Inbooker
में सोचता हूँ आज कुछ कहूँ :
में सोचता हूँ आज कुछ कहूँ फिर सोचता हूँ कहने को बोहुत हे लेकिन यार आज में क्या कहू, दिल आज डूब जाता हे मेरा सोच कर के आज मेरे पास अल्फास नहीं बयान करने को मेरे दिल के ठेस , लेकिन फिर खुद को दिलासा देता हूँ ये सोच कर के ये ठेस तो हर हिन्दुस्तानी के दिल में होगा जो सुबह शाम देखता हे मेरे देश में बर्बादी के मंज़र, कभी किसी शहीद की बेवा रोती हे, कभी कोई बिना कम्बल ठण्ड में मरता हे, रोजी रोटी को तरसता हे बचपन, फिर में अचानक खुश होता हूँ ये सोच कर के नहीं मेरे देश भी सुखी हे हम भी संपन्न हे तो क्या हुआ गर कोई भूक से मरता हे , तो क्या हुआ गर कोई ठण्ड से मरता हे हमारे पास नोकरशाहों पर कर्च करने का दम हे हम अपने सो साल जी चुके नेताओ का इलाज विदेश भेज करते हे , तो अब में ये सोच ता हूँ के हमे भी ये सब सोच कर खुश होना चाहिए तो क्या हुआ घर बच्छे हजारो हे बेगार हम तो अपने घर में खुश हे फिर हम क्यों देखे किसी की लाचारी, तो फिर हम क्यों देखे किसी की उदासी हम भी आज करे प्राण के बंद आंके कर हम भी रहेंगे सुखी, और तब हमारे पास भी होगा कहने को बोहुत कुछ , शायद इसलिए ही तो हे मेरा भारत महानI