अब समय आ गया है कि हम एक सभ्यता के रूप में अपने पूर्वजों पर गर्व करें और याद करें कि हम वह सभ्यता हैं जो कभी महान थी, अब हमारे अस्तित्व पर संकट है ।
अब युद्ध का समय है..एक बौद्धिक युद्ध..वामपंथी इतिहासकारों के खिलाफ ।
क्या ऐसा स्तंभ आज की टेक्नोलॉजी के साथ बनाना सम्भव है ? फिर भी यह अद्वितीय निर्माण हमारे पाठ्यक्रम में नहीं है । इसे 13वीं शताब्दी में बनाया है वीरा बल्लाला ने ..।