Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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#गुरुकुलीय_शिक्षा_पद्धति

"गुरुकुल" जिनके आगे "सत्ताएं" झुकती थी।

"सम्राटों" से लेकर "नागरिकों" तक पूरे समाज और शासन के लिए
न्याय-अन्याय , नीति-अनीति और धर्म-अधर्म की परिभाषा

"गुरुकुल" ही निर्धारित किया करते थे।
जिनके आदेश समस्त सत्ताओं के लिए अंतिम आदेश होते थे

गुरुकुल
जहाँ सामान्य नागरिकों से लेकर के सम्राटों की संतानें बिना जातिगत - आर्थिक भेदभाव के एक साथ अध्ययन-भोजन-उपासना- यज्ञ- क्रीड़ा और कर्म किया करते थे।

इस महान शिक्षा पद्धति के बल पर भारत में महान गौरवशाली समाज का निर्माण हुआ और भारत विश्व में ज्ञान-विज्ञान-तकनीक-अध्यात्म और व्यापार के जाना गया और "विश्वगुरु" के रूप में विख्यात हुआ ।

दुनिया की समस्त सभ्यताओं जैसे मिश्र-रोम-बेबीलोन-कोरिया,
चीन, तिब्बत, मंगोलिया आदि देशों के ज्ञान के भूखे- जिज्ञासु मनुष्य इतिहास के अलग-अलग काल खंडों में हजारों मील महीनों की यात्रा कर भारत आते रहे और वर्षों तक भारत के गुरुकुलों में अध्ययन कर ज्ञान को अपनी-अपनी सभ्यता तक पहुंचाया और अपने साहित्य में भारत का गुणगान किया ।

पर कालचक्र में फंसा गौरवशाली-वैभवशाली भारत आक्रांताओं से पदाक्रांत हुआ ।
आक्रांताओं ने लाखों गुरुकुलों- मंदिरों -प्रयोगशालाओं का विध्वंस और लाखों आचार्यों-शिष्यों-पुरोहितों का नरसंहार कर महान गुरुकुलीय शिक्षा परम्परा को नष्ट कर दिया जिसमें अंग्रेजों ने सबसे बड़ा आघात दिया जिसे पुनः मूलरूप में सृजित न किया जा सका।

1947 में तथाकथित स्वत्रंत्रता के के बाद भी गुरुकुल उपेक्षित रहे । हजारों विपत्तियों के बीच तपस्वी योद्धाओं ने हर कालखण्ड में गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का सृजन जारी रखा जिसके परिणाम स्वरूप कुछ तथाकथित संस्थाएं गुरुकुलों के नाम से संचालित हो रही हैं।
पर संचालित हो रहे गुरुकुलों के प्रति लोगों की,समाज की धारणाएं बदल चुकी हैं :---

आज समाज में सामान्य अवधारणा है कि-
अपने बच्चों को
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "गणित,विज्ञान" से अशिक्षित रखना ।
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "business के अयोग्य" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "technology" से दूर करना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "modern language" से दूर करना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "भिखारी" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "रुढ़िवादी" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "पंडा ,पुरोहित ,पुजारी" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "कर्मकांडी" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "कुए का मेढक" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "पराश्रित" बनाना
गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "नौकरी के अयोग्य" बनाना

गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "अपने उपर भार" बनाना ।
और सबसे खतरनाक

गुरुकुल में पढ़ाना अर्थात अपने बच्चे को "मजाक का पात्र" बनाना ।

ये अवधारणाऐं है उन गुरुकुलों के प्रति हैं जिन्होंने ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म ,तकनीक,
गणित, समाज शास्त्र,
शिक्षा शास्त्र , योग शास्त्र आयुर्वेद आदि आदि का विकास कर मानवता का कल्याण किया और
गुरुकुलों का गौरव संपूर्ण भूमंडल पर स्थापित कर भारत को "विश्वगुरु" और "सोने की चिड़िया" नाम से विख्यात किया।

समाज में जो
धारणाएं गुरुकुलों के प्रति बनी हुयी हैं,
धारणाएं पूर्णतः निराधार नहीं हैं,इनके पीछे भी कुछ मूलभूत कारण हैं जिसके लिए गुरुकुल का ,आचार्य वर्ग ,महंत वर्ग ,मठाधीश ,समाज और "सत्ता" जिम्मेदार रही हैं और जिम्मेदार हैं ।
गुरुकुलीय परम्परा को जीवित रखना है तो हमें इसका कोई तर्कपूर्ण स्थाई समाधान खोजना ही होगा।
हम आज कल्पना नहीं कर पाते कि ये धारणाएं उन्हीं गुरुकुलों के प्रति हैं जिनमे कभी सनातन संस्कृति के सूर्य श्रीराम ,श्रीकृष्ण का अध्ययन हुआ ,जिनमें कभी #राजनीतिज्ञ_अर्थशास्त्री "आचार्य चाणक्य" जैसे राष्ट्र निर्माता का निर्माण हुआ ,जिनमें कभी आधुनिक #गणित_विज्ञान के पितामह "आचार्य आर्यभट" जैसी मानतम विभूतियों का निर्माण हुआ ।

