संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Anupama Jain
खामोशियाँ अक्सर वो चीखें होती है..!
जो दुनियां सुन नहीं पाती..!
राजू मिश्रा
हमारी तुम्हारी क्या ही बराबरी
हम तो AK 47 के सामने मृत्यु निश्चित होने पर भी अपना धर्म हिन्दू ही बताते हैं
तुम तो दुकान चलाने के लिए नाम बदल लेते हो
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
jareen jj
अब भी कहोगे साथियों कि
इनबुक को फेसबुक जैसा होना चाहिए
शशि यादव
क्या आप लोग वक्फ बोर्ड को हटाने का समर्थन करते हैं
lalitkgupt50
सुना है राज ठाकरे के बच्चे उर्वशी और अमित बॉम्बे स्कॉटिश से पढे हैं.. सड़क पर मराठी मानुष के लिए दंगे करने वाले मनसे के कार्यकर्ताओं को अपने आका से पूछना चाहिए कि उनके बच्चे बॉम्बे स्कॉटिश के मराठी मीडियम में पढ़ते थे क्या और बॉम्बे स्कॉटिश में जब ठाकरे साहब जाते थे तो वहां के शिक्षकों से वह अवश्य मराठी में ही वार्तालाप करते होंगे