गृह मंत्रालय ने यह कहते हुए जगन्नाथ यात्रा की अनुमति दे दी थी कि यात्रा में सिर्फ पुजारी और प्रशासन के लोग ही शामिल होंगे। आम जन इसमें हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
श्री पुरी जगन्नाथ मंदिर इसके लिए पहले से तैयारी कर रहा था। जिन्हें रथ खींचना था करीब २०० लोगों को डेढ़ महीने से एकांतवास में रखा गया है ताकि वो किसी तरह से संक्रमित न होने पायें।
लेकिन जो साजिश रचते हैं वो तो खेल करने का कोई न कोई रास्ता निकाल लेते हैं। दो प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उड़ीसा से एक आफताब हुसैन पैदा होता है और रथयात्रा पर रोक के लिए पहले हाईकोर्ट जाता है। हाईकोर्ट उड़ीसा सरकार पर जिम्मेवारी डाल देती है। आफताब हुसैन हार नहीं मानता। रथयात्रा पर रोक लगाने के लिए वह "जगन्नाथ भक्त" सुप्रीम कोर्ट आता है और अंतत: कोरोना संक्रमण के नाम पर रथयात्रा रुकवाने में कामयाब हो जाता है।
निश्चित तौर पर आफताब हुसैन मोहरा है। उसके पीछे कुछ और शक्तियां हैं जिन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पानी की तरह पैसा बहाया होगा। लेकिन आप उनके जंग के जज्बे को देखिए। चौबीसों घण्टे घात लगाकर इसी ताक में बैठे हैं कि कहां मौका मिले और कहां वार कर दें। फिर वह चाहे शबरीमाला की मुस्लिम महिला भक्त हो या फिर भगवान जगन्नाथ का मुस्लिम पुरुष भक्त।