संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Anupama Jain
काश कोई रिश्ता ऐसा हो
जो सिर्फ तेरा और मेरा हो.
जिसका ना कोई नाम हो
ना अधिकार की बात हो
बस खूबसूरत एहसास हो
चाहे दूर हो या पास हो.....
काश कोई रिश्ता ऐसा हो
जो सिर्फ तेरा और मेरा हो.....
कुछ पाने की ना आस हो
वो रिश्ता कुछ खास हो.
साथ न होकर भी साथ हो
वो रिश्ता बस रूह की खुराक हो.....
काश कोई रिश्ता ऐसा हो
जो सिर्फ तेरा और मेरा हो...
ना उम्र की बात हो न राज़ की बात हो
न जताने की बात हो
न कुछ छिपाने की बात हो काश कोई रिश्ता ऐसा हो......
राजू मिश्रा
हमारी तुम्हारी क्या ही बराबरी
हम तो AK 47 के सामने मृत्यु निश्चित होने पर भी अपना धर्म हिन्दू ही बताते हैं
तुम तो दुकान चलाने के लिए नाम बदल लेते हो
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
jareen jj
अब भी कहोगे साथियों कि
इनबुक को फेसबुक जैसा होना चाहिए
शशि यादव
क्या आप लोग वक्फ बोर्ड को हटाने का समर्थन करते हैं