Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
संजीव जैन
गुजरात के वडोदरा में नाव पलटने से कई बच्चों के असामयिक निधन का समाचार अत्यंत दु:खद एवं पीड़ादायक है।
ईश्वर दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे व परिजनों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति दे।
ॐ शांति:!
शशि यादव
कुछ लोगो का प्यार समझ से परे होता है
सोशल मीडिया पर मिलते ही सीधा ब्लॉक हो जाता है।
शशिरंजन सिंह
मोदी मायने क्या ?
मोदी का मायने समझने के लिए प्रधानमंत्री पद पर आसीन पूर्व व्यक्तियों की फाइल उलटनी होगी
और महानियत के पर्दे बिल्कुल हटाकर वास्तविक तथ्य देखना होगा। इसके बाद तुलनातमक अध्ययन करना होगा।
आज एक अच्छा पोस्ट पढ़ा, जिसमें उल्लेख था कि जब मनमोहन सिंह को इंग्लैंड में डिग्री मिली
उन्होंने शुक्रिया अदा करते हुए अँग्रेजों की गुलामी की सराहना की।
बताया कि शिक्षा, भाषा, ज्ञान-विज्ञान, कानून देकर अँग्रेज ने भारत को कृतार्थ किया।
इस तरह की बातें मैंने अँग्रेज के शुक्रगुजार प्रोफेसरों के मुँह से सुनी है।
अँग्रेजों को भारत का उद्धारकर्ता माननेवाले लोग अकादमिक- शैक्षिक क्षेत्र में मिल जाएँगे।
एक मनमोहन सिंह ही अंग्रेज परस्त नहीं है।
कम्युनिस्टों का कारोबार भी अँग्रेज पर ही आधारित है, जैसे आर्य आगमन थ्यूरी इत्यादि।
मनमोहन सिंह अच्छे गुलाम नहीं होते तो प्रधानमंत्री बनना तो बहुत दूर की बात है, उन्हें कहीं अन्यत्र ठिकाना नहीं मिलता।
मनमोहन सिंह रिफ्युजी पंजाबी और अनुसूचित जाति के व्यक्ति थे, गुलामी की कला उनके व्यक्तित्व में कूट-कूट कर भरी थी।
जब सोनिया खारिज हो गई, मनमोहन डंमी प्रधानमंत्री हुए,
तब उनके एक पाकिस्तानी रिस्तेदार चर्मकार ने जूते का उपहार भेजा था।
यह पाकिस्तानी जूता किसके सिर पर गिरा?
राष्ट्रीय स्वाभिमान हीन उन तमाम लोगों के सिर पर जिन्होंने सोनिया को नेता चुना।
सोनिया ने मनमोहन को किसी अज्ञात के इशारे पर प्रधानमंत्री बनाया।
मनमोहन वर्ड बैंक के कर्मचारी थे, उन्हें वर्ल्ड बैंक ने इंदिरा गांधी का आर्थिक सलाहकार बनाकर तब भेजा था
जब इंदिरा गांधी ने आईएमएफ से कर्ज लेने से इंकार कर दिया। उन्हें मनमोहन की माया में फँसाया गया था।
आप जानते होंगे इन्दरकुमार गुजराल भी प्रधानमंत्री हुए थे। वह भी पाकिस्तान परस्त रिफ्युजी मिजाज के आदमी थे।
ये पाकिस्तान केन्द्रित सोच के लोग हैं इनके दिमाग का देश उन्हीं तक सिमटा हुआ है।
सोनिया, मनमोहन, गुजराल जैसे लोग जब भारत पर राज कर सकते हैं तब शत्रु देश क्यों नहीं सोचेगा कि भारत को गुलाम बनाना बड़ी बात नहीं है।
पाकिस्तान के लिए ही नहीं, चीन के लिए भी भारत की जनता की ऐसी मूर्खताएं उत्साहित करती रहीं।
उन दिनों की पाकिस्तानी और चीनी हरकतों को याद कीजिए और सोचिए सबकुछ होते हुए भी भारत का मान-सम्मान गिरा हुआ क्यों था?
इस पृष्ठभूमि में भारत राष्ट्र के पक्ष में खड़ा होकर देखिए मोदी का मायने समझ में आ जाएगा।
अनिल जैन
जो आदमी हार के डर से
अपनी पारम्परिक सीट छोड़कर भाग जाए
वो मुसीबत आने पर देश छोड़कर भी भाग सकता है
Piyas Sarkar
अगर हिंदी गठबंधन सत्ता में आ गई तो लाभार्थियों की सूची कैसे बनाई जाएगी ❓ वही, 'एक हाथ दे एक हाथ ले'।
Deoratna Goel
रायबरेली में खेला हो गया है!
बीएसपी को यदुवंशियों का समर्थन मिलते देख कांग्रेस के खेमे में चिंता की लहरे हिलोर ले रही हैं। केवल मुस्लिम वोटों की बदौलत चुनाव नही जीता जा सकता है। एक अजीब बात यह हुई कि कांग्रेस समर्थक कुछ गांवों ने रोड नही तो वोट नहीं के चलते मतदान का बहिष्कार किया, शाम तक जब वह आकर मामला निपटाते बहुत देर हो चुकी थी।
राहुल गांधी दिन भर बूथ दर बूथ दौड़ते रहे, स्थानीय लोगों को पांच साल से सोनिया जी का अनुपस्थित रहना याद रहा इसलिए उन्हें सोनिया जी की भावुक अपील ज्यादा प्रभावित नही कर पाई।
लगभग तीस प्रतिशत दलित मतदाताओं ने चुपचाप कमल छाप वाला काम किया है बाकी साठ प्रतिशत ब्राह्मण और ठाकुर का वोट बीजेपी को गया है। परंपरागत ओबीसी बीजेपी के साथ ही रहा है।
चार जून को लोकसभा में एक ही गांधी पहुंचेगा अब देखना है यह मेनका गांधी जी होती हैं या राहुल गांधी जी।
Pawan Vijay ji