प्रदीप हिन्दू योगी सेवक's Album: Wall Photos

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विदेशों में रहते धर्म अनुयायी आज के भारत में क्या सोचते हैं?
क्या धर्म वास्तव में गिर रहा है? दस गुण जिनसे धर्म का आधार स्थिर रहता है?

विदेशी जो इस जन्म में भारत में नहीं जन्मे पर जिन्हे भारत की पवित्रता और तत्व ज्ञान का आभास है आज भारत में धर्म अवहेलना और दुर्गति देख कर
काफी चकित हैं. जिस प्रकार की स्थिति भारत में देखने को मिलती है उससे लगता है हिन्दू धर्म का अपमान सभी कर रहें हैं जैसे सारे भारत का एकमात्र
उद्देश्य अपनी और विश्व की सबसे सुसंस्कृत संस्कृति पर कीचड उछालना है. यदि आज भी भारत इस पतन के पथ पर चलता रहा तो धर्म का नाम भी क्या रहेगा और असुर और राक्षस वहां अपना तांडव करते दिखेंगे. मेरे कई विदेशी साथी और संस्कृत ज्ञाता इस स्थिति और विकृत मानसिकता को देख दुखी हैं.
हम सब यही सोचते हैं और - भारत के भ्रष्ट नेता और समाज के अभिभावक यदि कोई हैं उनकी अज्ञानता और जान बूझकर हिन्दू धर्म के अनुयायी को प्रताड़ित करने वालों को कहेंगे के यदि आप भारत की आत्मा को ही कुचलेंगे तो आप देश का निर्माण नहीं कर सकते।

यह धर्म का पतन नहीं है, लेकिन जो अनुयायी अत्यधिक उपभोक्ता बन गए और वे अपने धर्म को भूल गए, मीडिया, टेलीविजन, रंगीन जाली पाठ्य पुस्तकों
जिसमे धर्म और उसके अनुयायी को नीचे दिखाया जाया तो ऐसे लोगों से क्या उम्मीद लगाई जा सकती है. कम्युनिस्ट, वामपंथी, धर्म विरोधी विदेशी विचारों के
प्रचारक और स्वयं को हिन्दू कहने वाले पर धर्म से अज्ञान, ही अपनी नीचता पूर्ण विचारधारा द्वारा भारत को एक गृह युद्ध के रास्ते पर ला रहें हैं.
भारत के गुणी विचारकों को चाहिए किसी भी एक सम्प्रदाय को बढ़ावा न दें और न ही उन्हें कोई विशेष दर्जा दें.
धर्म परायण और प्रशिक्षित शिक्षक जिन्हे धर्म का अर्थ हो, जिनके दिमागों में भारत के वास्तविक इतिहास, संस्कृति की छाप हो ना की लुटेरों और ठगों के जज़िया कर, बदसलूकी, अत्याचार,और ५००० गुलाम औरतों के हरम की कुटिल दास्ताने हों.
आप चाहे तो सब बदलेगा ये असुरों का देश नहीं था, नहीं होना चाहिए । भारत एक पावन धरती है इसे दूषित नहीं होना चाहिए।

मुझ जैसे तुच्छ हजारों लाखों आत्मा भारत के अमरत्व और अद्भुत ज्ञान के सागर के अमृत की कुछ बूंदे पाकर भी अपने को धन्य मानते हैं आप सब
जो भारत भूमि इसके सुन्दर उपवन में पैदा हुए उन्हें इस ज्ञान सागर से परिचित होना अनिवार्य है नहीं तो इस जीवन का क्या लाभ होगा ?

धॄति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: |
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ||

मन शक्ति, दुष्टों को सजा, क्षमा, (स्व) नियंत्रण, चोरी और दुराचार से दूरी, पवित्रता, इंद्रियों पर विजय, बुद्धि, शिक्षा, सत्य, क्रोध को शक्ति में बदलना, यह दस गुण 'धर्म' की विशेषताओं के आधार का गठन करते हैं। कृपा करके जागें और सभी को जागृत करें धर्म की पताका अमर रहे !
|| ॐ ||