वो दिन याद कीजिये..!
जब लालू राज में उनके ही विधायक के बेटे ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर दलित आईएएस की पत्नी का बलात्कार किया करते थे और फिर बार बार उसका गर्भ गिराया जाता था और लालू जी कहते थे जिंदा रहना है तो मुंह बंद रखो, जो कर रहा है चुपचाप करने दो। और आज तेजस्वी यादव सामाजिक न्याय की बात करते हैं। तब किसी कोने में दुबका रहता था आपका सामाजिक न्याय.? ऐसे लोगों के मुंह से सामाजिक न्याय की बातें शोभा नहीं देती।
लालू राज में कोई सुरक्षित नहीं था। हर जाति वर्ग के लोग भय और आतंक के डरावने साये में जीने को विवश थे। आम दलित की तो बात ही छोड़ दीजिए कोई दलित IAS की बहू बेटियां भी सुरक्षित नहीं थी।
ऐसे गुंडे मवाली के संरक्षक के मुंह से सामाजिक न्याय की बात भी एक अपमानजनक गाली सी भद्दा मजाक सा लगता है।
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