sandeep singh's Album: Wall Photos

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मैं ही रुका ना वक़्त की रफ्तार देखकर,
करता रहा वो मुझको खबरदार देख कर।
यूँ पढ़के उसने एक तरफ रख दिया मुझे;
जैसे कि फेंक दी कोई अखबार देखकर।।
वो भीड़ थी कि खुद से जो बिछड़ा ना मिल सका;
आया हूँ सारे कूँचा ओ बाज़ार देखकर।।
जैसे मेरी निगाह ने देखा ना हो तुझे;
महसूस ये हुआ तुझे हरबार देखकर।।