संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Anupama Jain
मस्त रहने दो मुझे यूं ही बस अपनी बेख्याली मे,
कई आशिक जलते देखें हैं मैंने साबन की हरियाली मे...!!!
राजू मिश्रा
हमारी तुम्हारी क्या ही बराबरी
हम तो AK 47 के सामने मृत्यु निश्चित होने पर भी अपना धर्म हिन्दू ही बताते हैं
तुम तो दुकान चलाने के लिए नाम बदल लेते हो
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
jareen jj
अब भी कहोगे साथियों कि
इनबुक को फेसबुक जैसा होना चाहिए
शशि यादव
क्या आप लोग वक्फ बोर्ड को हटाने का समर्थन करते हैं
lalitkgupt50
यक्ष प्रश्न:जो व्यक्ति (अखिलेश) मौलाना साजिद रशीदी के द्वारा किये गये अपनी धर्म पत्नी (डिंपल) के घोर अपमान पर भी चुप है,
मुख्यमंत्री बनने पर वो व्यक्ति अपने राज्य की बहन - बेटियों को भला पत्थरबाज बकरीबाज शांतिदूतों से कैसे बचायेगा...???