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जेएनयू आंदोलन के बीच संसद में मिलने वाले खाने का रेट चार्ट वायरल लेकिन यह 4 साल पुराना है

4 वर्ष पहले
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  • क्या वायरल : सोशल मीडिया में एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें संसद की कैंटीन में मिलने वाले सस्ते खाने की कीमतें बताई जा रही हैं। इसे जेएनयू में चल रहे छात्र आंदोलन से जोड़कर वायलर किया जा रहा है
  • क्या सच : रेट चार्ज करीब 4 साल पुराना है। 2016 से नए रेट लागू हो चुके हैं। हालांकि संसद की कैंटीन में नए बदलाव के बाद भी फूड आइटम्स मार्केट रेट से काफी सस्ते ही मिलते हैं

फैक्ट चेक डेस्क. दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में चल रही विद्यार्थियों की हड़ताल के बीच सोशल मीडिया में भारतीय संसद की कैंटीन में
मिलने वाले खाने का रेट कार्ड भी वायरल हो रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि कितने कम रेट में सांसदों को कैंटीन में खाद्य पदार्थ मिलते हैं। दैनिक भास्कर मोबाइल ऐप के एक पाठक ने हमें यह वायरल मैसेज पुष्टि के लिए भेजा। पड़ताल में पता चला कि यह रेट कार्ड पुराना है। जानिए इसकी हकीकत। 
 

क्या वायरल

  • एक यूजर ने ट्वीटर पर इस रेट कार्ड को ट्वीट करते हुए लिखा कि \'संसद की कैंटीन का रेट कार्ड और मुफ्तखोर छात्र हैं\'

 

  • पुरानी कीमतों वाला चार्ट फेसबुक पर भी वायरल हो रहा है।

 

 

  • बता दें कि जेएनयू में विद्यार्थी होस्टल फीस बढ़ोत्तरी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जेएनयू में सिंगल सीटर रूम की फीस 20 रुपए बढ़ाकर 600 रुपए प्रतिमाह कर दी गई है। इसके अलावा भी कई नए शुल्क जोड़े गए हैं। हालांकि छात्रों के आंदोलन के बाद जेएनयू प्रशासन कदम पीछे खींच चुका है।

क्या है सच्चाई

  • पड़ताल में पता चला कि संसद की कैंटीन का जो रेट कार्ड वायरल हो रहा है, करीब 4 साल पुराना है। अब कीमतें बदल चुकी हैं, हालांकि अभी भी कीमतें मार्केट रेट से कम ही हैं। दिसंबर 2015 में संसद की कैंटीन में मिलने वाले खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ा दिए गए हैं। 1 जनवरी 2016 से नए दामों पर ही कैंटीन में खाद्य पदार्थ बेचे जा रहे हैं।
  • 2018 में एक जर्नलिस्ट के आरटीआई के जवाब में लोकसभा सचिव ने मौजूदा रेट कार्ड उपलब्ध करवाया था। इसमें बढ़े हुए दाम देखे जा सकते हैं।
  • पड़ताल से स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया में वायरल रेट चार्ज पुराना है। नए बदलाव के बाद दाम बढ़े हैं, लेकिन मार्केट रेट से कम ही हैं।

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