pankaj sharma's Album: Wall Photos

Photo 63 of 73 in Wall Photos

स्थान:तक्षशिला ,रावलपिंडी पाकिस्तान

ये खण्डर देख रहे हैं आप जिसपे कुछ लोग चढ़ के बेहूदी कर रहे हैं,ये ये एक मंदिर का खण्डर हैं ।
ये तस्वीर बहुत कुछ कहती है,एक वाहबी विचारधारा किस तरह सभ्यता को लील जाती है,ये तस्वीर उसका उदाहरण हैं ।
ये वही तक्षशिला है,जहां आचार्य चाणक्य अपनी नीतियां बनाते थे ।
ये वही तक्षशिला है,जहां ज्ञान लेने विदेशों से बच्चे आते थे ।
जब ज्ञान की नगरी के साथ ऐसा होता है तो दुख होता है,माँ सरस्वती का अपमान होता है,लेकिन वाहबी विचारधारा वालो को इससे क्या फर्क पड़ता हैं ।
जो लोग हमें असहिष्णु कहते है कभी इन लोगो की असहिष्णुता पे मुँह नही खोलेंगे ।
जिन नदियों, झीलों किनारे बैठ ऋषि मुनियों ने ज्ञान की गंगा बहाई उस जगह का आज ये हाल देख के दुख होता है ।

कैसे कबीलाई ,लुटेरे ,हिंसक प्रवत्ति के लोग सभ्यता को लील जाते है ये तस्वीर वो सब बयान करती हैं ।
ये दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता की हार का प्रतीक है ये हमारे सदियों तक सुस्त पड़े रहने, सोते रहने का प्रतीक है ।।
बात सही भी हैं,हम जात -पात ,ऊंच नीच से बाहर निकले तो तब ही तय हिन्दू बन पाएंगे ना ।
ये हमारे हद से ज्यादा उदार रवैये की असफलता का प्रतीक है साथ ही ये चित्र बेशर्मी की हद तक हमारे सिस्टम की नसों में घुसा दिए गए सेकुलरिस्म पे भी तमाचा हैं ।
अभी भी वक्त है,हम नींद से ना जागे तो हम बहुत कुछ खो सकते है ।

सोचिए और विचार कीजिए ।