Anuj Gangwar
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Amrit Pal
16 मई 2014 को भारत की क्या स्थिति थी??
देश Fragile 5 में था आर्थिक रूप से.
देश के चारों कोने अस्थिर थे..... आंतरिक रूप से एक बड़ा हिस्सा नक्सली आतंकवाद के कब्जे में था.
उत्तर में जम्मू कश्मीर अस्थिर था... पूर्वोत्तर का हर राज्य अस्थिर था.... पश्चिम बंगाल तो खैर माशाअल्लाह था ही.... दक्षिण में केरल था.... और पश्चिम और मध्य-पूर्व में नक्सली-maoist आतंकवाद से 180 से ज्यादा जिले जूझ रहे थे.
हर साल हजारों सामान्य लोग और सैंकड़ो फ़ौजी/पुलिस वाले इन सभी आतंकवादियों की भेंट चढ़ जाते थे.
आज स्थिति क्या है??
हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं. चाहे GDP हो या per capita income हो... हम हर possible parameter में 2014 से कहीं बेहतर हैं.
उत्तर में जम्मू कश्मीर में शांति है.... आतंकवादी हमले लगभग ख़त्म हैं.... हमारे सैनिकों की मृत्यु के आंकड़ों में जबरदस्त गिरावट हुई है.... जल्दी ही यह शून्य हो ऐसी आशा है.
इसके लिए चाहे पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाना हो, चाहे राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाना हो, फैक्स मशीन ख़राब करना हो, धारा 370 और 35 A को अशक्त करना हो, NIA को खुली छूट देना हो... आतंकी और जिहादी फंडिंग की backbone तोडना हो, वहाँ के आतंकियों को दूसरे राज्यों की जेल में डालना हो... घाटी में G -20 का आयोजन कराना हो, मोटर रेस, थिएटर शुरू करना हो.
सरकार ने हरसंभव कार्य किया... कई कामों के लिए तो खुद के समर्थको की गालियां भी सुनी.
पूर्वोत्तर की बात की जाए, तो 2014 में राजनीतिक रूप से भाजपा वहाँ शून्य थी. सीधा सा funda है... जब तक आप सत्ता में नहीं, आप कोई आधारभूत बदलाव नहीं कर सकते.
भाजपा ने पूर्वोत्तर में नया गठबंधन बनाया, हिमांता बिश्व सरमा के हाथों में कमान दी.. कुछ ही समय में भाजपा नीत NDA की सरकार हर राज्य में थी.
भाजपा का गठबंधन ऐसी पार्टियों से था... जो आधारभूत स्तर पर उनकी मत से भिन्न थी.... कोई मिशनरी समर्थक थी, कोई पूर्व में आतंकी गुट से निकली थी.. कोई बीफ समर्थक थी...... भाजपा ने अपने ही समर्थकों की गालियां खाई.. लेकिन गठबंधन करके सत्ता में आई.
सत्ता में आ कर लगभग सभी आतंकी गुटों से pact किये... सभी राज्यों में शान्ति स्थापित की.... वहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर पर जबरदस्त काम हुआ... नौकरी और काम धंधों पर काम हुआ.. Connectivity और Technology में सुधार किया. आतंकी गुट विद्रोह कर रहे थे, तब म्यांमार में जा कर Surgical strike भी कई बार की.
आज पूरा पूर्वोत्तर शांत है. हां मणिपुर में पिछले कुछ समय से अशांति थी.... लेकिन वहाँ भी सेना के आने के बाद अब मामला ठंडा है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भाजपा नेतृत्व ने सारे तिकडम लगाए और इस समूचे इलाके को शांत किया. और यह जाँचने के लिये आप आंकड़े उठा कर देख लीजिये.... आतंकी घटनाये बेहद कम हुई हैं.... Civilian और सैन्य लोगों की मृत्यु का आंकड़ा all time Low है.
जहाँ आतंकवाद और पलायन के चर्चे होते थे... आज वहाँ Crop Export, Semiconductor मैन्युफैक्चरिंग और वर्ल्डक्लास इंफ्रास्ट्रक्चर की बात होती है.
चलते हैं केरल में.
भाजपा ने वहाँ भी सत्ता में आने का प्रयास किया... अभी तक असफल रहे हैं... और जैसे हालात हैं... अगले 10-15 साल भी आना मुश्किल है. हो सकता है वहाँ उन्हें कुछ अप्रत्याशित राजनीतिक गठबंधन करने हो... या कुछ विपक्ष के लोगों को अपने पाले में लाना हो.... विपक्ष में कौन है वहाँ?
