भारत के धर्मान्तरित लोगों को उनके "सही रास्ते" और "अल्ला" के मार्ग पर धकेल दिया गया है जबकि वे हिंदुओं और उनकी कालातीत परंपराओं को अंधविश्वास मानते हैं। यह १३०० वर्षों में हुई एक व्यवस्थित विनाश और नरसंहार तरंगों का एक हिस्सा है। आज का भारत जाग रहा है और जिम्मेदारी ले रहा है, और फिर भी सामान्य होने के बजाय धर्मान्तरित टकराव की स्थिति में हैं, यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे एक ही समाज में सह-अस्तित्व नहीं बना सकते।
●चुटिया रखना धार्मिक ढोंग है, बकर-दाढ़ी ईश्वर का नूर है
●यज्ञोपवीत पहनना धार्मिक कट्टरवाद है, अरबी लबादा ओढ़ना धार्मिक पहचान है
●तिलक लगाना दकियानूसी कट्टरता है, मत्थे पे ईंटे से रगड़कर बनाया काला निशान आध्यात्मिक है
●कर्ण छेदन असभ्य क्रूरता है, ख़तना अलौकिक प्रक्रिया