Ravi Gudadhe 's Album: Wall Photos

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राहुल जी को देख कर मुझे नब्बे के दशक के वे जुनूनी लड़के याद आते हैं जो दस दस बार कूटे जाने के बाद भी तबतक प्रेयसी का पीछा नहीं छोड़ते थे, जबतक कि उसकी बारात में आये तिरहुतिया नाच के लवंडे के साथ "वफ़ा ना रास आई तुझे ओ हरजाई.." गाने पर नाच न लें। लोकतंत्र के इस राजनैतिक अखाड़े में बार बार पटके जाने के बाद भी राहुल जितनी सफाई से हर बार धूल झाड़ कर खड़े हो जाते हैं, वह बताता है कि राहुल महान हैं।

मुझे लगता है राहुल जी को इतिहास उनकी अदम्य जिजीविषा के लिये याद रखेगा।राहुल हर चुनाव के बाद चिंतन के लिए बैंकाक जाते हैं। मैं उनके तपस्वी मन, संयम और ब्रम्हचर्य का फैन हूँ, क्योंकि जो व्यक्ति बैंकाक जैसे देश में बैठ कर भी चिंतन कर लेता है वह अद्भुत है। वे दुनिया के एकमात्र व्यक्ति हैं जो बैंकाक चिंतन के लिए जाते हैं, नहीं तो दुनिया जानती है कि बैंकॉक में सबकुछ हो सकता है, पर चिन्तन नहीं हो सकता।

राहुल भारतीय जनता की सेवा करना चाहते हैं। उनके मन में सेवा भावना चौबीसों घण्टे हिलोर मारती है। उनका प्यार फफा रहा है। वे जल्द से जल्द इस जनता की सेवा कर देना चाहते हैं। पर जनता है कि उन्हें मौका ही नहीं दे रही। वे बार बार कहते हैं, "देखिये भइया..." पर जाने कइसे कठकरेजी भइया हैं जो देखते ही नहीं। जनता को ऐसा नहीं करना चाहिए।

पर दोष जनता का भी नहीं है। आजकल हर व्यक्ति उसकी सेवा करना चाहता है, सिवाय अपने बेटे बहु के... कपड़े वाला, मिठाई वाला, गोलगप्पा वाला, गाड़ी वाला, ताड़ी वाला, यहाँ तक की कफ़न-दफन का सामान बेचने वाला भी चिल्ला रहा है कि एक बार सेवा का मौका अवश्य दें। जनता कितना सेवा कराए? उसमें भी राजनीति वालों का अलग ही तमाशा है। मोदी जी सेवा कर ही रहे हैं, तबतक राहुल जी सेवा करने के लिए बेचैन... क्या करे जनता? वह कन्फ्यूज हो कर सोचती है,

"इस सेवालाल को या उस मेवालाल को....
राहुल को बुलाएं कि बुलाएं केजरीवाल को..."

लोकतंत्र में जनता सेवकों के सेवाभाव से कन्फ्यूज हो जाती है। राहुल इसी कन्फ्यूजन में हर बार छूट जा रहे हैं।

असल में राहुल को भाजपाइयों से दिक्कत नहीं है, राहुल की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा स्वयं उनके चाहने वाले हैं। मुझे लगता है कांग्रेस समर्थक हृदय से राहुल से प्यार नहीं करते, वे ऊपर ऊपर ही झूठा प्यार दिखाते हैं। मेरे ही एक कांग्रेसी मित्र हैं। दिन भर राहुल जी की स्तुति गाते रहते हैं। राहुल जी ये, राहुल जी वो, राहुल जी फलां, ढिमका... एक बार उनके बेटे के बड्डे के दिन मैंने आशीर्वाद में कह दिया, "ईश्वर करे कि बालक राहुल जी की तरह विद्वान और यशश्वी हो..." साल भर होने को आये, मित्र आज तक मुझे गालियां देते हैं।

कुछ लोगों को लगता है कि राहुल जी कभी सफल नहीं हो पाएंगे। पर मैं भारतीय जनता को जानता हूँ, वह बारी बारी सबके साथ न्याय करती है। वह जब सिकन्दर, अशोक और अकबर जैसों को महान कह सकती है तो राहुल फिर भी राहुल हैं। एक दिन आएगा जब जनता राहुल जी से सेवा कराएगी।राहुल जी अब आयु का अर्धशतक लगा रहे हैं। उनके लिए ढेरों शुभकामनाएं। वे ऐसे ही दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करें...

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