Left और कांग्रेस. जाहिर है.. इनके साथ कुछ करेंगे तो समर्थक गाली ही देंगे. लेकिन बिना सत्ता में आये कोई परिवर्तन करना बेहद मुश्किल है.
लेकिन यह लोग लगे हुए हैं.
पश्चिम (महाराष्ट्र के इलाके) और मध्यपूर्व (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, झारखण्ड, और पश्चिम बंगाल ) के इलाके नक्सली और maoist आतंकवाद से त्रस्त थे..... 180 जिलों में इनका प्रभाव था... इसे Red Corridor कहा जाता था. और एक देश के इतने बड़े हिस्से पर विदेशी विचारधारा के आतंकवाद का कब्ज़ा होना.. बहुत ही शर्म की बात थी. हर साल सैंकड़ो सिविलियन और हमारे Reserve पुलिस बल और पुलिस वालों की हत्या होती थी.
अब क्या हालात हैं?
यह संख्या अब घट कर मात्र 6 हो गई है.... इन 6 जिलों में अब नक्सलवाद और Maoist आतंकवाद के निशान बाकि हैं.... जो अगले साल तक मिटा दिए जाएंगे.
इसके लिए सरकार ने कई काम किये.
भारत सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के आर्थिक विकास के लिए तीन योजनाएं शुरू कीं - विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) और विशेष बुनियादी ढांचा योजना (एसआईएस)। सरकार ने Forward Operating bases बनाये सशस्त्र बलों के लिए.
Civilians के लिए नौकरी रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाये... इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया... उन इलाकों में बिजली, पानी, शिक्षा उपलब्ध कराई.... नक्सलो को आत्मसमर्पण करवाया और उन्हें मुख्यधारा में लाया गया.... जो नहीं माने उन्हें ऊपर भेज दिया गया.
सरकार ने तकनीक का उपयोग किया....location-tracking, mobile phone activities, scientific call logs और social media analysis का प्रयोग किया गया... और एक एक नक्सल को ढूँढा और निबटाया..... आज
सभी नामी नक्सली मारे जा चुके हैं.... जो बचे हैं वह भी जल्दी ही साफ किये जाएंगे.
सरकार की नक्सल त्रस्त इलाकों में शान्ति की कई योजनाओ पर उसी के समर्थको द्वारा सवाल भी उठाये गए.... वहाँ क्यों खर्च कर रहे हो... उन लोगों को क्यों पैसा दे रहे हो.. क्यों स्कूल बनवा रहे हो.. क्यों सड़क बनवा रहे हो... आदि आदि.
लेकिन सरकार काम में लगी रही... और आज result सबके सामने है.
अब आते हैं पश्चिम बंगाल पर.
पश्चिम बंगाल की स्थिति ऊपर बताये सभी राज्यों और इलाकों से भिन्न है. आजादी से पहले यह राज्य अग्रणी था.. हर parameter में.
Intellectualism, Art, Culture, Business..... आप कुछ भी उठा लीजिये.... पश्चिम बंगाल देश को दिशा दिखाने वाला हुआ करता था.
देश के विभाजन के साथ ही बंगाल का भी विभाजन हुआ था..... जो पंजाब में हुआ वही बंगाल में भी हुआ. वही मजहबी मार काट... वही पलायन और वही विकृत यादें..... बस एक छोटा लेकिन बहुत बड़ा फर्क था.... पंजाब ने कोई गोपाल पाठा नहीं था... बंगाल में था.
उसके बाद कुछ समय बंगाल को संभलने में लगे... और उसके बाद बंगाल में वामपंथ का नंगा नाच शुरू हुआ. देश में नक्सली और Maoist आतंकवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल से ही हुई.... और उसके बाद देशभक्ति और गोपाल पाठा जैसी विचारधारा का गला घोंट दिया गया.
और इसने पश्चिम बंगाल के समाज और उनकी सोच को दूषित कर डाला. आज भी पश्चिम बंगाल पूरी शिद्द्त से वामपंथ को ही follow करता है... वहाँ समाज बना ही इस तरह से है.
पश्चिम बंगाल वामपंथ और अपराध का एक कॉकटेल बन चुका है.... और इसमें वहाँ का समाज और पूरी व्यवस्था डूबी हुई है.
