Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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"ये परिस्थितियां विचलित होने के लिए नही अपितु अमेरिका के पुनः निर्माण के लिए है। इस संकट के बाद एक ऐसा अमेरिका खड़ा होगा जो विश्व के सिंहासन पर बैठेगा" यह शब्द कहे थे अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने।

दक्षिण में मेक्सिको की सेना ताक लगाकर बैठी थी और देश के अंदर गृहयुद्ध चल रहा था ऐसी विकट परिस्थिति में भी राष्ट्रपति लिंकन ने ये बाते कही और वास्तव में ऐसा समय आया जब अमेरिका ने विश्व को एक असंभव सी चीज करके दिखा दी।

कल अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस था, 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ने ब्रिटेन से आजादी की घोषणा कर दी थी मगर यह आजादी 1783 तक ही मिली। आजादी के समय अमेरिका बहुत छोटा देश था वर्तमान का पश्चिमी तट ही अमेरिका हुआ करता था। तब अमेरिका ने फ्रांस की मदद से मध्य अमेरिका पर कब्जा कर लिया तथा इसके पश्चात मेक्सिको से युद्ध किया और पश्चिमी राज्य कैलिफोर्निया तक भी भूमि कब्जा ली।

इस तरह अब अमेरिका का नक्शा आज जैसा हो गया, पैसा बिल्कुल नही था ना ही रोजगार के साधन थे ऐसी स्थिति में भी प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ करने पर जोर दिया। अमेरिका में रंगभेद की कुप्रथा थी, जिसे रोकने के लिए रिपब्लिकन पार्टी ने मुहिम छेड़ दी।

कई लोग थे जो मानते थे कि अश्वेतों को सिर्फ गुलाम होना चाहिए जबकि अब्राहम लिंकन जैसे लोग मानते थे कि हर मनुष्य एक समान है। अंततः अब्राहम लिंकन की हत्या कर दी गयी फिर भी विजय उनके गुट की हुई। 1860 में लिंकन के ही प्रयास थे कि अमेरिका में औद्योगिक क्रांति आ गयी, ब्रिटेन के साथ पुराने मनमुटाव दूर किये गए और अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा बनाया गया।

अमेरिका 19 वी सदी के अंत तक एक मध्यमवर्ग का ही देश रहा, मगर जब 1901 में थियोडर रूजवेल्ट राष्ट्रपति बने तो अमेरिका ने हथियार बनाने शुरू किए। तब तक अमेरिका फ्रांस पर निर्भर था, मेहनत रंग लायी और 1912 में जब प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई तो अमेरिका की एंट्री मित्र देशो के लिए वरदान सिद्ध हुई और अमेरिका ने अकेले ही जर्मनी और ऑस्ट्रिया के छक्के छुड़ाकर मित्र देशो को विजयी बना दिया।

1939 में दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ हुआ, जिसमे फ्रांस आरंभ में ही बर्बाद हो गया। जर्मन सेना ने पेरिस को बुरी तरह लूटा, ब्रिटेन अकेला जर्मनी से लड़ रहा था। उसी बीच जर्मनी के सहायक जापान ने पर्ल हार्बर पर बम गिराया और अमेरिका को फिर विश्वयुद्ध में आना पड़ा। पहले अमेरिका ने सोवियत संघ की मदद से जर्मनी को पछाड़ा और फिर जापान पर 2 परमाणु बम गिरा दिए। पूरा विश्व आश्चर्य चकित था कि अमेरिका ने परमाणु बम कैसे बना लिए, मगर बम कैसे भी बने हो उनके कारण अमेरिका अब सोवियत संघ की टक्कर में था।

दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त होते ही अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध छिड़ गया। दुनिया बट चुकी थी, जर्मनी, वियतनाम, कोरिया इन देशों पर दोनो ने बराबरी से कब्जा कर रखा था। अमेरिका की समस्या यही नही थम रही थी सोवियत संघ अब कम्युनिस्ट विचारधारा को जमकर बढ़ावा दे रहा था, चीन, उत्तर कोरिया और वियतनाम में कम्युनिस्ट सत्ता आ चुकी थी। अरब देशों पर सोवियत की नजर थी, ऐसे में अमेरिका ने भौगोलिक रूप से खास देशो जैसे सऊदी अरब, टर्की, कुवैत आदि से अच्छे संबंध बनाए।

अमेरिका के कुछ दाव गलत सिद्ध हुए जैसे पाकिस्तान से दोस्ती, 1971 में पाकिस्तान भारत से पराजित हुआ अमेरिका खुलकर पाकिस्तान के साथ था इस कारण अमेरिकी शस्त्रों का मजाक बन गया। इराक ईरान युद्ध मे भी अमेरिका ने सद्दाम हुसैन पर पैसा लगाया और नतीजा कुछ नही निकला। 1977 में सोवियत ने अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट सरकार बनाये रखने के लिए युद्ध छेड़ दिया तब अमेरिका ने पाकिस्तान को पैसा देकर इस्लामिक आतंकवादी संगठन बनवाये जिन्होंने सोवियत को अफगानिस्तान से तो खदेड़ दिया मगर दुनिया के ईसाई, हिन्दू और यहूदियों के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।

1991 अमेरिका का सबसे अच्छा वर्ष साबित हुआ, सोवियत संघ कई अलग अलग देशो में टूट गया जिनमे से कुछ ने तो अमेरिका से हाथ मिला लिया। इस तरह शीत युद्ध समाप्त हुआ और अमेरिका सुपरपॉवर बना। अमेरिका के सुपरपॉवर बनने की कहानी लिखी जाना आवश्यक है क्योकि आज से 100 वर्ष पहले अमेरिका का नाम लोग वैसे ही जानते थे जैसे आज नॉर्वे और ग्रीस को जानते है मगर अब अमेरिका सुपरपॉवर है।

मुझे नही लगता अमेरिका ने हमसे कम मुसीबत झेली हो, बिकाऊ नेता, बिकाऊ मीडिया और गद्दार लोग अमेरिका में भी है मगर बावजूद इसके उनके दक्षिणपंथियों ने पत्थरो को सीढ़ी बनाकर प्रयोग किया और आज तक महाशक्ति बने हुए है।

परख सक्सेना