केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन ने 1.1 करोड़ रुपये फर्जी कंपनियों को ट्रांसफर किए थे,
फिर सारा पैसा कैश में बैंक से निकाला गया था और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच वितरित किया तथा उन्हें 'बड़ी कार्रवाई' के लिए तैयार के निर्देश दिए थे साथ ही दंगे शुरू होने से ठीक एक दिन पहले ही ताहिर हुसैन ने पिस्टल ली थी।
यह घटना दिल्ली के वोटरों को एक सबक के अनुसार समझनी चाहिए क्योंकि जिस फ्री के लालच में उन्होंने केजरीवाल और उसके जिहादी दंगाई गैंग को चुना था वास्तव में वही जिहादी दंगाई गिरोह दर्जनों निर्दोष दिल्ली वालों का काल बनकर उभरा, और आम आदमी पार्टी के जिहादियों द्वारा बर्बरता पूर्वक निर्दोष दिल्लीवासियों की हत्याएं कर नाले में उनके शव ठिकाने लगाए गए, अंग्रेजी में कहावत है कि "देयर आर नो फ्री लंचेज़ इन दिस वर्ल्ड", और मुझे नहीं लगता कि मुझे दिल्ली के संभ्रांत उच्च शिक्षित एक्सेंटेड अंग्रेजी बोलने वाले वोटरों को इस कहावत का अर्थ समझाने की आवश्यकता भी है, और वैसे भी उनके सामने तो प्रत्यक्ष उदाहरण उपलब्ध है जिससे वे स्वयं भविष्य के लिए बहुत कुछ सीख सकते हैं.....