संजीव जैन
(owner)
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Sanjay khambete
अपने घर में छोटा सा कार्यक्रम करिए उसको सकुशल संपन्न कराने में हवा निकल जाती है.. यहां तो पूरा विश्व आया हुआ है करोड़ों की संख्या में..!
कृपया सहयोग करिए.. आलोचना नहीं..
मोहन सिंह
मैं इसे बेहद कायराना हरकत मानता हुँ और किसी भी सूरत में इसका समर्थन नहीं करता हुँ क्योंकि इन दोनों को ये कदम उठाने से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचना चाहिए था लेकिन ये भी सत्य है की हमारे देश में आज से पहले इतनी गन्दी राजनीति कभी नहीं की गयी आज अफ़सोस होता है अपने आज़ाद होने पर क्योंकि इतना जुल्म तो कभी अंग्रेजों ने भी नहीं किया जितना आज हो रहा है. इन दोनों की हत्या का जिम्मेबार कौन? दोनों बच्चों के अनाथ होने का जिम्मेबार कौन?
जलते घर को देखने वालों, फूस का छप्पर आपका है
आपके पीछे तेज हवा है, आगे मुक़द्दर आपका है
उसके कत्ल पे मैं चुप था, मेरा नम्बर अब आया है
मेरे कत्ल पे आप भी चुप हैं, अगला नंबर आपका हैं