Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Anupama Jain
(owner)
इतना भी आसान नहीं है
किसी को प्रेम करना
प्रेम वही कर सकता है जो
दुख सहने की
क्षमता भी रखता है जो उस विरह
उस वेदना को भी
वैसे ही स्वीकार करता है
जैसे प्रेम में जिये हुए सुख के पल .!!
पायल शर्मा
वैष्णो देवी धाम के लिए निकले तीर्थयात्रियों पर हुए इस्लामिक आतंक'वादी आक्रमण में मारे गए श्रद्धालुओ को नमन करती हूं
शशि यादव
कुछ लोगो का प्यार समझ से परे होता है
सोशल मीडिया पर मिलते ही सीधा ब्लॉक हो जाता है।
Sanjay khambete
अपने घर में छोटा सा कार्यक्रम करिए उसको सकुशल संपन्न कराने में हवा निकल जाती है.. यहां तो पूरा विश्व आया हुआ है करोड़ों की संख्या में..!
कृपया सहयोग करिए.. आलोचना नहीं..
Mukesh Bansal
साक्षी!बेटा एक बार मिलने में क्या जाता है?अगर लड़का तुझे पसंद ना आए तो हम मना कर देंगे।”रमेश ने अपनी बेटी से कहा साक्षी “नो पापा, मैं अभी शादी नही करूँगी”
“तो कब करेगी जब तेरे मुँह में दांत और पेट मे आंते नही रहेंगी तब करेगी शादी। 28 साल की हो गयी तू अब कोई बच्ची नही रही समझी,21 साल तक हमारे खानदान की सारी लड़कियों की शादियां कर दी गयी थी”साक्षी की बुआ ने गुस्से में कहा साक्षी”जानती हूँ बुआ, इसीलिए कह रही हूं,लेकिन शायद आप नहीं जानती..सबमें और मुझमें बहुत फर्क है।”
साक्षी,ये क्या तरीका है बड़ो से बात करने का,बड़ो से ऐसे बात करते है, हमसब तुम्हारे भले के लिए ही तो कह रहे है,आखिर कब करोगी शादी ” साक्षी के बड़े भाई ने कहा तभी सबके बीच दबी आवाज में उसकी माँ रमा ने कहा,” अभी क्यों नही करनी?जब तक तुम कुछ बोलोगी नही,सबको पता कैसे चलेगा?कि आखिर तुम चाहती क्या हो?”
“माँ प्लीज !अब आप बीच मे मत बोलियेगा, मुझे नही सुनना किसी का प्रवचन” साक्षी ने अपनी माँ से कहा और गुस्से में पैर पटकते हुए सबके बीच से हॉल से उठकर अपने कमरे में चली गयी।
साक्षी स्वभाव से आधुनिक ख्यालों की होनहार और आत्मनिर्भर लड़की है। वो एक मल्टीनेशनल कम्पनी में ब्रांच मैनेजर है।
संयुक्त परिवार में पली बढ़ी साक्षी घर मे सबसे छोटी होने के कारण बचपन से ही अपने पापा के साथ साथ सबकी की लाडली रही। पिछले कुछ वर्षों से उसकी शादी को लेकर उसका घर के हर सदस्य से वाक युद्ध हो ही जाता। ना जाने कितने लड़को को साक्षी ने शादी से मना किया था।
साक्षी के मन मे क्या चल रहा है ?वो क्या सोचती है? किसी को कुछ पता नही चल रहा था या यूं कहें कि साक्षी किसी को एहसास ही नही होने देती थी|
“ये क्या था रमा,जब हमसब उससे बात कर रहे थे तो तुमको बीच मे बोलने की क्या जरूरी था,तुम्हारी तो वो वैसे भी नही सुनती कभी, तुम्हारे पास इतना भी दिमाग नही की बच्चो से कैसे बात करे? हद हो गयी है इतनी उम्र हो गयी लेकिन बोलना नही आया तुम्हे,मेरी बेटी का मूड खराब कर दिया,अब जाओ उससे माफी मांगो और खाने के लिए बुलाकर ले आओ”रमेश ने परिवार के सभी सदस्यों के बीच गुस्से भरी आवाज में रमा को डांटते हुए कहा अंदर कमरे से साक्षी सब सुन रही थी। जेठ जेठानी,सास और बच्चों के सामने हुए अपमान पर रमा ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहाँ से साक्षी के कमरे में आ गयी। रमा ने साक्षी के सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा” बेटा,मैं तो तुम्हारे भलाई के लिए कह रही थी लेकिन अगर मेरी बिटिया को अपनी माँ की कही बात बुरी लगी तो… माफ कर दे,गुस्सा थूककर चलो खाना खाने” रमा के पीछे पीछे बाकी घर वाले भी कमरे में आ गए। रमेश ने रमा की बात सुनने के बाद कहा”अच्छा,चलो अब निकलो यहाँ से …पागल औरत,”
” बेटा तू तो जानती है,तेरी माँ के पास दिमाग नही है। इसकी बात का बुरा क्या मानना?
इतना सुनते रमा आंखों में आँसू लिए वहाँ से जाने लगी। तब साक्षी ने कहा”रूको,माँ!पूरी बात तो सुनती जाओ,क्योंकि आप तो कुछ नही कहोगी,सिर्फ सुनोगी,पापा आप बिल्कुल सही कह रहे है।माँ बददिमाग है,जो औरत दिमाग होते हुए भी दिमाग का इस्तेमाल नही करती,उसको और क्या कहते है?तभी तो चिढ़ती हुँ मैं इनसे,जब से होश सम्भाला है सबको यही कहते सुना है,औरतों के पास दिमाग नही होता,।”
माँ मैं इतने सालों से यही जनना चाहती हुँ की आखिर क्यों सहती है आप इतना, क्यों नही प्रतिकार करती है। क्यों नही अपने अपमान पर अपने आत्मसम्मान के लिए अपनी आवाज ऊंची करती है।
पापा आप सबको पता है मै शादी क्यों नही करना चाहती, क्योंकि मैं पहले अपना घर बनाना चाहती हूँ, जिसपर मेरे नाम का नेमप्लेट हो,जिसपर मेरा हक हो, जिस घर से मुझे निकालने की कोई धमकी ना दे सके। जिस घर में मुझे कोई बददिमाग कहकर अपमानित ना कर सके,जिस दिन मैं अपना घर और बैंक बैलेंस बना लुंगी,उसी दिन मैं शादी करूँगी।
क्योंकि मैं माँ और दीदी की तरह कभी नही बन सकती, ना ही बनना चाहूँगी, कैसे जीजाजी ने दीदी को मारपीट कर गुस्से में यहां भेज दिया। ये कहते हुए की वो उनका घर नही।कोई मुझे ग़ुस्से मे अपने बाप के घर चले जाने को कहे। मैं खुद को लाचार या बेचारी महसूस नही करा सकती। मेरे लिए मेरे जीवन मे परिवार की खुशी के साथ साथ मेरी खुशी भी मुझे उतनी ही प्यारी है।
साक्षी ने रमा का हाथ पकड़ते हुए कहा”माँ आप इस दुनिया की सबसे अच्छी माँ,एक बहु और पत्नी हो। लेकिन आप खुद के लिए कभी कुछ नही कर पाई इन रिश्तो की खुशी को बनाये रखने के लिए आपने अपनी खुशियां ही नही अपना आत्मसमान और अपनी सरकारी नौकरी भी कुर्बान दी। बचपन से सुनती आ रही हूं दादी,पापा आपको गुस्से में कहते ये तुम्हारा घर नहीं, नानी के घर जाने पर वो लोग भी यही कहते। आपके लिए ऐसे शब्द सुनती तो मैं सोचती फिर आपका घर कहाँ है? आप अपने घर क्यों नहीं चलती हमको लेकर और उससे भी ज्यादा गुस्सा तब आता है जब आप सबकुछ चुपचाप सुनती है। लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती गयी मुझे मतलब समझ मे आने लगा। इसलिए मैने ये निश्चिय किया”
माफ कीजियेगा पापा, लेकिन मैंने पहले माँ और आपके,बाद में दीदी और जीजाजी के रिश्ते को देखकर ही ये निर्णय लिया कि मैं पहले अपना घर बनाऊंगी फिर शादी करूँगी ताकि जैसे आप मां को कहते थे कि अपने बाप के घर चली जाओ,ये घर तुम्हारा नहीं वैसे कोई मुझे ना कह सके। क्योंकि सामाजिक तौर पर हर महिला के दो घर होते है,मायका और ससुराल लेकिन असलियत मैं उसका अपना कोई घर नही होता। वो हमेशा ही दोनो जगहों के लिए परायी ही होती है।
“आई एम सॉरी; मां!आपको मुझसे क्या किसी से भी माफी मांगने की जरूरत नही?क्योंकि आपने आजतक कभी किसी के साथ कोई अन्याय नही किया, सभी रिश्ते बखूबी निभाये, हम सब को तो आपसे माफी मांगनी चाहिए”कहते हुए साक्षी रमा के गले लग गयी।
अनिल जैन
जो अत्याचार अफगानिस्तान,पाकिस्तान,कश्मीर मे हो चुका है..
और बंग्लादेश मे हो रहा वो पुरे भारतवर्ष मे कितने सालों के बाद हो सकता है ??
Priyadarshi Tiwari
सभी के असली चेहरे न दिखा ऐ जिंदगी
कुछ लोगों कि हम इज्जत करते है