10वीं-12वीं का रिजल्ट बिगाड़ सकता है पबजी गेम, इसलिए इसपर बैन लगाया जाए
- जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से पबजी पर बैन लगाने की मांग की है
- स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अबरार अहमद बट ने पबजी को भविष्य खराब करने वाला गेम बताया
- जम्मू-कश्मीर में पबजी की वजह से कई लोगों ने खुदको नुकसान भी पहुंचाया, इसलिए भी बैन लगाने की मांग तेज
गैजेट डेस्क. जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने 10वीं-12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पबजी गेम पर बैन लगाने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टूडेंट एसोसिएशन ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर जल्द से जल्द पबजी गेम पर बैन लगाने की मांग की है। स्टूडेंट एसोसिएशन का कहना है कि इस गेम की वजह से 10वीं और 12वीं क्लास के बच्चों का रिजल्ट बिगड़ सकता है, इसलिए इसपर बैन लगाया जाए।
ड्रग से भी ज्यादा खतरनाक है पबजी गेम
जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अबरार अहमद बट ने पबजी गेम को भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला बताया। वहीं, एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राफीक मखदूमी ने इस गेम को ड्रग से भी ज्यादा खतरनाक बताया है। राफीक ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा, "पबजी पर हमें तुरंत बैन लगा देना चाहिए क्योंकि इससे 10वीं और 12वीं क्लास के बच्चों की परफॉर्मेंस पर असर पड़ रहा है।" उन्होंने कहा, "इस गेम की लत ड्रग की लत से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि आजकल युवा 24 घंटे मोबाइल में लगे रहते हैं और पबजी खेलने के अलावा कुछ नहीं करते।"
राज्य में पहले भी उठ चुकी है पबजी पर बैन लगाने की मांग
जम्मू-कश्मीर में इससे पहले भी कई बार पबजी गेम पर बैन लगाने की मांग उठ चुकी है। पिछले हफ्ते ही लगातार 10 दिन तक पबजी खेलने की वजह से एक फिजिकल ट्रेनर अपना मानसिक संतुलन खो बैठा था, जिसके बाद भी इस गेम पर बैन लगाने की मांग स्थानीय लोगों ने की थी। जम्मू-कश्मीर में पबजी गेम की वजह से खुदको नुकसान पहुंचाने के 6 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि देश के कई हिस्सों से कई बार पबजी पर बैन लगाए जाने की मांग भी उठती रहती है।
गेम खेलना भी मानसिक रोग होता है
- पिछले साल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गेम खेलने की लत को मानसिक रोग की श्रेणी में शामिल किया है, जिसे 'गेमिंग डिसऑर्डर' नाम दिया गया है। शट क्लीनिक के अनुसार टेक एडिक्शन वालों में 60 फीसदी गेम्स खेलते हैं। 20 फीसदी पोर्न साइट देखने वाले होते हैं। बाकी 20 फीसदी में सोशल मीडिया, वॉट्सएप आदि के मरीज आते हैं।
- शट (सर्विसेस फॉर हेल्दी यूज ऑफ टेक्नोलॉजी) क्लीनिक के डॉक्टर मनोज कुमार शर्मा का कहना है कि गेम खेलने की वजह से खुद का खुद पर नियंत्रण खत्म हो रहा है। गेम खेलते हैं तो खेलते ही रहते हैं। जीवन शैली में एक ही एक्टिविटी रह गई है। उनका कहना है कि गेम खेलने से होने वाले नुकसान की जानकारी भी होती है, लेकिन उसके बावजूद आप खेलते रहते हैं।