सुनील दुवे
कलेक्टर भिण्ड ने सेण्ट माइकल स्कूल, कीरतपुरा के संचालक को जारी किया नोटिस
कलेक्टर श्री संजीव श्रीवास्तव ने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने पर संचालक, सेण्ट माइकल स्कूल, कीरतपुरा, भिण्ड को नोटिस जारी कर दिया है।
कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने जारी नोटिस में कहा है कि, दिनांक 27 जून 2024 को आपके विद्यालय की
जांच कलेक्टर द्वारा गठित समिति द्वारा किये जाने पर ज्ञात हुआ कि कक्षा 1 एवं 2 में आपके द्वारा 13 किताबें निर्धारित की गई हैं। जिनमें से 3 किताबें एनसीईआरटी द्वारा अनुमोदित है तथा 10 किताबें अन्य प्रकाशकों की चलाई जा रहीं हैं। इस प्रकार किताबों की संख्या वृद्धि से बस्ते के निर्धारित वजन 2.2 कि०ग्रा० से अधिक होने पर बच्चे के शारीरिक विकास में गंभीर प्रभाव पडने की आशंका है। साथ ही उक्त पुस्तकें नगर के एकमात्र पुस्तक विक्रेता के पास उपलब्ध है।
आपकी मान्यता का अवलोकन करने पर ज्ञात हुआ कि आपने स्कूल द्वारा संचालित पुस्तकों की जानकारी वाले कॉलम में कोई जानकारी नहीं भरी है। यह निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है।
उपरोक्त कारणों को दृष्टिगत रखते हुए क्यों न आपके विद्यालय की मान्यता निरस्त की जाये। आप अपना जबाव 07 दिवस में प्रस्तुत करें कि निर्धारित अवधि में नोटिस का जबाव प्राप्त न होने पर यह समझा जावेगा कि आप अपना पक्ष समर्थन नहीं करना चाह रहे हैं। इस स्थिति में एकपक्षीय कार्यवाही की जावेगी।
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#JansamparkMP
पायल शर्मा
वैष्णो देवी धाम के लिए निकले तीर्थयात्रियों पर हुए इस्लामिक आतंक'वादी आक्रमण में मारे गए श्रद्धालुओ को नमन करती हूं
राजू मिश्रा
कलेक्टर ने समस्त शासकीय/अर्द्धशासकीय/निजी विद्यालयों के कक्षा के.जी./नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों हेतु 12 सितम्बर का अवकाश घोषित किया
जिले में हो रही अत्यधिक वर्षा के कारण छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुये किया आदेश
संस्था प्रमुख तथा समस्त विद्यालय स्टाफ विद्यालय में उपस्थित रहकर शासकीय/पदीय कर्तव्यों का करेंगे निर्वहन
कलेक्टर श्री संजीव श्रीवास्तव ने जिले में हो रही अत्यधिक वर्षा के कारण छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुये जिला अन्तर्गत संचालित समस्त शासकीय/अर्द्धशासकीय/निजी विद्यालयों के कक्षा के.जी./नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों हेतु दिनांक 12 सितम्बर 2024 का अवकाश घोषित किया है।
कलेक्टर श्री श्रीवास्तव ने बताया कि भिण्ड जिले में हो रही अत्यधिक वर्षा के कारण छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुये जिला अन्तर्गत संचालित समस्त शासकीय/अर्द्धशासकीय/निजी विद्यालयों के कक्षा के.जी./नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों हेतु दिनांक 12 सितम्बर 2024 का अवकाश घोषित किये जाने हेतु संचालक, राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल से सहमति चाही गई है।
उक्त संबंध में सहमति प्राप्त होने की प्रत्याशा में जिला अन्तर्गत संचालित समस्त शासकीय/अर्द्धशासकीय/निजी विद्यालयों के कक्षा के.जी./नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों हेतु दिनांक 12 सितम्बर 2024 का अवकाश घोषित किया जाता है। इसके पश्चात आगामी कार्य दिवसों हेतु मानसून की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अवगत कराया जायेगा।
संस्था प्रमुख तथा समस्त विद्यालय स्टाफ विद्यालय में उपस्थित रहकर शासकीय/पदीय कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
#CMMadhyaPradesh
#JansamparkMP
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
स्वामी शिवाश्रम
पिता करे पुत्र भुगते
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मैं राजनैतिक विषय पर टिप्पणी तो करना नहीं चाहता हूँ, तथापि कभी कभी लोगों के एक ही विषय पर बारंबार लिखना मेरे कुछ बोलने को बाध्य करता है, इसी कारण यह लिख रहा हूँ —
आज प्रत्येक सवर्ण आरक्षण को लेकर परेशान है क्यों ? यह आरक्षण का नाग किसने और क्यों पाला ? इस पर कोई कह सकता है कि कांग्रेस ने सत्ता के लिए पाला । तब मेरा प्रश्न होगा कि कांग्रेस ने क्यों पाला वह तो एक समूह है और उस समूह में आजादी के बाद जब संविधान पारित हुआ तब ७०% से अधिक सवर्ण कहे जाने वाले लोग थे और उन सवर्णों में भी सबसे अधिक संख्या संभवतः ब्राह्मणों की थी ।
उस समय यदि संसद में सवर्णों ने भविष्य को देखा होता कि यह उनकी अपनी ही सन्तानों की बेरोजगारी, भुखमरी और आत्महत्या का कारण बनेगी तो यह स्थिति बिल्कुल न होती । यदि सांसदों ने इसका विरोध किया होता तो न तो नेहरू कुछ कर पाते और न ही शेष ३०% सांसद कुछ कर पाते । यदि आरक्षण जातिगत के स्थान पर मात्र आर्थिक आधार पर होता तो आज किसी को भी आत्महत्या न करनी पड़ती और आरक्षण जिन्हें दिया गया है वे लोग ही उस समय की परिस्थिति के अनुसार सर्वाधिक लाभान्वित भी होते । किन्तु सत्ता की भूख चाहे जो करे । आज भी आरक्षण का समर्थन अधिकांश सवर्ण ही कर रहे हैं, जो विपक्ष में बैठे हैं, इनकी संख्या आज भी अधिक है ।
अब जो पुरखों ने किया वह तो भुगतना ही पड़ेगा, फिर रोना क्यों ? अदालतें भला किसी सरकार के विरुद्ध कैसे जा सकती हैं ? भला कोई भी सरकार आरक्षण को समाप्त करने की सोच भी कैसे सकती है ? क्योंकि यह सोचते ही सत्ता चली जायेगी । और यदि बिल पास भी हो जाये तो लागू नहीं हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट बाधा करेगा और यदि वहां से भी पास हो जाये तो खून खराबा,देश बँटवारा तक स्थिति बन जायेगी आरक्षण उसके बाद भी समाप्त होने वाला नहीं है अतः रोना क्यों ? इसी को कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी । पिता करे पुत्र भुगते । ओ३म् !
स्वामी शिवाश्रम