Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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एक टैक्सी दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पीटल के गेट पर रुकी. उसमें से दो लड़के 24-25 वर्ष के बहुत घबराये हुए उतरे और हॉस्पीटल के कर्मचारियों के आगे गिडगिडा कर किसी तरह स्ट्रेचर लेकर वापस टैक्सी तक पहुंचे. उनका एक दोस्त पिछले आधे घंटे से बेहोश पड़ा था. लड़के को स्ट्रेचर पर डालकर हॉस्पीटल के कर्मचारी वहीं खड़े हो गये और इन लड़कों से बोले कि इसका रजिस्ट्रेशन करा लाओ.

इमरजेन्सी वाले काउन्टर पर पहुंचकर उन लड़कों ने अगले 15 मिनट बहुत बैचेनी से अपना नम्बर आने की प्रतीक्षा की. फिर उनका नम्बर आया तो उन्होंने अपने दोस्त के नाम से पर्चा बनवाने के लिये रिसेप्शनिस्ट को बोला.

रिसेप्शनिस्ट ने कहा - आधार लाओ पेशेन्ट का. सौभाग्य से दोस्त का आधार उसकी जेब में से इन्होंने निकाल लिया था. लेकिन यह क्या? रिसेप्शनिस्ट ने आधार देखा और वापस करते हुये कहा, "ये तो मुरादाबाद का पता लिखा है. यहां आपका इलाज नहीं हो सकता. यहां सिर्फ दिल्ली वालों का ईलाज हो सकता है. नियम नहीं मालूम क्या आपको ?? "

"हां, लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही से यह हमारे साथ ही ऑफिस में काम कर रहा है. ये दिल्ली में ही किराये पर कमरा लेकर रहता है."

रिसेप्शनिस्ट : "मैं इसमें कुछ नहीं कर सकती. दिल्ली का कोई पेपर लाओ. किरायानामा या राशन कार्ड या कोई और दिल्ली के पते वाला कागज. उसके बिना यहां ईलाज नहीं हो सकता".

लड़के बहस करते रहे, हॉस्पीटल स्टाफ नियमों का हवाला देता रहा. उधर वो लड़का स्ट्रेचर पर लेटे लेटे ही मर गया.

(क्या भविष्य में ऐसा होने वाला है? अभी तक ऐसा हुआ नहीं है, पर केसरीवाल अगर ऐसा नियम बना देता है, तो बहुत बुरा होगा).
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अरविन्द केसरीवाल दिल्ली के हॉस्पीटलों में केवल दिल्ली में रहने वालों का ही ईलाज करवाने का नियम बनाना चाहते हैं. तो अगर आप किसी दूसरे प्रदेश से दिल्ली में किसी काम से जाते हैं, या दिल्ली में पढ़ने जाते हैं, या दिल्ली में कोई नौकरी करते हैं तो सबसे पहले दिल्ली का पता दिखाती अपनी कोई ID बनवाइये, वर्ना दिल्ली के हॉस्पीटल आपका इलाज करने से मना कर सकते हैं.

आक थू इस गन्दी राजनीति पर.

शायद देश में इतना गन्दा नेता कोई दूसरा कभी हो ही नहीं सकता ।

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