पायल शर्मा
असली धर्म = अच्छे कर्म,
बाकी सब ➡️ मन का भ्रम*
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
जूही सिंह
(owner)
इनबुक साथियों
नमस्कार
आपने मेरे फुरसतिया ग्रुप को ढेर सारा प्यार और सम्मान दिया है उसके लिए आपका शुक्रिया करते हुए एक नया ग्रुप लेकर आ रही हूं उसका शीर्षक है
आप कितने बुद्धिमान है
शशि यादव
कुछ लोगो का प्यार समझ से परे होता है
सोशल मीडिया पर मिलते ही सीधा ब्लॉक हो जाता है।
हरी यादव
मां कहती थी बेटा कोई भी चंदा छोटा नहीं होता,
और चंदे से बड़ा कोई धंधा नहीं होता हैं।
शशिरंजन सिंह
केदारनाथ त्रासदी जून 2013 शायद लोगों की याददाश्त से उतर जाए, लेकिन है सिर्फ 10 साल पुरानी बात ।
उस त्रासदी में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने PM Relief Fund में जमकर पूरे देश से दान मांगा और देशवासियों ने बढ़-चढ़ कर दान दिया भी था, लेकिन 8000 करोड़ रु मिले दान का शायद ही 10% भी खर्च किया गया हो । उसमें भी विवाद ये था कि उत्तराखंड सरकार ने केंद्र का विरोध करते हुए कहा था कि केंद्र से उसे मात्र 5700 रु करोड़ ही मिले, बाकी का केंद्र और राज्य के बीच गोलमाल का पता भी नहीं चला ।
खैर 2015 में जब आपदा की CAG रिपोर्ट आयी तो केंद्र और राज्य दोनों में ही भाजपा की सरकार थी ।
रिपोर्ट में आपको जानकर ताज्जुब होगा कि ऑडिट में आधा लीटर दूध की कीमत 195 रुपये बताई गई थी ।
एक टाइम का खाना जो लोगों को उस आपदा में दिया गया, उसकी कीमत 900 रु. थी ।
साधारण होटल के कमरों का एक दिन का भाड़ा 6-7 हज़ार रुपये था।
बहुत से ट्रक का नम्बर स्कूटरों का निकला और उस पर गई राहत सामग्री भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई ।
जो सबसे बड़ी तकलीफदेह बात रही, जिससे कोई भी इंसान आग बबूला हो जाएगा, वो ये कि लाश को केदार नाथ से देहरादून तक लाने का जिस एकमात्र कम्पनी Blue Breeze Trading Pvt Ltd. को ठेका दिया गया, वो दिल्ली की कम्पनी थी ।
और उस कम्पनी ने 1 लाश को ढोने का किराया 1 लाख और ज़िंदा आदमी को देहरादून पहुचाने का भाड़ा 2 लाख लिया और उस कम्पनी के 2 डायरेक्टर थे, एक रोबर्ट वाड्रा, दूसरी उनकी माँ मौरीन वाड्रा ।
ऐसी बदनीयत रखने वालों को तकलीफ ये है कि PM Relief Fund को लूटने का मौका इनके हाथ से निकल गया और इनको तक़लीफ़ इस बात की है कि जो पैसा इनके ऐशों आराम में खर्च होना था, उसका उपयोग 80 करोड़ की आबादी को 8 महीने राशन देने में कैसे हुआ, 20 करोड़ महिलाओं को 500 रु महीना 3 महीने तक देने में क्यों हुआ ।
GST से कोरोना में 3-4 लाख करोड़ का सरकार को नुकसान होने के बावजूद सरकार कैसे ऐसे काम कर रही है । तकलीफ इनको इस बात की है कि देश में PM Relief Fund से 47000 वेंटिलेटर से 1.5 लाख वेंटिलेटर कैसे हो गए ।
ये अधर्मी लाशों पर व्यवसाय करते हैं । ये उस मोदी से तुलना कर रहे हैं, जिसने अपने एक साल में मिले सभी उपहारों की नीलामी से 103 करोड़ रु बचा कर शैक्षिक संस्थाओं को दान दे दिया । जिसने अपनी तनख्वाह का 21 लाख कुम्भ मेले के कर्मचारियों को दे दिया, जो अपनी किचन का खर्चा अपनी जेब से करता है, उसको ये चोर कहते हैं ।
चुल्लू भर पानी भी कम है इनके लिए...
कुछ ताकतें सच दबाने में लगी हुई हैं, इसलिए कृपया रिपोस्ट अवश्य करें !
wattsaap से
अनिल जैन
जो आदमी हार के डर से
अपनी पारम्परिक सीट छोड़कर भाग जाए
वो मुसीबत आने पर देश छोड़कर भी भाग सकता है
मोहन सिंह
swiggy ,zomato अपनी जगह ठीक है पर पापा लौटते वक़्त कुछ ले आइयेगा
Priyadarshi Tiwari
*भीषण गर्मी पर बुंदेलखंड के कवि की सुंदर रचना*
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
*विकट दुफ़रिया है सन्नानी*
सूरज निकरो है खिसिया कें, विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
ऊपर-नेंचें प्रान हो रये,लपटें करें खूब मनमानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
मौसम लयें आग के हंटर,जो मिल रव सो मार रओ है।
धूप तुनक के लाल हो गयी,पहिले भारी प्यार रओ है।
सूरज खों रंगदारी करबे,की आदत है भोत पुरानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
गरम हवा सब फेंक रये हैं,कूलर-पंखा फेल हो गये।
बाहर जाबे की दम नैयाँ,नजरबन्द,घर जेल हो गये।।
मूँड़ सें चुयें पसीना,अखल-बखल हो रय सब प्रानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
नदियाँ सबई दूबरी हो गयीं, ताल-तलैया सूख गये हैं।
जाने कहाँ गयी हरयाली,मरे मरे से रूख भये हैं।।
ढोर-बछेरू छाँव ढूंढ रय,पीबे तक कों नैयाँ पानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
पके कलींदे, मठा, चीमरी, सकला, सतुआ,पनो आम को।
गन्ना रस,अंगूर,संतरा,करें सामनो कठिन घाम को।।
कुल्फी और बरफ को गोला, खाके तबियत तनक जुड़ानी।।
सूरज निकरो है खिसिया कें, विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
ऊपर -नेंचें प्रान हो रये, लपटें करतीं हैं मनमानी।।
*विकट दुफ़रिया है सन्नानी।*
आपका इनबुक
द्रौपदी मुर्मू जी होंगी अगली राष्ट्रपति!
उम्मीदवार
नारी शक्ति को नमन