्री A grade रहने की व्यवस्था !
कहीं प्राइवेट आने जाने के लिए इनोवा जैसी गाड़ी और ऐसी ही न जाने कितनी सुविधायें साहब को फ्री में दी जाती हैं. और इसके बाद भी गर्मियों में एक महीने की और सर्दियों में करीब 12 दिनों की छुट्टी कम से कम मिलें - ये साहब का अधिकार है.
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लेकिन खबरदार. साहब के संविधान की जानकारी पर कभी कोई सवाल न उठायें, न उनके फैसले पर कोई बुराई करें, बावजूद इसके कि हाईकोर्ट के जज का फैसला सुप्रीम कोर्ट में बदल सकता है, और सुप्रीम कोर्ट की सिंगल जज वाली बैंच का फैसला तीन या पांच जज वाली बैंच बदल सकती है. पता नहीं इन सबके पास संविधान की एक ही प्रति होती है या अलग अलग.. ??
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और सबसे बड़ी बात यह कि अगले जज चुनने का अधिकार ये साहब लोग अपने पास ही रखते हैं जिससे अपने बच्चों, रिश्तेदारों और मित्रों के बच्चों को खुद 'जज' चुन सकें. वैसे भी, इतनी ताकतवर और ऐशोआराम से पूर्ण कुर्सी पर बैठने का अधिकार तो अपने ही बच्चों व रिश्तेदारों को ही तो देना चाहिए. इसीलिये देश में हर समय कार्य कर रहे हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जजों में से 65-70 % पुराने जजों के बच्चे या नजदीकी रिश्तेदार ही होते हैं.
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खैर. यह भारत है. यहां नेता जनता की भलाई के नाम पर जनता को ही लूटते रहते हैं और साहब जनता को न्याय दिलाने के नाम पर ऐशोआराम की ज़िन्दगी व्यतीत करने में लगे रहते हैं. बाकी रही जनता तो वो नेताओं की 'जनता की भलाई ' के लिए किये गये कामों और साहब से मिले 'न्याय' के सपने देखते देखते अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करती रहती है ।
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अनिल जैन
रिश्ते खून से नहीं, बल्कि भरोसे से बनते है और भरोसा वहां टूटता है, जहां अहमियत कम हो जाती है..
Priyadarshi Tiwari
सभी के असली चेहरे न दिखा ऐ जिंदगी
कुछ लोगों कि हम इज्जत करते है