ashok mishra
Rakesh Jha उस पत्थर पर लिखा था "प्रधानमंत्री आवास योजना"।
मुज़फ़्फ़रनगर में महागठबंधन के नेता एक मुस्लिम भाई के घर वोट माँगने पहुँचे। सारी जिंदगी उसने मजदूरी की, अब बूढ़ा हो गया है आँखों से कम दिखाई देता है।
वो घर से बाहर आया। दुआ सलाम की, पता चला महागठबंधन के नेता आये हैं। नेता बोले चचा नलके वाले हैं इस मोदी को हटाना है अबके जोर लगा दो। बूढ़ा कुछ नहीं बोला बस उसने अपने घर के बाहर लगे एक पत्थर को चूमा।
सारे नेता खामोश हो गये। उसकी आँखों में आँसू थे, हाथ जोडकर बोला साहब मोदी को मत हटाओ मेरे जैसे करोड़ों गरीबों को अभी ऐसे पक्के मकानों की जरूरत है। ताउम्र बरसात में रोया हूँ अपनी बेबसी पर। पहली बार सर्दियों की बरसात में अपने बरामदे में खुशी से बैठकर चाय पी है। मोदी फरिश्ता है। मोदी को मत हटाओ।
उस पत्थर पर लिखा था "प्रधानमंत्री आवास योजना"।
Falak Atri
(owner)
कण कण में विष्णु बसे, जन जन में श्री राम, प्राणों में माँ जानकी, मन में बसे हनुमान
Piyas Sarkar
अगर केवल दिल्ली से तुम्हारा दिल गया है बहल।
तो आतंकवाद तुम्हारे घर को भी कल देगा दहल।
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यह कविता आज से पचास साल पहले एक हकीम साहब ने कही थी, जो कवि भी थे।
जहां तक काम चलता हो ग़िज़ा से
वहां तक चाहिए बचना दवा से
अगर ख़ून कम बने, बलग़म ज्यादा
तो खा गाजर, चने, शलज़म ज्यादा
जिगर के बल पे है इंसान जीता
ज़ोफे(कमजोरी) जिगर है तो खा पपीता
जिगर में हो अगर गर्मी का एहसास
मोरब्बा अमला खा या अनानास
अगर होती है मेदा में गिरानी(भारीपन)
तो पी ली सौंफ या अदरक का पानी
थकन से हो अगर अज़लात (मांसपेशियाँ) ढीले
तो फ़ौरन दूध गरमा गरम पी ले
जो दुखता हो गला नज़ले के मारे
तो कर नमकीन पानी के ग़रारे
अगर हो दर्द से दाँतों से बेकल
तो उंगली से मसूड़ों पर नमक मल
जो ताक़त में कमी होती हो महसूस
तो मिस्री की डली मुल्तान की चूस
शफ़ा चाहिए अगर खांसी से जल्दी
तो पी ले दूध में थोड़ी सी हल्दी
दमा में ये ग़िज़ा बेशक है अच्छी
खटाई छोड़ खा दरया की मछली
अगर तुम्हें लगे जाड़े में ठंडी
तो इस्तेमाल कर अंडे की ज़र्दी
जो बदहज़मी में चाहे तू अफ़ाक़ा(आराम)
तो दो इक वक़्त का कर ले तू फ़ाक़ा(उपवास)