पायल शर्मा
असली धर्म = अच्छे कर्म,
बाकी सब ➡️ मन का भ्रम*
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
जूही सिंह
(owner)
इनबुक साथियों
नमस्कार
आपने मेरे फुरसतिया ग्रुप को ढेर सारा प्यार और सम्मान दिया है उसके लिए आपका शुक्रिया करते हुए एक नया ग्रुप लेकर आ रही हूं उसका शीर्षक है
आप कितने बुद्धिमान है
शशि यादव
कुछ लोगो का प्यार समझ से परे होता है
सोशल मीडिया पर मिलते ही सीधा ब्लॉक हो जाता है।
हरी यादव
मां कहती थी बेटा कोई भी चंदा छोटा नहीं होता,
और चंदे से बड़ा कोई धंधा नहीं होता हैं।
शशिरंजन सिंह
**कांग्रेस भारत को संविधान के माध्यम से मुस्लिम राष्ट्र बना चुकी थी;बस घोषणा नहीं कर पाई।**
●अनुच्छेद 25, 28, 30 (1950)
●एचआरसीई अधिनियम (1951)
●एचसीबी एमपीएल (1956)
●धर्मनिरपेक्षता (1975)
●अल्पसंख्यक अधिनियम (1992)
●POW अधिनियम (1991)
●वक्फ अधिनियम (1995)
●राम सेतु शपथ पत्र (2007)
●केसर (2009)
*1)* उन्होंने अनुच्छेद 25 द्वारा धर्मांतरण को वैध बनाया।
*2)* उन्होंने अनुच्छेद 28 के माध्यम से हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली लेकिन अनुच्छेद 30 के माध्यम से मुस्लिमों और ईसाईयों को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी।
*3)* उन्होंने एचआरसीई अधिनियम 1951 लागू करके सभी मंदिरों और मंदिरों का पैसा हिंदुओं से छीन लिया।
*4)* उन्होंने हिंदू कोड बिल के तहत तलाक कानून, दहेज कानून द्वारा हिंदू परिवारों को नष्ट कर दिया लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छुआ। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी ताकि वे अपनी जनसंख्या बढ़ाते रहें।
*5)* 1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया ताकि मुस्लिम लड़के आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सकें।
*6)* 1975 में उन्होंने आपातकाल लगाया, जबरदस्ती धर्मनिरपेक्षता शब्द संविधान में जोड़ा और जबरदस्ती भारत को धर्मनिरपेक्ष बना दिया।
केवल हिंदुओं की नसबंदी कर देश की डेमोग्राफी बदलने की शुरुआत की।जिसका असर अब दिखाई दे रहा है।
*7)* कांग्रेस यहीं नहीं रुकी 1991 में वे अल्पसंख्यक आयोग कानून लेकर आये और घोषणा की
एमएसएल! एम को अल्पसंख्यक माना जाता है, हालांकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक नहीं हो सकते।
*8)* उन्होंने सरकारी छात्रवृत्ति जैसे विशेष अधिकार दिए ताकि अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत उन्हें लाभ मिले।
*9)* 1992 में उन्होंने हिंदुओं को उनके मंदिर कानूनी तरीके से वापस लेने से रोक दिया और पूजा स्थल अधिनियम द्वारा 40000 मंदिर हिंदुओं से छीन लिए।
*10)* कांग्रेस यहीं नहीं रुकी और 1995 में उन्होंने मुसलमानों को किसी भी जमीन पर दावा करने, वक्फ अधिनियम के जरिए किसी भी हिंदू की जमीन छीनने का अधिकार दे दिया और मुसलमानों को भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बना दिया।
*11)* 2007 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु हलफनामे में *श्री राम* के अस्तित्व को अस्वीकार कर दिया और हिंदू विरोधी धर्मयुद्ध में चरम बिंदु 2009 में था जब कांग्रेस ने भगवा चरमपंथ शब्द गढ़कर हिंदू धर्म को चरमपंथी धर्म घोषित किया।
*12)* और मजे की बात यह है कि इसी कांग्रेस ने अपने 136 साल के इतिहास में कभी बुर्के में, तीन तलाक में कोई अतिवाद नहीं पाया!
