केरल के पालक्काड में गर्भवती हथनी की मौत का असली जिम्मेदार कौन है? भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो उसके लिए क्या करना चाहिए?
बड़ी चतुराई से खबरों में बम को पटाखों से बदल दिया। कौन सा पटाखा इतना शक्तिशाली होता है कि हाथिनी का जबड़ा तोड़ दे?
यह एक पटाखा था ही नही, दबाव पड़ने पर फूटने वाला बम था। पटाखे से हाथी नही मरा करते, थोड़ा दिमाग पर जोर डालिये। लेकिन मीडिया या केरल सरकार बिल्कुल नही चाहेगी की सच पता चले इसलिए पटाखा बोला गया। एक सोची समझी हत्या को हादसे की शक्ल देने के लिए ऐसा बोला गया "पटाखे से हथिनी की मौत"।
आप को क्या लगता है बात सिर्फ हाथी के मरने की है ? सभी तरफ़ लोग ये बोल रहे है कि आखिर कोई इंसान किसी भूखे जानवर को अनानास फल में बम दे भी कैसे सकता है ।
लेकिन मुझे इन लोगो का इतिहास पता है । इसलिए मुझे बिल्कुल इन हैवानों की हैवानियत पर संदेह नही है ।
ये काँड केरल के मल्लपुरम और उसके आसपास पलक्कड़ में हुआ है । ये मल्लापुरम में अभी कुछ महीनों पहले ही राज्य सरकार ने इस तरह के बम बनाने की अनुमति ये कह कर दी कि इससे जंगली सुअरों को मारने में आसानी रहेगी ,लेकिन मामला ते था ही नही
असल मे मल्लापुरम और आसपास में में लंबे समय से हिंदुओ के विरोध में भारी हिंसा हो रही है इसका इतिहास आज से 100 साल पीछे से शुरू होता है ।
लेकिन पहले मल्लापुरम में किसकी कितनी आबादी है ये देख लेते है ।
और पूरी दुनिया में बम फोड़ने का काम कौन लोग करते है आप जानते है
तो सौ साल पहले क्या हुआ था
पहले ये मैप देखे इसमे मल्लपुरम और पल्लकड का क्षेत्र आता है
1 गाँधी ने एक आन्दोलन खिलाफत चलाया था जिसका उद्देश्य था की टर्की के इस्लामिक खलीफा को अग्रेज फिर से खलीफा बना दे उसके लिए गाँधी ने देश भर में रेलिया की और सांप्रदायिक नारे भी लगवाये , इससे मुस्लिमो में धार्मिक एकता आ गयी
2 मल्लापुरम में एक विद्रोह हुआ जिसमे एक साम्प्रदायिक लोगो की फ़ौज ने हिंदुओ का नरसंहार किया
3 शान्ति के पुजारी गाँधी और कोग्रेस ने इस नरसंहार की आलोचना नही की जिसके बाद कोग्रेस के कई बड़े नेताओं ने कोग्रेस छोड़ दी और इसके बाद ही आरएसएस भी बनी हेडगेवार पहले कोग्रेस में ही थे
4 दुसरे हिन्दू सगठन भी बनने शुरू की अब हिंदुओ को अपनी सुरक्षा पर खुद ही सोचना होगा
5 सरकारी रिकोर्ड में जाए तो इसके बाद ही मालाबार पुलिस बनाई गयी
6 ये घटना भारतीय इतिहास की किताबो में झूठ के साथ परोसी गयी की ये अंग्रेजो और जमीदारो के विरोध में विद्रोह था
7 लेकिन जमीदार तो कुछेक लोग ही होगे ना ?
फिर ये सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से 10000 हिंदुओ का नरसहार क्यों किया गया ?
इस घटना के बाद गाँधी की चारो तरफ थू थू हुई
सबसे घटिया बात गाँधी ने तब बोली जब उन्होंने मोपला में हिंसा करने वालो को बहादुर और धर्म के लिए लड़ने वाला बताया दिया गाँधी तब भी नही सुधरे और उसके बाद आर्य समाज के स्वामी श्रधानंद की हत्या जब एक अब्दुल्ला नाम के जिहादी ने कर दी तो गाँधी ने फिर हत्या की ना तो आलोचना की बल्कि अब्दुला को अपना भाई बोलकर माफ़ करने की बात की
इस पर
अम्बेडकर जी ने सबसे मुखर तरीके से गाँधी की हिंदू मुस्लिम भाईचारा की नौटंकी को धोया , जो ये है देखे मैप 3 और 4
मतबल अहिंसा के तथाकथित पुजारी ने हिंसक लोगो द्वारा किये गये नरसंहार पर मुह में दही जमा कर बैठ गये
अब वर्तमान राजनीति पर आये तो लम्बे समय से मल्लापुरम में हिंदुओ के खिलाफ हिंसा चल रही है लेकिन देश के हिंदुओ को ना इसका कोई पता है ना ही उनकी रूचि है
वो कुम्भकर्ण की नीद सो रहे है
ये मामला बस जानवर के खिलाफ हिंसा का नही है मल्लापुरम में जो हिन्दू मारे जा रहे है ये उनके खिलाफ हिंसा का भी है
वरना खुद सोचिये किसी भूखे गर्भवती हाथी को बारूद खिलाने वाले को आम शैतान तो नही हो सकते है
इस इलाके में सिर्फ पशुओं पर अत्याचार नही हो रहे है हिंदुओ पर ये अत्याचार 100 सालो से लंबे समय से हो रहे है और किसी को कोई खबर नही
क्या हिंदुओ की हैसियत जानवरो से भी बदतर है ??
कुछेक लोग जिले के नाम पर
गौर से मल्लपुरम और पक्कड़ जिले की सीमा देखिए ,ऐसे में सीमा से लगे जिलों में सरकार अक्सर अपने वोट बैंक को बचाने के लिए झूठ बोलती रहती है ,जबकि चीफ वॉर्डन ने पहले मल्लपुरम ही बोला था ।