वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि !
मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ !!
"""" "रामायण" एक... moreवर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि !
मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ !!
"""" "रामायण" एक धार्मिक समूह है जो लोग हिन्दू (सनातन) धर्म में आस्थावान हों तथा भारतिय संस्कृति और उसकी परंपराओं में श्रद्धा और विश्वास रखते हों केवल वही लोग इस समूह से जुड़ें!
हमारा आशय अन्य धर्मों की निंदा करना नहीं है अपितु हिन्दुओं को संगठित करके सनातन धर्म का प्रचार व प्रसार करना हमारा लक्ष्य है!!
अश्लील एवं फूहड़ , राजनीतिक , गैर हिन्दुओं से संबधित विचारधारा, व्यक्तिगत, व्यापारिक, प्रचार आदि विवादित पोस्ट न करें!!!!
जय रामजी की!!
12/07/2021. less
शशिरंजन सिंह
आज बांग्लादेश का
कोई हिंदू टैक्स के लिए ~ परेशान नहीं है,,
महंगाई के लिए ~ परेशान नहीं है,,
बेरोजगारी के लिए ~ परेशान नहीं है,,
फ्री बिजली पानी के लिए ~ परेशान नहीं है,,
गटर और सड़क के लिए ~ परेशान नहीं है,,
जात-पात के लिए ~ परेशान नहीं है,,
ऊंच-नीच के लिए ~ परेशान नहीं है,,
अमिर गरीब के लिए ~ परेशान नहीं है,,
किसी भी अन्य सुविधाओं के लिए ~ परेशान नहीं है >>
आज वो परेशान है तो
सिर्फ अपनी - जान बचाने के लिए !!
दीपक कुमार गुप्ता
तुम दर्द दो हम आह भी न करें,
इतने भी नहीं है मजबूर की अपना दर्द बयां भी न करें...
दीपक ✍️
राहुल वर्मा
"कुछ यादें लिखूं"
तुम से हुई पहली मुलाक़ात लिखूं
या रूपाली ख्वाबों की हर बात लिखूं
अपने हृदय में पल रही मैं निज प्यास लिखूं
या तूझे खोने का अहसास लिखूं
तुम्हारे होठों की मधुर मुस्कान लिखूं
या नयनों की झीलों का रसपान लिखूं
तुम्हारा मुझ पर अहसान लिखूं
या दिए जो तूने ज़ख्मों के निशान लिखूं
तुम्हारी चाहत की मैं आरज़ू लिखूं
या तूझे भुलाने की जुस्तजू मैं लिखूं
हुई जो तुमसे तकरार लिखूं
या तुमको खोने का इन्कार लिखूं।।
Shitala Dubey
(owner)
आज का आनंद !!
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गीतार्थं ध्यायते नित्यं कृत्वा कर्माणि भूरिशः।
जीवन्मुक्तः स विज्ञेयो देहांते परमं पदम्।।
गीता मानव जीवन की सबसे बड़ी पथ प्रदर्शिका है। गीता भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निसृत वो अमृतमयी औषधि है, जिसके सेवन से जीवन के आंतरिक विकारों का निराकरण होकर जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।
गीता भटकाने वाला ग्रंथ नहीं अपितु भटके हुए मानव को उसके कर्तव्य पथ का बोध कराने वाला ग्रंथ है। संत ज्ञानदेव जी से लेकर महर्षि अरविंद, महर्षि रमण, स्वामी विवेकानंद जी, पंडित मदन मोहन मालवीय जी जैसे अनेकानेक जिस किसी भी महापुरुष ने माँ गीता जी की गोद का आश्रय लिया है उसका जीवन समाज के लिए एक प्रेरणा एवं आदर्श अवश्य बना है।
जीवन का कोई ऐसा प्रश्न नहीं जिसका उत्तर श्रीमद्भगवद्गीता जी में न हो। विषाद से प्रसाद की यात्रा, भोग से योग की यात्रा एवं प्रमाद से अह्लाद की यात्रा कराने वाला ग्रंथ ही गीता है। अपनी उपयोगिता एवं प्रासंगिकता के कारण ही आज गीता ने संपूर्ण विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। एक श्रेष्ठ एवं आदर्शमय जीवन के लिए गीता जी का आश्रय अवश्य होना चाहिए।
जय श्रीकृष्ण !!
Mukesh Bansal
*इतना तो अंग्रेज भी टैक्स नहीं लेते थे लगान के रूप में*
• मैनें तीस दिन काम किया_
• तनख्वाह ली - टैक्स दिया
• मोबाइल खरीदा - टैक्स दिया--'
• रिचार्ज किया - टैक्स दिया
• डेटा लिया - टैक्स दिया
• बिजली ली - टैक्स दिया
• घर लिया - टैक्स दिया
• TV फ्रीज़ आदि लिये - टैक्स दिया
• कार ली - टैक्स दिया
• पेट्रोल लिया - टैक्स दिया
• सर्विस करवाई - टैक्स दिया
• रोड पर चला - टैक्स दिया
• टोल पर फिर - टैक्स दिया
• लाइसेंस बनाया - टैक्स दिया
• गलती की तो - टैक्स दिया
• रेस्तरां मे खाया - टैक्स दिया
• पार्किंग का - टैक्स दिया
• पानी लिया - टैक्स दिया
• राशन खरीदा - टैक्स दिया
• कपड़े खरीदे - टैक्स दिया
• जूते खरीदे - टैक्स दिया
• कितबें ली - टैक्स दिया
• टॉयलेट गया - टैक्स दिया
• दवाई ली तो - टैक्स दिया
• गैस ली - टैक्स दिया
• सैकड़ों और चीजें ली ओर - टैक्स दिया, कहीं फ़ीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसा देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग मे बचा तो फिर टैक्स दिया----
• सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सेक्युरिटी नहीं,कोई मेडिकल सुविधा नहीं, बच्चों के लिये अच्छे स्कूल नहीं, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाईट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी जहरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व् आपदाएं , उसके बाद हर जगह लाइनें।।।।
• सारा पैसा गया कहाँ????
• करप्शन में ,
• इलेक्शन में ,
• अमीरों की सब्सिड़ी में ,
• माल्या जैसो के भागने में
• अमीरों के फर्जी दिवालिया होने में ,
• स्विस बैंकों में ,
• नेताओं के बंगले और कारों मे,
• और हमें झण्डू बाम बनाने मे।
• अब किस को बोलूं कौन चोर है???
• आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे ?
कृपया इसे हरेक नागरिक को भेजें.
*राजा 10% टैक्स लेते थे*
*अंग्रेज 30% टैक्स लेते थे*
*और ये नेता नाम की असुर प्रजाति 70% टैक्स ले रहे है*