पालघर में दो सन्यासियों और उनके ड्राइवर की पुलिस के सामने पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है
उसमें से एक सन्यासी तो 72 साल के बुजुर्ग थे और बेहद दुबले-पतले थे .. वहां एक दो पुलिसकर्मी नहीं थे बल्कि 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद थे और उनके पास हथियार भी था
पुलिसवाला उनका हाथ पकड़कर उन्हें दरिंदों के हवाले करता है वह 5 से 6 बार पुलिस वाले के शरण में जाना चाहते हैं लेकिन हर बार पुलिस वाला उन्हें ढकेल कर भीड़ के आगे कर देता है अंत में उन्हें अपनी मौत सामने दिखाई देती है वह मुस्कुराने लगते हैं
और दरिंदों भीड़ उन्हें पीट-पीटकर कभी पत्थरों से कभी लाठियों से मार डालती है फिर उनके शव को उठाकर एक टैम्पो में फेंक दिया जाता है
तब भारत में किसी भी बुद्धिजीवी किसी भी वामपंथी सूअर किसी भी एक्टिविस्ट का दिल नहीं दुखा लेकिन आज यह अमेरिका में जार्ज फ्लाईट के मौत पर आंसू बहा रहे हैं