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भारतीय संस्‍कृति ने दुनिया को अनेकों उपहार दिए हैं, और इन्‍हीं उपहारों में एक योग भी है। योग भारतीय जीवन पद्धति है और हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है लेकिन अब यह संपूर्ण विश्व के जीवन का प्रमुख अंग बन रहा है।

योग से मन के भीतर नकारात्मक शक्तियों के स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे शरीर, मन एवं आत्मा में संतुलन स्थापित होता है।

श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ (कर्मों में कुशलता को योग कहते हैं)।

महर्षि पतंजलि के अनुसार - ‘‘अभ्यास-वैराग्य द्वारा चित्त की वृत्तियों पर नियंत्रण करना ही योग है।’’

विष्णुपुराण के अनुसार -‘‘जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग ;अद्वेतानुभुति योग कहलाता है।’’

सांख्य के अनुसार - ‘‘पुरूष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरूष का स्वतः के शुद्ध रूप में अवस्थित होना ही योग है।

संक्षेप में आशय यह है कि योग के शास्त्रीय स्वरूप, उसके दार्शनिक आधार, को सम्यक् रूप से समझना बहुत सरल नहीं है। हम यह बात समझ सकते हैं कि योग एक प्राचीन परम्परा है और योग को हम दैनिक जीवन में शामिल कर लेते हैं तो हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ नैतिक मूल्यों में वृद्धि होती है।

आज की आधुनिक दुनिया और व्यस्त जीवनशैली में यदि मनुष्य को मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है तो योग-ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है। निरंतर योग-ध्यान करते रहने से शरीर-मस्तिष्क में नई सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता में सहयोगी है।

शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभों में से एक है। यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है। योग अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप, गठिया, पाचन विकार और अन्य बीमारियों में चिकित्सा का एक सफल विकल्प है, ख़ास तौर से वहाँ जहाँ आधुनिक विज्ञान आजतक उपचार देने में सफल नहीं हुआ है।

वर्तमान में कोरोना संक्रमण काल में योग रामबाण औषधि की तरह है। कोरोना के तीन पहलू हैं जिससे वह स्वस्थ शरीर पर आक्रमण करता है पहला है तनाव, दूसरा श्वसन तंत्र और तीसरा प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे में योग एक बेहतर विकल्प है जिससे तनाव को कम करने और श्वसन तंत्र प्रणाली की शुद्धि करके, प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत बनाया जा सकता है, हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार भी योगमय जीवन से कोरोना महासंकट से मुक्ति पायी जा रही है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विश्वभर में 21 जून को मनाते है, क्योंकि यह पूरे कैलेंडर वर्ष का सबसे लम्बा दिन है। प्रकृति, सूर्य और उसका तेज इस दिन सबसे अधिक प्रभावी रहता है।

आज अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर सभी अपने घर पर रहकर अपने स्वजनों के साथ योग करने और इसको अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प लें।

सभी को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएँ।