Anupama Jain
(owner)
लगाव नही है मुझे तुमसे,
ठहराव हो तुम मेरा,
जहां से में कभी गुजरना नही चाहती,
बस गई हूं,थम गई हूं,
और ठहर गई हैं मेरी सारी भावनाएं,
मेरे सारे एहसास बस तुम पर आकर,❣️
जैसे तपती सड़क पर चलते हुए,
किसी मुसाफिर को मिल जाती है,
किसी घने से पेड़ की छांव ,
और वो सुकून से बैठ जाता हैं वहां,
ऐसा लगता है मानो ..
जो सांसों का आवागमन,
रुक सा गया था मीलों चलते चलते,
वो फिर से गति पकड़ चुका है,
धड़कने फिर से थिरकने लगी हैं,
अपनी वही चाल.....
मगर मैं मुसाफिर की तरह,
उठकर चलने जाने वालों में से नही हूं,
मैंने तुम्हारी शीतलता को बसा लिया है,
अपने भीतर ही,
और मैं सदैव रहना चाहती हूं ,
तुम्हारे स्नेह की ठंडी छाया में,
बिना किसी स्वार्थ के ,
जो मुझे तुमसे मिला है,
तुम्हारा अस्तित्व क्षणिक नही है मेरे लिए,
अरे ...
तुम तो आधारशिला हो मेरी ,
मेरे एहसासों का सुंदर सा घरौंदा तुम हो,
तुम बिन कहां कुछ महसूस हो पाता है मुझे,
तुम बिन मैं कहां फिर मैं रह जाती हूं....!❤️
शशि यादव
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