*13)* कांग्रेस धीरे-धीरे बड़ी चतुराई से हिंदुओं को नंगा करती रही, वे एक-एक करके हिंदू अधिकारों को छीनते रहे और अब हिंदू पूरी तरह से हर चीज से वंचित हो गए हैं और मजेदार बात यह है कि हिन्दुओं को इसके बारे में पता तक नहीं है।
*14)* उनके पास अपने मंदिर नहीं हैं, उनके पास अपनी धार्मिक शिक्षा नहीं है, उनकी ज़मीनें उनकी स्थायी संपत्ति नहीं हैं।
और वे प्रश्न भी नहीं पूछते!
क्यों मस्जिद और चर्च स्वतंत्र हैं, लेकिन मंदिर सरकार के अधीन हैं? नियंत्रण में है?
वित्त पोषित मदरसे, कॉन्वेंट स्कूल है लेकिन सरकारी वित्त पोषित गुरुकुल नहीं???
*उनका वक्फ अधिनियम तो हिंदू भूमि अधिनियम क्यों नहीं है???*
*उनका मुस्लिम पर्सनल बोर्ड, लेकिन हिंदू पर्सनल बोर्ड नहीं???*
*यदि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो यहां बहुसंख्यक, अल्पसंख्यक क्यों हैं??? स्कूलों में रामायण और महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जाती???*
*15)* औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए तलवार का इस्तेमाल किया, कांग्रेस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए संविधान, अधिनियमों, विधेयकों का इस्तेमाल किया और जहां तलवार विफल रही, वहां संविधान ने यह काम किया।
*16)* और फिर मीडिया है।
अगर कोई ये सवाल पूछने की कोशिश करता है तो उसे सांप्रदायिक, भगवा और भक्त घोषित कर दिया जाता है।
यदि कोई राजनेता इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तो उन्हें बुलाया जाता है क्योंकि वे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।
*17)* याद रखें शक्तिशाली रोमन धर्म के पतन में केवल 80 वर्ष लगे।
प्रत्येक हिंदू को रोमन सभ्यता के पतन के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए।
कोई भी बाहरी ताकत उन्हें हरा नहीं सकी, वे आंतरिक रूप से अपने ही शासक कॉन्सटेंटाइन और ईसाई धर्म से हार गए।
*18)* हिंदुओं ने 1950 से नेहरू और उनके परिवार को चुना और भारी कीमत चुकाई है और अधिकांश वर्षों तक कांग्रेस सरकारों से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है।
*दोष केवल कांग्रेस पर नहीं होना चाहिए... वे क्षेत्रीय दल भी दोषी हैं जो राजनीतिक कारणों से समय-समय पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करते रहे और मूक दर्शक बने रहे... जागो ।
काँग्रेस आज भी सेकुलरिज्म के नाम पर मुसलमानो, ईसाईयों, वामपंथियों, आतंकवादियों, देशद्रोहियों के लिए समर्पित है।
अनिल जैन
केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अन्ना हजारे का हैरान करने वाला बयान कहा इसकी तो
मोहन सिंह
swiggy ,zomato अपनी जगह ठीक है पर पापा लौटते वक़्त कुछ ले आइयेगा
आपका इनबुक
द्रौपदी मुर्मू जी होंगी अगली राष्ट्रपति!
