लद्दाख के दक्षिण−पूर्व में स्थित पैंगांग झील के वर्तमान विवाद पर वहाँ कार्य कर चुके एक सीमारक्षक अधिकारी का सन्देश उनकी अनुमति से सार्वजनिक कर रहा हूँ=
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“फिंगर 8 से भी 7 KM आगे चीन की ओर SIRJIP है जहाँ चीन की पहली स्थाई चौकी थी। और भारतीय फौज व ITBP कभी वहाँ तक जाती थी। 1962 के लड़ाई के समय भी वास्तविक भूगौलिक स्थिति आज वाली नही थी। चीन भी पहले कभी फिंगर 8 से आगे नही आता था लेकिन उसकी नीति ऐसी ही है। अब वो पूरा पनगोंग झील तक दावा करता है उसका कारण है फिंगर 2 के पास से 2 नए घाटी खुलती है जिसमे भारतीय सैनिक पहले से है। यदि चीन फिंगर 2 तक क़ब्जा कर लेगा तो लदाख सेक्टर की लड़ाई बहुत ही सीमित हो जाएगी। चीन आसानी से दूसरे घाटी में भारतीय सैनिकों को byapss कर देगा। इसलिए चीन दुरगामी फायदे को देख रहा है। भारतीय नीति और स्थिति भी स्पष्ट नही होने के कारण भी ये हालात है। ITBP पिछले के वर्षों से तत्परता से सीमा की रक्षा कर रही है। इसक्षेत्र पहले सेना की उपस्थिति भी बहुत कम थी जो कि अब प्रयाप्त है और सरकार भी दृढ़ता दिखा रही है। मैं पूरा विवरण नही बता सकता।”
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जिसे उन्होंने “चीन की पहली स्थाई चौकी थी” लिखा उसे मैंने अपने पिछले पोस्ट के मानचित्र में “CHINESE BASE” लिखा और उस पोस्ट में लिखा है = “हाल के विवाद से पहले भारतीय पैदल गस्ती दल चीनी बेस तक चले जाते थि किन्तु अब उनको वर्तमान LAC पर ही चीन रोक रहा है” ।
वह CHINESE BASE फिंगर−८ से ७ किमी पूर्व ही है ।
पिछले पोस्ट में एक पैरा इण्डियन एक्सप्रेस के गलत मानचित्र पर आधारित रह गया जिसे सुधारना छूट गया था=
“भारतीय दावा फिंगर−८ तक है ,वहाँ तक भारतीय गस्ती दल नहीं जाते थे । चीनियों ने फिंगर−५ के झील−तट पर ही अपनी सैन्य चौकी बना रखी है जहाँ उनकी नौसैनिक नौकायें भी हैं ।”
इसे सुधारकर लिख रहा हूँ =
“भारतीय दावा फिंगर−८ तक है ,वहाँ तक भारतीय गस्ती दल जाते थे । चीनियों ने फिंगर−८ से ७ किमी पूर्व झील−तट पर ही अपनी सैन्य चौकी बना रखी है जहाँ उनकी नौसैनिक नौकायें भी हैं ।”
यह सही वर्सन मेरे पोस्ट में पहले से हैं “हाल के विवाद से पहले भारतीय पैदल गस्ती दल चीनी बेस तक चले जाते थि किन्तु अब उनको वर्तमान LAC पर ही चीन रोक रहा है” । वह CHINESE BASE फिंगर−८ से ७ किमी पूर्व है ।
पिछले पोस्ट वाला चित्र पुनः संलग्न है,वास्तविक नियन्त्रण रेखा LAC का चीनी दावा चित्र में “LAC−१” है तथा भारतीय दावा “LAC−२” है ।
इन्हीं दोनों रेखाओं के बीच वाला क्षेत्र वर्तमान विवाद का विषय है । किन्तु चीन का दूरगामी लक्ष्य है फिंगर−२ पर कब्जा ताकि भविष्य में सम्पूर्ण लद्दाख पर कब्जा कर सके क्योंकि चीन के अनुसार पूरा तिब्बत चीन का है और चीन के अनुसार पूरा लद्दाख तिब्बत का अङ्ग है । यही कारण है कि १९६२ के पश्चात किसी भी वार्ता में चीन ने अपना सम्पूर्ण पक्ष कभी स्पष्ट नहीं किया,वह पूरा लद्दाख हथियाने के लिये अवसर की ताक में है । उसके बाद शेष जम्मू−कश्मीर पर पाकिस्तान का कब्जा कराकर उसे अपना उपनिवेश बनाकर रखेगा । ऐसे लक्ष्य को चीन खुलकर कह नहीं सकता ।
भारत के हित में यह था कि तिब्बत पर चीन को कब्जा करने से रोकता जो ५०’ के दशक में भारत कर सकता था किन्तु नेहरु की कबूतर उड़ाने में रुचि थी ।
पूर्ण युद्ध की स्थिति में दोनों सेनाओं की तुलना अगले पोस्ट में ।
विनय झा