सत्य पंथ का करी प्रचारा॥
देश धर्म का करि विस्तारा ||
निर्मल मन जन सो मोहि पावा
मोहि कपट छल छिद्र न भावा
जय हिन्द राष्ट्रहित व धर्म रक्षा सर्वोपरि हिंदू राष्ट्र जय हिंद जय भारत वंदे मातरम
जय श्री राम
देश महादेव
lalitkgupt50
जिस भी विभाग का निजीकरण नहीं हुवा है, उस विभाग में बस आप अपना कोई सरकारी काम करवा के देख लीजिये.. आपको समझ आ जाएगा कि इन विभागों का निजीकरण क्यूँ ज़रूरी है
निजीकरण का रोना वही रोते हैं जिनका किसी विभाग में कोई काम लगता नहीं है और वो न तो बिज़नस कर रहे हैं और न ही किसी विभाग से उनकी कोई ज़रूरत पड़ती है कभी.. उन्हें बस अपने लड़के को उस जैसे विभाग में नौकरी करवानी होती है ताकि बिना काम किये उनका लड़का पैसे कमाता रहे और उसे कोई नौकरी से निकाल न सके.. निजीकरण का विरोध सिर्फ़ सरकारी नौकरी की लालसा करने वाले करते हैं.. उन्हें इस से कोई मतलब नहीं होता है कि सरकारी विभाग काम कैसे कर रहे हैं
जितना ज्यादा निजीकरण होगा, ये देश उतना ही विकसित, सुरक्षित और आम आदमी के अधिकारों की रक्षा करने वाला बनेगा.. जहाँ जितने ज्यादा सरकारी विभाग रहेंगे वहाँ सिर्फ़ लूट, कामचोरी, रिश्वतखोरी, दादागीरी, गुंडई रहेगी.. कभी सुना है आपने कि अम्बानी की कंपनी का ठेका लेने के लिए किसी ठेकेदार या भूमाफिया ने किसी को मारा या गुंडई की? ये सब कुछ सरकारी विभाग में होता है
हम भारतीयों की मानसिकता "सरकारी" वाली अभी नहीं बनी है.. देश की किसी भी वस्तु को कोई भी भारतीय अपनी धरोहर नहीं समझता है.. हम वो लोग हैं जो घर का कूड़ा अपने घर के पीछे वाली चाहरदीवारी के पार फ़ेंक कर अपना घर साफ़ कर लेते हैं.. भारतियों के लिए, खासकर उत्तर भारतीयों के लिए अपना घर, अपना दुआरा, अपने बच्चे, अपना पैसा, ही सब कुछ होता है.. ये सरकारी बनकर देश के लिए कुछ नहीं करते हैं.. ये सरकारी बनकर अपना घर भरते हैं.. कनाडा और अमेरिका का उदाहरण न दीजिये.. वहां के लोगों की जो मानसिकता है अपने देश और अपने लोगों को लेकर वो यहाँ से कम से कम 500 साल आगे की है
निजीकरण भारत के लिए बहुत ज़रूरी है.. हम लोग सरकारी विभागों के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं अभी