खैर ये सब सत्य और प्रमाणिक इतिहास आज अवांछित , अविश्वशनीय और अप्रमाणिक घोषित कर दिया गया है , हमें अपनी सनातन संस्कृति की जड़ों को पोषित कर सकने वाले उपाय करने होंगें अन्यथा हम अपनी जड़ों को काट बैठेंगें और ये मानवीय इतिहास की सबसे विनाशक घटना होगी
भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में केवल सनातन संस्कृति का भेद है
सनातन संस्कृति पाकिस्तान जैस देशों से मिट चुकी है और भारत में मिटने की कगार पर है
मरणासन्न अवस्था में पहुँच गयी है जिसे हमारा ह्रदय बेशक स्वीकार न करे पर यही कटु और तथ्यात्मक सत्य है ।

वैदिक सनातन संस्कृति का प्राण "गुरुकुल", "वैदिक शिक्षा" और "वैदिक जीवन पद्धति" है ।

वैदिक संस्कृति के प्राण गुरुकुल आज विलुप्ति की कगार पर हैं बिना गुरुकुलों के इस सनातन संस्कृति की रक्षा की कल्पना करना व्यर्थ है ।
ये एसी कल्पना है जैसे कोई कहे कि बिना पानी के मानव का अस्तित्व ।
मुझे चिंता इस बात की है मुख्यधारा की शिक्षा से वैदिक शिक्षा का नामों निशान तक मिटा दिया गया है उसे कैसे पुनः मुख्यधारा में वापस लाया जाए ,जो अगले 50 वर्षों में भी अति दुष्कर प्रतीत होता है ,दूसरा वैदिक विद्वान् अपना दम तोड़ रहे हैं .गिने चुने विद्वान् हैं , गिनती के सस्वर वेदपाठी वो भी केवल दक्षिण भारत में ही शेष बचे हैं,जो जीवन संघर्ष के साथ आज भी इस विद्या को बचाने में लगे हैं ।
उत्तर भारत वेदपाठियों से कई दशक पहले ही विहीन हो चुका है
आज हिंदु लगभग पूर्णतः वेद विद्या से कट चुका है ,वेद से उसका सम्बन्ध ही न रहा है ।
आज हमारा दर्शन-जीवन-राष्ट्रनीति और शिक्षा से सनातन सिद्धांतों का लोप हो चुका है।

आज हिन्दू अपने बच्चों को सब कुछ बनाने के लिए तैयार है।
वो बच्चों को इंजिनीयर,डाक्टर ,वकील , और मल्टीनेशनल कंपनी में नोकर बनाने को तैयार है पर को वेद का विद्वान् बनाने के लिए तैयार नहीं ।

आज चर्चा इस विषय पर होनी चहिए कि
कैसे वेद विद्या को बचाया जा सकेगा ????
किस तरह गुरुकुलीय परम्परा को जीवित किया जा सकेगा ???
कैसे पुनः सनातन संस्कृति की वैज्ञानिक दृष्टिकोण और दर्शन युक्त "शिक्षा" और "समाज" का पुनः सृजन किया जाये ????

ये प्रश्न हमारे अस्तित्व और मानवीय सभ्यता के भविष्य का है
अपने आचार्य वर्ग से कहना चाहूंगा कि सबसे बड़ी भूल हमी से हुयी है,आखिर हमने गणित ,विज्ञान ,राजनीति ,अर्थशास्त्र ,ज्योतिष ,खगोल ,भूगोल आदि आदि विषयों को छोड़कर क्यों केवल आधे अधूरे संस्कृत व्याकरण तक सीमित हो गए हैं ??????
जबकि हमारे हर आचार्य ने गणित ,विज्ञान ,राजनीति ,अर्थशास्त्र ,ज्योतिष ,खगोल ,भूगोल आदि विषयों के महत्त्व को बार बार बताया है , और सबसे महत्वपूर्ण इन सब विषयों की नीव मानव कल्याण के लिए हमारे आचार्यों ,हमारे ऋषियों ने ही रखी थी और हमने उन्ही का त्याग कर दिया
जबकि अरब तथा पश्चिम के लोगों के साथ सम्पूर्ण विश्व ने इसका लाभ उठाया।
हमारे आचार्यों के कार्यों,उनकी खोजों को अरब तथा पश्चिम के लोगों ने अपने नाम का लेवल गया दिया और उसी लेवल के साथ पढ़ाया ।
आज हमारे बच्चे हमारे आचार्यों की खोज को विदेशियों के नाम से पढ़ने को विवश हैं ।

