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#मेष_लग्न_के_लिए_रत्न

रत्न का चुनाव सामान्यतः जन्मकुण्डली में “भाग्य भाव” जिसे कुंडली में नवम भाव भी कहते हैं, का स्वामी भाग्येश कहलाता है। #भगयेश_का_रत्न पहनने से भाग्य प्रबल होता है । यदि भाग्येश के साथ केंद्र ( 1, 4, 7, 10 ) तथा #त्रिकोण का स्वामी शुभ योग बनाकर कुंडली में बलि स्थिति में हो तो, ऐसे व्यक्ति के लिए भाग्य के स्वामी ग्रह का रत्न धारण करना उच्च स्तरीय सफलता दिलाता है। यदि #भाग्य_का_स्वामी निर्बल हो तथा उसका जन्मकुंडली के अन्य शुभ एवं योगकारक ग्रहों से कोई सम्बन्ध नहीं हो, तो ऐसे व्यक्ति को भगयेश का रत्न उतनी सफलता नहीं देता । ऐसी स्थिति में लग्नेश या पंचमेश ग्रह का उनकी स्थिति के अनुसार पहनने से जीवन में सफलता मिलती है।

रत्नों का चुनाव करने में लग्न की स्थिति विशेष महत्वपूर्ण होती है। विभिन्न लग्नो के लिए कौन- कौन से #रत्न शुभ या अशुभ होते हैं । जानने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। पं. उदय प्रकाश शर्मा

#शुभ_रत्न का चुनाव करते समय यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए की जिस ग्रह के रत्न को आप धारण करने वाले है, वह जन्मकुण्डली में शुभ भावों का स्वामी हो, यदि कोई ग्रह अशुभ भावों का स्वामी होकर आप को पीड़ित कर रहा हो, तो उसकी शांति हेतु मन्त्र जप, #पूजा_अनुष्ठान आदि करवाना लाभप्रद होता है।

#मेष_लग्न_में_रत्न_का_चुनाव

यह सत्य है की लग्न ही व्यक्तित्व का परिचायक होता है, मेष लग्न हिम्मत और पराक्रम का लग्न होता है, इस लग्न के जातक तेज तर्रार और बलशाली होते हैं, यह असंभव को संभव करने वाले जुझारू प्रवित्ति के व्यक्ति होते हैंI आइये जानते हैं कि इस लग्न के जातकों को कौन कौन सा रत्न धारण करना चाहिए और कौन से रत्न से परहेज करना चाहिए?

#मेष_लग्न_में_सूर्य_रत्न_माणिक्य_Ruby

मेष लग्न के लिए सूर्य पंचम भाव का स्वामी होकर शुभ ग्रह बनता है। अतः उच्च शिक्षा में सफलता, संतान सुख अथवा अपने उच्चाधिकारियों की कृपा प्राप्ति, मंत्री पद, मान-सम्मान हेतु माणिक्य रत्न धारण करना शुभ होगा। पर माणिक्य भी तभी धारण करना चाहिए जब सूर्य जन्म कुंडली के 2, 6, 7, 8, 12 भाव में न हो ।

#मेष_लग्न_में_चन्द्र_रत्न_माणिक्य_Pearl

इस लग्न में चंद्रमा चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। यदि चन्द्रमा जन्मकुण्डली में निर्बल हो तो आप को मानसिक एवं पारिवारिक समस्याएं घेरे रहेंगी। अतः ऐसी स्थिति में जीवनपर्यंत मोती रत्न धारण करना लाभप्रद होगा। मोती आप के मन को मजबूत करेगा, माँ का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, सुख साधनों में वृद्धि करेगा, तथा मकान लेने का योग बनाएगा।

#मेष_लग्न_में_मंगल_रत्न_मूंगा_Coral

ईश लग्न में मंगल लग्न और अष्टम भाव का स्वामी होता है। लग्नेश अगर किसी अशुभ भाव का स्वामी हो तब भी कुछ शुभ होता है। यहाँ मंगल की मूलत्रिकोण राशि लग्न में है ज्यादा फल मंगल लग्न का ही देगा अतः आप को जीवन में सफलता, मान प्रतिष्ठा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी सफलता के लिए मुंगा रत्न धारण करना चाहिए। पर मंगल (3, 4, 6, 7, 8, 12 ) वे स्थान पे नहीं होना चाहिए। इस लग्न के व्यक्ति जरुरत से ज्यादा नरम मिजाज हो तो उन्हें “मुंगा” जोश और हिम्मत के साथ-साथ दैवीय कृपा व् लाभ के अवसर भी प्रदान करेगा। आयुष्य लम्बी करेगा।

#मेष_लग्न_में_बुध_रत्न_पन्ना_Emerald

इस लग्न के व्यक्ति के लिए पन्ना अनुकूल नहीं होता क्यों की वह तृतीय एवं षष्ठ भाव का स्वामी होता है। यदि जन्मकुण्डली में बुध ग्रह पीड़ित हो तो जीवन में व्यर्थ विवाद, अस्थिरता, धन हानि, ऋण एवं रोग पीड़ा का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए पन्ना धारण के.....
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