- जमाने भर को रंजिशें है हमसे ,
पर यह बंदीसे हमें कुछ बोलने कहां देती है।
- दुनिया ने कहा उम्मीदें छोड़ दो ,
अपनों ने कहा ख्वाहिशें छोड़ दो ,
बस एक सहारा था आपका,
पर आपने भी कह दिया,
कि हमसे जिद्द करना छोड़ दो ।
- थक गई हूं अब तो यूं ही चलते चलते,
मेरे पांव के छाले इस बात के गवाह हैं,
यह मंजर भी रो पड़ा मेरी हालत देख कर,
लगता है यह भी मेरी तरह बेगुनाह है ।
- सबूत तो गुनाहों के होते हैं,
इस पाक मोहब्बत में सबूतों का वजूद कैसा ।
- ना तुजमे कोई कमी है ना मुझ में कोई ऐब,
फिर भी रिश्तो में यह दूरियां कैसी दोस्त ।
- हम कविताएं इसलिए नहीं लिखते कि जमाने को सुना सके,
अपनी हर कविता पर हम तो तेरे अल्फाज को तरसते हैं।
- तमन्नाओं का माहौल कुछ यूं जवां था,
हसरतों का घाव हमें भी लगा था ,
खोजने जो चली अपने मर्ज की दवा,
तब जाकर मालूम पड़ा कि ,
हर कोई मेरी तरह बीमार ही पड़ा था ।
- " फुल "
पर यह बंदीसे हमें कुछ बोलने कहां देती है।
- दुनिया ने कहा उम्मीदें छोड़ दो ,
अपनों ने कहा ख्वाहिशें छोड़ दो ,
बस एक सहारा था आपका,
पर आपने भी कह दिया,
कि हमसे जिद्द करना छोड़ दो ।
- थक गई हूं अब तो यूं ही चलते चलते,
मेरे पांव के छाले इस बात के गवाह हैं,
यह मंजर भी रो पड़ा मेरी हालत देख कर,
लगता है यह भी मेरी तरह बेगुनाह है ।
- सबूत तो गुनाहों के होते हैं,
इस पाक मोहब्बत में सबूतों का वजूद कैसा ।
- ना तुजमे कोई कमी है ना मुझ में कोई ऐब,
फिर भी रिश्तो में यह दूरियां कैसी दोस्त ।
- हम कविताएं इसलिए नहीं लिखते कि जमाने को सुना सके,
अपनी हर कविता पर हम तो तेरे अल्फाज को तरसते हैं।
- तमन्नाओं का माहौल कुछ यूं जवां था,
हसरतों का घाव हमें भी लगा था ,
खोजने जो चली अपने मर्ज की दवा,
तब जाकर मालूम पड़ा कि ,
हर कोई मेरी तरह बीमार ही पड़ा था ।
- " फुल "