आज आवश्यकता है कि सर्वप्रथम सब विषयों का वैदिकीकरण किया जाए और नए सिरे से पाठ्यक्रम का संकलन कर गुरुकुलों आदि विद्या के केन्द्रों में संस्कृत ,वैदिक वांगमय के साथ गणित ,विज्ञान ,खगोल ,भूगोल आदि आदि विषयों को पढ़ाया जाए
कुछ संस्थाएं संस्कृत व्याकरण और वैदिक वांगमय के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं पर सम्पूर्ण रूप से सभी विषयों को वैदिक द्रष्टिकोण से अध्ययन कराने वाली संस्थाएं लगभग नहीं ही हैं ।

हम इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं ज्ञान ,विज्ञान ,अध्यात्म, तकनीक ,गणित ,युद्धकला आदि विषयों पर आधारित गुरुकुलों की स्थापना हो जहां हम अपने बच्चों को वेद शास्त्र में प्रवीण बनाने के साथ उन्हें इंजीनियरिंग ,मेडिकल, सिविल सेवा आदि क्षेत्रों के लिए भी तैयार कर सकें इसी
संकल्पना को धरातल पर लाने के लिए ऋषिपथ गुरुकुल की योजना प्रस्तावित है।

जल्द ही सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए ऋषिपथ गुरुकुल अपने अस्तित्व में आएगा जहां आप अपने बच्चों को पूर्णकालिक या अल्पकालिक समय के लिए भेज सकते हैं ।
स्थाई शिक्षा के साथ यहां 8 दिन से लेकर 15 दिन तक के शिविर भी आयोजित किए जाएंगे जिसमें बालक ,युवा भी आकर अपनी वैदिक शिक्षा ,सनातन संस्कृति, सनातन धर्म आदि से परिचित हो सकते हैं ।

सनातन संस्कृति विज्ञानपूर्ण है , इसके हर विचार और
क्रिया का अपना विशेष विज्ञान है I
सनातन संस्कृति के विज्ञानपूर्ण तथ्यों को अपने बच्चों ,युवाओं और जन जन के सम्मुख प्रस्तुत करना,उन्हें सनातन संस्कृति से जोड़ना,धर्मनिष्ठ ,संगठित तथा "गुरुकुलीय शिक्षा" को पुनर्स्थापित करना हमारा लक्ष्य है I

संगठित हिंदु ही भारत और हिन्दुओं की हर समस्या का समाधान है I
हिन्दुओं को संगठित तभी बनाया जा सकता है जब हम हिन्दुओं को धर्मनिष्ठ बना सकें उनमे धर्म का जागरण कर सकें Iहिन्दुओं को धर्मनिष्ठ बनाना ही हमारे हर कार्य का मूल है I

हमारे युवा तभी संस्कृति से प्रेम करेंगें , तभी धर्मनिष्ठ बनेंगें जब वे विज्ञानपूर्ण संस्कृति और धर्म के विज्ञान को जानेगें I

कुछ जिज्ञासाएं कभी न कभी हर मनुष्य के मन-मस्तिष्क में काभिन्न कभी अवश्य उठती हैं ।
जैसे -
सृष्टि निर्माण की प्रक्रिया क्या है औऱ नियंता कौन है ?
सृष्टि कब और क्यों बनी/ बनाई ?
सृष्टि का मूल क्या है ??
मनुष्य अस्तित्व में कैसे आया ?
मनुष्य को ज्ञान कैसे मिला/ मिलता है ??
मनुष्य को सर्वप्रथम भाषा और उच्चारण का ज्ञान कैसे हुआ ?
हम कौन हैं ?
यदि ईश्वर है तो वो कैसा है, कहाँ है एवं उसे कैसे जान सकते हैं ???
धर्म की वैज्ञानिकता और आवश्यकता क्या है ???
यदि ज्ञान-विज्ञान ऋषियों ने मनुष्यों को दिया तो
किस ऋषि ने अपने किस ग्रन्थ में विज्ञान और गणित के सिद्धांत दिए हैं ???

