मित्रो आप सभी को जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
आप सभी का यहाँ स्वागत है आप... moreमित्रो आप सभी को जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
आप सभी का यहाँ स्वागत है आप सभी से निवेदन है कि जितने सदस्य आप यहाँ ऐड कर सकते है करे ओर आप सभी के पास आध्यात्मिक या सनातन धर्म की राह पर किसी को राह दिखा सके तो दिखाईये किसी को राह बताने से बडा कोई धर्म नही होता,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश आप सभी को,,
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संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Haryanvi Guruji
(owner)
नमस्कार मैं आपको काले धतूरे का प्रयोग बताता हूं अगर आपको काला धतूरा का पौधा कहां से प्राप्त हो जाए तो काले धतूरे के पौधे के साथ काली तुलसी जी एक ही गमले में अगर आप लगाते हैं और अपने घर के अंदर रख लेते हैं तो आपके घर के समस्त वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं लक्ष्मी जी का आगमन शुरू हो जाता है और आपका मकान किसी भी तरह के तांत्रिक अटैक से इम्यून हो जाता है और अगर किसी शुभ नक्षत्र में काले धतूरे की जड़ को अभिमंत्रित करके आप अगर धारण कर लें तो भी यह सारे फायदे आपको मिलने लगते हैं धन्यवाद
Sandeep Kumar
मनोवैज्ञानिक सत्य है कि सम्भोग के मामले में पुरुष दृश्य पर अधिक निर्भर करते हैं। वे आकार, गोलाइयाँ, नग्नता देखना चाहते हैं। पश्चिम में किंजी ने पाया कि 76% पुरुष पुरुषों ने कहा कि उन्हें बत्ती जलाकर संभोग करना पसंद है जबकि केवल 35%महिलाओं को ऐसा करना पसंद था। कुल मिलाकर महिलाएँ तब तक उत्तेजित नहीं होती जब तक वह कोई रोमैंटिक नग्न जोड़ा न हो, या फिर वह कोई सांकेतिक दृश्य न हो। जब कोई पुरुष किसी नग्न महिला को देखता है तो वह तुरंत कामोत्तेजित हो जाता है वहीं दूसरी ओर नग्न पुरुष को देखे जाने पर आम तौर पर महिला की हँसी छूट जाती है।
महिलाओं को शब्द व भावनाएँ पसंद आती हैं। उन्हें संभोग के समय बत्ती बुझाना या आँखें बन्द करना पसन्द है, क्योंकि यह उनकी संवेदन प्रणाली के अनुकूल है। हौले से सहलाना, कामुक - स्पर्श, कानों में मीठी बातें कहना, उन्हें उत्तेजित करता है।
लज्जा, स्त्री का आभूषण है, परंतु रति - काल में नहीं। रति के समय निर्लज्जता ही उनका आभूषण बन जाता है परन्तु स्वभाव वश यहाँ भी वह पूरा प्रकाश नही चाहती जबकि पुरुष उसका अंग - प्रत्यंग नग्न निरावरण देखना चाहता है। बड़ी विचित्र स्थिति है।
❤️ वस्तुतः सौंदर्य का सारा आकर्षण लुका-छिपी में ही है। आंख-मिचौली, थोड़ा आवृत - थोड़ा अनावृत। उस आवृत को निरावृत देखने की ललक ही पुरुष की उत्सुकता बनाए रखती है। यदि उसे पूरी तरह नग्न कर दिया जाए तो थोड़े समय बाद उसके प्रति सारी उत्सुकता समाप्त हो जाएगी। इसे यूँ समझें कि जिस नारी अंगों को आप देखने के लिए ललकते हैं, थोड़ा आवरण हटते ही कामोत्तेजित हो जाते हैं, वही चौबीस घंटे आपके सामने पूर्ण नग्न रहे तो धीरे-धीरे आपके अंदर उसे देखकर कोई उत्तेजना होगी ही नहीं। ब्ल्यू फिल्म देखने के ऐडिक्ट की ऐसी ही स्थिति हो जाती है।
❤️ पत्नी बेचारी पुरुष के इस स्वभाव को समझ नहीं पाती।
गृहणी जाती हार दाँव, सम्पूर्ण समर्पण करके।
जयिनी रहती बनी अप्सरा, ललक पुरुष में भरके।
पर क्या जाने ललक जगाना, नर में गृहणी नारी?
बर्ट्रेन्ड रसेल कहते हैं - पत्नी को कभी भी पति के आगे संपूर्ण समर्पण नहीं करना चाहिए। उसे एक आवरण में प्रच्छन्न रहना चाहिए। जिससे पति के मन में उसके प्रति एक ललक बनी रहे। वह अप्सरावत गोपनीयता ही पति को पर नारी से मुक्त करेगी। पत्नी को कुछ दूर तक शारीरिक गोपनीयता भी रखनी चाहिए।
प्रियतम को रख सके निमज्जित जो अतृप्ति के रस में। पुरुष बड़े सुख से रहता है उस प्रमदा के वश में।।
❤️ अब आप स्वयं निर्णय करें, विशेषकर स्त्री, कि संभोग के समय तेज रोशनी हो या अँधेरा?
विशेषज्ञों का कहना है कि संभोग के समय न तो तेज रोशनी होनी चाहिए और न ही घुप्प अँधेरा। वहाँ केवल मद्धम प्रकाश होना चाहिए।
❤️ न अँधेरा - न उजाला। बस एक मद्धम प्रकाश। एक टिमटिमाते-काँपती लौ। रात की गहन नीरवता। केलि-शैय्या पर दो जिस्म। धीरे-धीरे एक दूसरे को उत्तेजित कर मंजिल की अग्रसर। एक - दूजे में समा जाने को व्यग्र। द्वैत से अद्वैत का सफर।
ashu singh
स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार-10
यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरों के लिए जीते हैं, वे वास्तव में जीते हैं।
16. एक शब्द में यह आदर्श है कि 'तुम परमात्मा हो।'
17. भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर।
18. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दु:ख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।