उम्मीदवार
नारी शक्ति को नमन
Deoratna Goel
कांग्रेस अमेरिका का कानून चाहती है
तो पहले भारत में अमेरिका की तरह
चुनाव भी शुरू करना चाहिए -
जातिवादी और मुस्लिमों वोट बैंक पर
प्रधानमंत्री के “सीधे चुनाव” से
लगाम लगेगी -
भारत के विकास के लिए मेरा दूसरा
“रामबाण” उपाय -
कांग्रेस ने जो सांप्रदायिक एजेंडा छेड़ा है कथिक धनवानों की संपत्ति को गरीबों (मुस्लिमों) में बांटने का और शरीया कानून लागू करने का, वह काम संविधान को ख़त्म किए बिना नहीं किया जा सकता क्योंकि भारत का संविधान विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका को स्वतंत्र अधिकार देता है और कांग्रेस यदि शरीया लागू करती है तो उसका मतलब है न्यायपालिका को तिलांजलि दे दी जाएगी -
जबकि कांग्रेस और उसके विपक्षी साथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकतंत्र और संविधान को नष्ट करने का आरोप लगा रहे हैं और कह रहे है कि मोदी को हराना है लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए जबकि ये खुद चाहते हैं कि संविधान और लोकतंत्र को ध्वस्त कर दिया जाए -
कांग्रेस अमेरिकी system थोप कर भारत में लूट शुरू करना चाहती है जिससे गृह युद्ध छिड़ जाए और वह संपत्ति को बांटने का काम भी बिना संविधान को पलटे नहीं हो सकता -
अब अगर कांग्रेस अमेरिकी सामाजिक system लाना चाहती है तो पहले वहां का Political System भारत में लागू करना चाहिए जिसके बिना संविधान को कांग्रेस के संपत्ति बंटवारे की योजना अमल में लाने के लिए नहीं बदला जा सकता -
आज भारत के राजनीतिक system में हर चुनाव में caste based voting और मुस्लिमों की वोटिंग पर ही सारा दारोमदार रहता है - जिससे देश में बहुत समय तक राजनीतिक अस्थिरता रही है और देश का वह विकास नहीं हो सका जो होना चाहिए था -
इसलिए देश के समग्र विकास के लिए अमेरिकी Political system अपना लेना चाहिए और राष्ट्रपति पद का Direct Election किया जाना चाहिए अमेरिका की तरह - इस व्यवस्था से कश्मीर से कन्याकुमारी तक मुस्लिमों, ईसाइयों और जातिगत आधारित वोटरों की कीमत एक जैसी होगी और कोई दल कम से कम राष्ट्रपति के चुनाव में ऐसे वोटरों से चुनाव को एकतरफा नहीं मोड़ सकेगा जैसा आज कर लेते हैं - मुस्लिम वोटर 543 में से करीब 100 सीट पर अपना जलवा दिखा कर चुनाव का सारा रुख बदल सकते हैं -
मुस्लिमों की जनसंख्या इस तरह देश के हिस्सों में फैलाई गई है जो चुनावों को प्रभावित कर सकती है - आप ऐसी सीटों को देख सकते हैं जहां यह होता आया है -
यह देश के सही मायने में विकास के अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है और अब समय आ गया है कि इस पर राष्ट्रव्यापी बहस शुरू की जाए और 2029 में चुनाव “राष्ट्रपति” पद के लिए सीधे कराए जाएं - यह मेरा भारत के विकास के लिए दूसरा “रामबाण उपाय” है - पहले में मैंने कहा था कि कोई भी धार्मिक समूह की यदि आबादी 5% से कम है, तब ही उसे “Minority” का दर्जा मिलना चाहिए, किसी भी “Religious Community” को 5% से ज्यादा जनसंख्या होने पर कोई “Minority Rights” नहीं मिलेंगे -
कांग्रेस यदि संपत्ति बंटवारे के लिए अमेरिकी व्यवस्था चाहती है तो पहले राजनीतिक व्यवस्था भी अमेरिकी लाने के लिए हामी भरे - चुनाव आयोग को कांग्रेस का “सांप्रदायिक घोषणापत्र” असंवैधानिक घोषित कर कांग्रेस के उम्मीदवारों को चुनाव से हटा देना चाहिए -
(सुभाष चन्द्र - मोदी का परिवार)
“मैं वंशज श्री राम का”
26/04/2024