संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Piyas Sarkar
तो बच्चों क्या सीखा आपने ❓ संभल में मारे गए ५ जिहादियों के ज़िन्दगी का मूल्य २०९ निरस्त्र सनातनियों के जीवन से कहीं अधिक है।