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(owner)
*Your Wife Is Your Wife*
A married couple were walking through a garden, when suddenly a dog ran towards them.
They both knew it will bite them..
The husband lifted his wife to let the dog bite him rather than his sweetheart.
The dog stopped before them, unsure what to do, barked a little and ran away.
The husband put his wife down, expecting a hug and a few kind words of gratitude from her.
But his wife shouted, “I've seen people throwing stones & sticks at dogs, *this is the first time I see someone trying to throw his wife at a dog*
_Moral : No one else can *misunderstand* a Husband better than a Wife_
*Happy International*
*Married Men's Day*
Laughing keeps u healthy
Deoratna Goel
केन्या का राष्ट्रपति चीन जाता है और फिर आकर कहता है कि मैं वहां से आपके(केन्या) लिए गिफ्ट लाया हूँ।
इधर अडानी पर हमला होता है। केन्या का राष्ट्रपति बहाना बनाता है और अडानी की 700 मिलीयन की पावर डील कैंसल कर देता है। साथ ही 1.8 बिलियन की एयरपोर्ट डील भी।
दोनों में अडानी के कॉम्पटीशन में चीन की कम्पनियां थी।
अब मजे की बात ये है कि जो काम अडानी भारत के लिए करता है वही काम चीनी कम्पनियां CCP के लिए करती हैं। अर्थात विदेशों में पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स, माइंस आदि लेना।
अब उधर अमरीका में कबाल अडानी पर हमला कर रहा है जिसका उद्देश्य अडानी को इंटरनेशन मार्केट से पैसे जुटाने में रोकना है।
फायदा चीन का हो रहा।
नाच यहां मुस्लिम लीग रही जो अदृश्य राज्य की भी रखैल है और चीन की भी।
इस तरह दो सबसे बड़े भारत के दुश्मन अडानी पर हमलावर हैं और हम यदि यहां इन भरवों को गद्दार कह दें तो हम अडानी को बचा रहे हैं।
और अडानी पर हमला इसलिए होता है कि डायरेक्ट हमला आप मोदी पर नही कर सकते। कौन यकीन करेगा कि मोदी को पैसा बनाना है?
तो बेहतर है कि भारत के उभरते बिजनेस मैन पर हमला करो जिसे विदेशी एजेंसियां ही मान रही कि मस्क के बाद वो दूसरा बिजनेस मैन बनेगा जो ट्रिलियन डॉलर का मालिक होगा, अर्थात ट्रिलिनीयर बनेगा।
अडानी ने ग्रीन ऊर्जा में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 10 बिलियन तो अमरीका में निवेश करने का प्लान है।
ऐसे में उसको वहां आरोपी बना दो ताकि ट्रम्प उसके साथ बिजनेस न कर पाए। तो फायदा किसका हो रहा है?
जाहिर है जो बड़े प्लेयर अडानी को रिप्लेस कर सकते हैं, और वो चाइनीज हैं।
बाकियों की बसकी बात भी नही।
और खेल क्या खेला गया?
इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिले हैं।
तो क्या व्हाट्सएप चैट थी? ईमेल थे? फोन रिकॉर्डिंग थी?