35 साल वामपंथी शासन के बाद कुछ बदलाव के सुर सुनने को मिले... लेकिन जो नया शासन आया, वह पुराने ढर्रे पर नई शराब जैसा ही है..... बल्कि कहीं ज्यादा आक्रमक है.
1960 के दशक से पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ शुरू हो गई थी... बंगाली राजनेताओं ने इस समस्या को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. वोट बैंक बनाया बांग्लादेशियों को... वहीं बंगाली Elete class (भद्र लोग) ने भी इसे हाथोंहाथ लिया.
मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों है...... लेकिन बंगाल के लोगों में बंगाली पहचान को सर्वोपरि माना जाता है.... देश और धर्म वाली पहचान उसके कहीं बाद आती है. और कहीं ना कहीं यही बहुत बड़ा कारण है बंगाल में अस्थिरता का.
दशकों से जिन विषधरों को बंगाली Elete class दूध पिला रहा था... आज वही प्रदेश का सत्यानाश कर रहे हैं... और इसमें वहाँ की सरकार और पूरी व्यवस्था उनका साथ दे रही है.
सबसे बड़ी बात यह है... कि वहाँ का एक बड़ा तबका इस व्यवस्था से संतुष्ट है..... यह आक्रामकता और अपने आपको सर्वोपरि मानने का दम्भ उनके खून में रच बस गया है.
जो लोग इस विचारधारा से सहमत नहीं हैं.... वो या तो राज्य छोड़ चुके हैं, या फिर दब छुप कर रहते हैं.. और समय समय पर काटे जाते हैं.
समाज का ऐसा पतन और विघटन हमने जम्मू और कश्मीर में भी देखा है.... जो आज भी है और शायद आने वाले कई दशकों तक रहेगा. बंगाल में भी यह व्यवस्था और विचारधारा आने वाले कई सालों तक रहेगी.. यह तय है.
लेकिन इसमें सुधार किया जाना चाहिए.. प्रयास भी हुए हैं.... कुछ आशाजनक परिणाम भी मिले... लेकिन अंततः फिर वहीं लौट आये.
भाजपा ने TMC के लोगों को लिया... क्यूंकि बंगाल में व्याप्त गुंडागर्दी से लड़ने के लिए आपको गुंडे ही लेने पड़ेंगे. ममता बनर्जी ने भी यही किया था..... Left के सारे कैडर को उठा लाई थी...... ज़मीन से लेकर मुख्यमंत्री भवन तक.... Left का समूचा कैडर yaa कहिये गुंडों को ममता बनर्जी ने भर्ती किया... कुछ खुद के बनाये.. कुछ बांग्लादेशी मिलाये और एक बेहद मजबूत कॉकटेल बना दिया.. जिसने उन्हें सत्ता दे दी.
बंगाल में सरकार नहीं होती... एक माफिया होता है... जो अपने हिसाब से सत्ता चलाता है. और यह लोग अपने आप से लोगों को जोड़ने के लिए दशकों से लालच और डर... दोनों का उपयोग करते हैं.
युवाओं के लिए गली मोहल्लों में Youth Services Wing के अड्डे होते हैं..... महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है... कुछ पैसा आदि भी दिया जाता है. काम धंधों में cut लिया जाता है.
जो इस व्यवस्था से सहमत नहीं है... उस पर हमले होते हैं. कभी किसी मुद्दे पर हमले हो जाते हैं.... कोई त्यौहार हो, कोई यात्रा हो... कोई कानून बनाया हो उसके विरोध में हो जाते हैं... और कभी कभी अपनी ताकत और उपस्थिति दिखाने के लिये भी दंगे कराये जाते हैं.
इन दंगों में पीड़ित पक्ष अधिकांश समय एक ही तरह के लोग होते हैं.... उनकी सामाजिक और धार्मिक पहचान एक ही होती है.
भाजपा ने भी इस माफिया में सेंध लगाने का काम किया.. मुकुल रॉय हो या सुवेंदु अधिकारी... यह सब Left के दिनों से राजनीतिक Arranger का काम करते आये थे... इन्होंने ही ममता बनर्जी के लिये सत्ता में आने का रास्ता बनाया था.
भाजपा ने भी इन्ही का उपयोग करने का सोचा... शुरुआत में ज्यादा कुछ असर नहीं पड़ा... फिर लोकसभा में अच्छी सीट्स और वोट मिला.... विधानसभा में भी अच्छा प्रदर्शन था... लेकिन पिछले लोकसभा चुनावों में सब धुल गया.
उसके अपने अपने कारण हो सकते हैं.
