Ranjeet Rai's Album: Wall Photos

Photo 23 of 308 in Wall Photos

इस समाचार को सम्बंधित पत्रकारों के ट्वीटर हेंडल पर चिपकाना चाहिए !

झूठा स्टिंग चलाने वाले राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, राघव बहल, नीति टंडन, जमशेद खान समेत 9 लोग मानहानि के दोषी पाए गए...

बड़ी खबर है. मानहानि के एक मुकदमें में दोषी पाए गए हैं कई दिग्गज मीडियाकर्मी. ये मुकदमा डाक्टर अजय अग्रवाल ने कर रखा था जो कुछ समय पहले तक नोएडा जिला अस्पताल के सीएमएस थे. कुल नौ लोगों के खिलाफ मानहानि का केस था. इनके नाम हैं- राजदीप सरेदसाई, राघव बहल, आशुतोष, जमशेद खान, नीति टंडन, संजय राय चौधरी, अरुणोदय मुखर्जी, हर्ष चावला, समीर मनचंदा.

दिल्ली हाईकोर्ट में चले इस मुकदमें (Case No. CS (OS) 21/2017) में फैसला बीते मई माह की 27 तारीख को आया. अदालत ने कहा कि इन आरोपियों पर माहानि का मामला बनता है.

ज्ञात हो कि डाक्टर अजय अग्रवाल के खिलाफ वर्ष 2006 के जुलाई महीने में तत्कालीन आईबीएन7 चैनल (अब नेटवर्क18इंडिया) पर एक झूठा स्टिंग चलाया गया जिसमें आरोप लगाया गया कि डाक्टर अजय अग्रवाल अस्पताल में भर्ती गरीब लोगों की टांग काटकर उन्हें भिखारी बना देते हैं और इस तरह वे भिखारी बनाने वाले रैकेट के हिस्से होकर काफी पैसे कमा रहे हैं. डाक्टर अजय अग्रवाल तब गाजियाबाद के सीएमओ हुआ करते थे.

ये पूरा स्टिंग ही साजिश, झूठ और नकारात्मक कल्पनाशीलता का कमाल था. बताया जाता है स्टिंगबाज जमशेद खान अपनी निजी खुन्नस निकालने और उगाही-ब्लैकमेलिंग में सफल न हो पाने की कुंठा में डाक्टर अजय अग्रवाल का शिकार किया और फर्जी खबर तैयार कर आईबीएन7 चैनल के वरिष्ठों के पास भेज दिया.

वरिष्ठों ने भी बिना दिमाग अप्लाई किए इस स्टिंग को बेहद प्रमुखता से चला दिया. एक ईमानदार डाक्टर का जीवन व करियर देखते देखते तबाह हो गया. डाक्टर अजय और उनके परिवार का जीवन दांव पर लग गया. लोग इनके घर पर पत्थर मारने-फेंकने लगे. कई किस्म की विभागीय जांच बैठी. हर जांच में डाक्टर अजय अग्रवाल बाइज्जत बरी हुए.

डाक्टर अजय अग्रवाल ने मीडिया के इस घिनौने रूप को देखकर बुरी तरह डर चुके थे. उन्होंने एक रोज कसम खाकर तय किया कि जिन जिन मीडिया वालों ने उन पर झूठे आरोप लगाकर खबर चलाने का काम किया है, उन्हें सबक सिखाएंगे और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे.

डाक्टर अजय अग्रवाल वाकई सुप्रीम कोर्ट तक गए. वे डेढ़ दशक तक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते रहे. अपना केस खुद तैयार करते रहे, लड़ते रहे.

पावरफुल मीडिया वालों ने इन मुकदमों से बचने के लिए हर संभव कोशिश की, हर तिकड़म का इस्तेमाल किया. पर ये डाक्टर अजय अग्रवाल के चंगुल से बच न सके.

उपरोक्त सभी नौ प्राणी पहले तो कोर्ट नहीं जाते थे. नोटिस पर नोटिस आता रहा लेकिन ये कोर्ट जाने से परहेज करते रहे. आखिरकार कोर्ट को गैर-जमानती वारंट निकालना पड़ा. तब जाकर इन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया. सभी को जमानत मिली और ये सभी आज भी जमानत पर ही बाहर हैं. ये लोग सुप्रीम कोर्ट तक गए कि उनके खिलाफ केस न चलाया जाए. पर सुप्रीम कोर्ट ने डाक्टर अजय अग्रवाल के पक्ष को सुनने के बाद इन नौ मीडियाकर्मियों को गाजियाबाद कोर्ट में सरेंडर करने को कहा.

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इन सभी नौ लोगों को निर्देशित किया कि गलत खबर चलाने का खंडन लगातार तीन दिन तक चैनल पर दिखाएं. इस आदेश के खिलाफ ये मीडिया वाले दिल्ली हाईकोर्ट (WP C 3480/2008) गए. जनवरी 2016 में हाईकोर्ट का फैसला आया कि स्टिंग फर्जी और मनगढ़ंत था. इस आदेश के बाद डाक्टर अजय अग्रवाल ने सभी 9 मीडियाकर्मियों पर मानहानि का केस दायर कर दिया जिसका फैसला बीते मई माह की 27 तारीख को आया. उपरोक्त सभी को मानहानि का दोषी पाया गया है !