वही खेल कि कहो कि आपका मेसेज इनक्रिप्टेड है और चुपचाप उसे स्टोर कर लो।(जिस वजह से व्हाट्सएप पर 5 साल का बैन लगा है)
इधर एक मटरचोर सॉरी मदरनंदन कबसे कह रहा कि भारतीय बाजार में निवेश मत करो।
और दिक्कत ये नही कि आप नही करते, आप तो 5% भी नही हैं।
दिक्कत है SBI, LIC जैसी फर्म्स हैं वो आपका पैसा भारतीय बाजार में लगाती हैं।
इसी वजह से तो यदि शेयर मार्केट को दिक्कत हुई तो आपकी फर्म्स को दिक्कत होगी जिसमें अंततः आपको दिक्कत होगी जो फिर सड़क पर उपद्रव में बदलेगी।
और इसे ऐसे भी समझो कि जिस देश ने समुद्र पर राज किया वही दुनिया पर राज करता है।
एक समय ब्रिटेन की नेवी ऐसी थी तो उसका राज था। फिर अमेरिका की हो गयी तो उसका राज है और अब चीन वो कोशिश कर रहा है।
और हर देश को सिर्फ जहाज नही चाहिए समुद्र में मंडराने के लिए बल्कि वो जहाज कहीं डॉक भी तो करने चाहिए तो उसके लिए चाहिए होता है बंदरगाह।
तो आज जो बंदरगाह व्यापार के लिए है, कल वो युद्ध के काम भी आता है।
एक अदना रनवे तक बड़े मिलिट्री कार्गो प्लेन या फाइटर प्लेन को लैंड करने के काम आता है और अडानी यही तो कर रहा है।
आज उसके पास करीब दुनिया भर में 30+ पोर्ट्स हैं(भारत सहित), लेकिन वो भारत के लिए(अपने व्यापार के लिए भी) आगे भी कोशिश में लगा है कि ज्यादा से ज्यादा पोर्ट, एयरपोर्ट हथिया दूं तो दिक्कत किन्हें हो रही, आप देख रहे हैं।
वो माइंस जैसी जगह जाता है जहां पहले से ही अमरीका घुसा है या चीन घुस रहा है क्योंकि ऐसा निवेश 50-100 साल के लिए हो जाता है तो वहां की सरकार के साथ आपकी बॉन्डिंग बन जाती है फिर चाहे कोई भी सरकार आती रहे जिससे आप वहां अपना इंफ्लुएंस बरकरार रख सको।
एनर्जी कल भी फ्यूचर था और आज भी है।
तब तेल वाले देश दुनिया चला रहे थे, आगे ग्रीन एनर्जी वाले चलाएंगे तो वो वहां भी कोशिश में लगा है।
तो सोचो किसे दिक्कत आ रही होगी?
क्योंकि एशिया में जिसे हमसे दिक्कत है वो है चीन और पश्चिम में जिसे हमसे दिक्कत है वो है अमरीका।
और दिक्कत का कारण ये है कि हम इनकी शर्तों पर व्यापार नही करते। इनके कहने पर नीतियां नही बनाते और न बदलते।
अमरीका ने चीन को खड़ा किया लेकिन भारत अपने दम पर खड़ा हो रहा है।
और यहीं पर दिक्कत है क्योंकि जब आप किसी और के भरोसे ऊपर उठते हो तो उसके अनुसार काम करते हो।
और यदि आप अपने को ध्यान में रखकर ऊपर उठना चाहते हो तो आप वो फैसले लेते हो जो आपके फायदे में हों।
और इसी से अमरीका और चीन को दिक्कत है कि वो भारत को डिक्टेट नही कर पाते।
इसी वजह से दोनों भारत पर एक साथ हमलावर होते हैं भले ही आपस में दुश्मन हों क्योंकि भारत यदि ऐसे ही बढ़ता रहा तो बिना इनकी बदौलत, इनसे बहुत आगे निकल जायेगा जो अंततः दुनिया को अपनी ओर खींच लेगा बिना कोई दमन किये या कर्ज के बोझ तले किसी देश को डालकर।
इसलिए जब अमरीका भारत पर हमला करता है तो चीन फायदा उठाने की कोशिश करता है।
और जब चीन भारत पर हमला करता है तो अमरीका फायदा उठाने की कोशिश करता है।
दोनों को लगता है कि हमारी लड़ाई में तीसरा कहाँ से उभर रहा।
हम दोनों ही दुनिया पर राज करेंगे।
वरना चीन की कितनी कम्पनियां अमरीका में बेमानी करती हैं, उनपर कितने केस हुए?
अमरीका की तो दुनिया भर में करती हैं, उनपर कितने केस हुए?
और केस छोड़ो, मीडिया ने ही कितना हल्ला किया जो इनके बिजनेस प्रभावित हुए?
इसी वजह से भारत को जो करना या लड़ना है वो अपने दम पर ही करना/लड़ना है।
एक फ्रंट में अमरीका है और दूसरे फ्रंट में चीन।
और आधे फ्रंट में दोनों का पालतू पिल्ला उर्फ मुस्लिम लीग है।
असली ढाई फ्रंट ये है भारत का।
बाकी सब तो इनके(ढाई फ्रंट के) पिल्ले हैं जो इनके कहने पर काटने की कोशिश करते हैं।
विशाल