लेकिन अगर पश्चिम बंगाल को बचाना है... तो कुछ ना कुछ करते रहना ही होगा. यह अकेला राज्य है जिसकी सीमा तीन देशों से लगती है...अत्यंत संवेदनशील Chicken Neck यहीं है........ समुद्र से भी connected है.... ऐसे में यहाँ होने वाली किसी भी हलचल का प्रभाव पूरे देश पर पड़ता ही है.
ऐसे में रोजाना होने वाले दंगों पर रोक लगानी ही पड़ेगी..... अब इसके लिए साम दाम दंड भेद... जो करना पड़े.. करना चाहिए.
लेकिन..... एक बात यह भी है कि जब तक लोकल लोगों के मन में बदलाव करने का नहीं आएगा... हम कोई बड़ा बदलाव कर भी नहीं पायेंगे.
राष्ट्रपति शासन लगाना अब संभव नहीं... और लगेगा भी तो हटा दिया जाएगा सुप्रीम कोर्ट द्वारा...... बोममई केस का reference ले सकते हैं.. उत्तराखंड में लगाया जा चुका है.. फिर हटा दिया गया था.
ऐसे में दो ही विकल्प हैं... जो दीर्घकालीन बदलाव ला सकते हैं.
पहला - Locals का समर्थन.... उनकी विचारधारा में बदलाव. डर और लालच से बाहर आना पड़ेगा बंगाली लोगों को..... बंगाली पहचान के साथ ही एक व्यापक हिन्दू और भारतीय की पहचान को तरजीह देनी होगी उन्हें.
दूसरा - सत्ता में भागीदारी या कब्ज़ा.... क्यूंकि जब तक सत्ता में नहीं आएंगे... कुछ बदल भी नहीं पाएंगे.
जो स्थिति बंगाल की है.. लगभग वही केरल में है.
जिस दिन यह दोनों राज्य सुधर गए, उस दिन देश से बहुत बड़ा संकट हट जाएगा.
इसमें कितना समय लगेगा, कह नहीं सकते.... लेकिन हमारे जीवनकाल में होगा यह तय है।
Ankit Gupta
*अकबर बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे।*
*रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा, मंत्री बीरबल ने झुक कर प्रणाम किया ।*
*अकबर ने पूछा कौन हे ये ?*
*बीरबल -*
*मेरी माता है।*
*अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेक दिया और बोला कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगों की ?*
*बीरबल को उसका जबाब देने की एक तरकीब सूझी ।*
*आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला!*
*बीरबल उसे दंडवत प्रणाम कर, कहा -*
*जय हो बाप मेरे ।*
*अकबर को गुस्सा आया .....*
*दोनों हाथों से झाड़ को उखाड़ने लगा ।*
*इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो बोला: बीरबल ये क्या हो गया ?*
*बीरबल ने कहा :*
*आप ने मेरी माँ को मारा इस लिए ये गुस्सा हो गए ।*
*अकबर जहाँ भी हाथ लगता वहाँ पर उसे खुजली होने लगती ।*
*अकबर बोला : बीरबल जल्दी कोई उपाय बताओ ।*
*बीरबल बोला :*
*उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी माँ है । उनसे विनती करनी पड़ेगी ।*
*अकबर बोला :*
*जल्दी करो ।*
*आगे गाय खड़ी थी बीरबल ने कहा :*
*गाय से विनती करो कि हे माता,*
*दवाई दो ?*
*गाय ने गोबर कर दिया ।*
*अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई ।*
*अकबर बोला : बीरबल अब क्या राजमहल में ऐसे ही जायेंगे ?*
*बीरबल ने कहा :*
*नहीं बादशाह हमारी एक और माँ है । सामने गंगा बह रही थी ।*
*आप बोलिए हर हर गंगे .....*
*जय गंगा मईया की ..... और कूद जाइए ।*
*नहा कर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने गंगा मैया को नमन किया तो बीरबल ने अकबर से कहा "महाराज ये तुलसी माता, गौ माता, गंगा माता तो जगत जननी है सबकी माता हैं बिना भेदभाव सबका कल्याण करने वाली हैं ।*
*इनको मानने वालों को ही "हिन्दू" कहते हैं ।*
*हिन्दू एक "संस्कृति" है, "सभ्यता" है ।सम्प्रदाय नहीं ।*
*गौ, गंगा, गीता और गायत्री का सम्मान कीजिये .....*
*ये सनातन संस्कृति के प्राण स्तंभ है ।*