राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी पत्नी और बच्चों को कड़ी सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया गया। इसी संदर्भ में उन्हें एस पी जी सुरक्षा प्रदान की गई ।एस पी जी या Spl Protection Group की सुरक्षा में एक शर्त ये है कि सारे सुरक्षाकर्मी सब्जेक्ट ( जिसकी सुरक्षा देनी है) से दूर नहीं रह सकते हैं। तो प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए यह लोधी एस्टेट का बंगला चुना गया जो 27000 स्कवायर फीट में फैला हुआ है। चूंकि प्रियंका आम नागरिक थी,वह न सरकारी सेवक थी ,ना सांसद विधायक तो उसे मार्केट रेट पर किराया देना पड़ेगा ,यह तय हुआ। 1997 में यह किराया 20000 रूपया महीना तय हुआ।
पांच साल के बाद वाजपेई सरकार से सन 2000 में प्रियंका गांधी ने अनुरोध किया कि बंगले का किराया बहुत ज्यादा है और वे आर्थिक रूप से कमजोर है इसलिए किराया कम कर दिया जाए । प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना था कि उनके एस पी जी सुरक्षा के कारण ही यह बंगला उन्हे मिला है । इसमें उनका कोई दोष नहीं है ।
सरकार ने किराया कम कर के मात्र 8000 कर दिया।
इसी किराए पर वह रहती गई । थोड़ी बहुत बढ़ोतरी के बाद। फिर 2004 में तो अपना राज आ गया
2014 में मोदी सरकार के आते ही यह मांग उठी कि कई पत्रकार,एन जी ओ चलाने वाले , राजनेता जबरदस्ती सरकारी बंगले पर काबिज हैं उन्हें बाहर निकाला जाए
बहुत लोगों को निकाला भी गया
मगर गांधी परिवार बचा रहा। कारण था इन्हे मिली एस पी जी सुरक्षा और दूसरा बदले की कार्रवाई के आरोप का डर
फिर नवंबर 2019 में एस पी जी सुरक्षा हटाई गई। उसके बाद भी पिछले आठ महीनों से बंगला खाली नहीं किया गया और ना ही किराया ही दिया गया है।
आखिर बंगला खाली नहीं करने के पीछे क्या कारण था?
ना आर्थिक ना सामाजिक बल्कि शुद्ध राजनैतिक
अभी भी यह खाली नहीं करेंगी
फोर्स और मजिस्ट्रेट जबरन खाली कराए ,पत्तलकार कैमरे लेकर आंएगे , दिल्ली से बीजिंग तक सहानुभूति की लहर उठेगी , कांग्रेस रैलियां निकालेंगी और मोदी के खिलाफ एक माहौल बनेगा कि देखो देखो विधवा मां की गरीब बेटी को जबरदस्ती तंग किया जा रहा है