Tiwari Rajeshwari
देश में बढ़ती #सनातनी_एकता देखकर विपक्ष और मजहबी पार्टियां घबराई हुई है
वो धार्मिक उन्माद फैलाकर इस #सनातनी_एकता को तोड़ कर सनातनियो को टुकड़ों में बांटना चाहते है
और इस उन्माद को पैदा करने के लिए यादव और मौर्या मिलकर गर्भ धारण करने की फिराक में है
रणजीत राय
विंस्टन चर्चिल:
द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री थे.
अंग्रेजी फौज बर्मा में जापान के साथ युद्ध लड़ रही थी. उस समय इन्होंने एक बहुत ही खतरनाक निर्णय लिया. इन्होंने ऑर्डर दिया कि पूरे बंगाल में से राशन इकट्ठा करके फौजियों के लिए रिजर्व कर दो. इनके सलाहकार ने इन को आगाह किया कि अगर आप ऐसा करोगे तो बंगाली लोगों को खाने के लिए अनाज नहीं मिल पाएगा और वह भूख से मर जाएंगे. इस पर विंस्टन चर्चिल ने उनको जवाब दिया कि भारतीय जनता खरगोशों की तरह बच्चे पैदा करते हैं और अपनी आबादी बढ़ाने में लगे रहते हैं. अगर 10-20 लाख लोग मर भी जाएंगे तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता बस मेरी फौज का एक भी आदमी भूखा नहीं रहना चाहिए.
और इतिहास गवाह है कि बंगाल में 1943 में 30 से 40 लाख लोग उन दिनों अनाज की कमी के चलते भूख से मर गए थे.
पूछता है भारत कि
क्या बीबीसी वालों को विंस्टन चर्चिल के ऊपर डॉक्यूमेंट्री बनाने का कभी ख्याल नहीं आया। इनको डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी ही मिले थे❓
डॉक्यूमेंट्री बनाना मेरा कार्यक्षेत्र नहीं है पर मैं यह जरूर चाहूंगा कि कोई भारतीय न्यूज़ चैनल विंस्टन चर्चिल के ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री बनाएं और पूरे विश्व को इन अंग्रेजों की दोगली नीति से परिचित कराए
Deoratna Goel
वाल्मीकि रामायण और तुलसी कृत रामायण में बेसिक फर्क ये है कि वाल्मीकि रामायण कंठस्थ करने के लिए लिखी गई थी जबकि तुलसी रामायण मंच पर परफॉर्मेंस करने के लिए लिखी गई।
अभी हम रामलीला, टीवी सीरियल्स या फिल्मों में जो रामायण देखते हैं, उसमे दावा जरूर किया जाता है, 'वाल्मिकी रामायण पर आधारित' लेकिन वास्तव में वह आधारित रामचरित मानस पर ही होती है।
वाल्मीकि रामायण को मंच पर परफ़ॉर्म ही नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि रामायण से जुड़े कई प्रसंग हमारी आस्था, हमारी कहानियों का हिस्सा है जो वाल्मीकि रामायण में घटित ही नहीं हुए।
करोड़ो कंठो में विराजमान वाल्मीकि रामायण को तुलसी दास जी मानस रूप में लिखकर करोड़ो हृदयों में आत्मा के रूप में स्थापित कर दिया है।
मानस हिंदुत्व और हिन्दुओं की आत्मा है और आत्मा को न जलाया जा सकता है, न मिटाया जा सकता है।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
साभार जोया मंसूरी जी ।