संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Anupama Jain
तुम्हे जब भी ऐसा लगे कि
जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख है..!!
तो उसे याद करो
जिसे तुमने मन की गहराईयों से प्रेम किया हो,
जिसमे डूबकर तुम दुनिया को भूले हो,
चाहे वो एक पल के लिए ही क्यों ना रहा हो,
वो खूबसूरत पल तुम्हे गुदगुदाएगा,
तुम्हारे होंठो पे मुस्कराहट ला देगा,
तुम्हारे दुखो को,
तुम्हारी वेदना को तुमसे दूर ले जायेगा..
यकीन ना हो तो कभी करके देखो..
वो एक लम्हा ही
तुम्हारे रोम रोम में प्रेम को भर देगा,
कुछ बरस सा जायेगा,
और फिर बस..
तुम भीग जाओगे..
उन चंद लम्हो में पूरी जिंदगी जी लोगे..
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
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