इन मूलभूत जिज्ञासाओं के समाधान के बिना मनुष्य की समस्त शिक्षायें अधूरी और विनाशक हैं।
हमें गर्व है कि इन सब मूल जिज्ञासाओं का समाधान मात्र गुरुकुलीय शिक्षा में हैं।

गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति बालक के सर्वांगींण विकास का महानतम व्यवस्था है -
जिसमें बालक के शारीरिक , मानसिक , आत्मिक और सामाजिक विकास का ध्यान रखा जाता है।

जिसके लिए ऋषियों-आचार्यों ने बालकों की उम्र के साथ शिक्षा के निम्न क्रम की व्यवस्था स्थापित की है -

1. नैतिक शिक्षा - भाषा शास्त्र
( हृदय के विकास के लिए ऋषियों ने भाषा के प्रारंभिक ज्ञान के साथ जीवन मूल्यों संस्कारों की शिक्षा का विधान किया )

2. गणित शास्त्र
(मस्तिष्क के विकास के लिए ( तर्क शक्ति के विकास के लिए ) ऋषियों ने गणित शास्त्र का प्रतिपादन किया । गुरुकुल में महान गणितीय परम्परा के कारण भारत में महान-महान गणितज्ञ हुए जिन्होंने आधुनिक गणित में महानतम योगदान दिया , गणित शास्त्र के अभ्यास में गणित की अनेक शाखाएँ सम्मिलित हैं , जैसे - गणित (mathematics ) ,अंकगणित (arithmetic ) , बीजगणित (algebra ), रेखागणित ( ज्यामिति ,geometry)

3.युद्धकला ( शारीरिक विकास के लिए ऋषियों ने युद्धकला का प्रतिपादन किया , जिससे धर्म-राष्ट्र-प्रजा और न्याय की रक्षा के योग्य समाज का निर्माण किया जा सके )

4. अध्यात्म spirituality ( सृष्टि के मूल तत्वों की अनुभूति के लिए ऋषियों ने योग विज्ञान का विधान किया है जिससे स्वयं को जाना जा सके - गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति ही है जो स्वयं के ज्ञान को मुख्य विषयों में रखती है )

5. ज्योतिष विज्ञान
( ग्रहों की गति और काल गणना का विज्ञान )

6. चिकित्सा ( medical science )

7. संगीत ( music )

8. भूगोल (geography )

9. राजनीति (politics )

10. समाजशास्त्र ( sociology )

11. न्यायशास्त्र (Jurisprudence )

12. अर्थशास्त्र (economics )

13. खगोलशास्त्र ( astronomy )

14. भाषा (language )

15. तकनीक (technology ) ,


विभिन्न विषयों पर बृहद अनुसंधान और प्रयोगशालाओं को ऋषिकुल कहते हैं जहां पर निम्न विषयों के अध्ययन का प्रमाण मिलते हैं - जिनका विनाश आक्रांताओं और कई अर्ध प्रलयों के कारण विज्ञान-विज्ञान का महान साहित्य नष्ट हुआ और जलाया गया।

1. अग्नि विद्या ( metallergy )
2 वायु विद्या ( flight )
3 जल विद्या ( navigation )
4 अंतरिक्ष विद्या ( space scienc)
5 पृथ्वी विद्या ( environment )
6 सूर्य विद्या ( solar study )
7 चन्द्र व लोक विद्या ( lunar study )
8 मेघ विद्या ( weather forecast )
9 पदार्थ विद्युत विद्या ( battery )
10 सौर ऊर्जा विद्या ( solar energy )
11 दिन रात्रि विद्या
12 सृष्टि विद्या ( space research )
13 खगोल विद्या ( astronomy)
14 भूगोल विद्या (geography )
15 काल विद्या ( time )
16 भूगर्भ विद्या (geology and mining )
17 रत्न व धातु विद्या ( gems and metals )
18 आकर्षण विद्या ( gravity )
19 प्रकाश विद्या ( solar energy )
20 तार विद्या ( communication )
21 विमान विद्या ( plane )
22 जलयान विद्या ( water vessels )
23 अग्नेय अस्त्र विद्या ( arms and amunition )
24 जीव जंतु विज्ञान विद्या ( zoology botany )
25 यज्ञ विद्या ( material Sc)

इन विद्याओं के अतिरिक्त राष्ट्र- समाज और व्यक्ति के दैनिक प्रयोग में प्रयोग होने वाली विद्याओम की शिक्षा गुरुकुलों में होती थी बाद में ये विद्याऐं प्रचलन में आकर परंपरा
परंपरा का अंग बन गई जिनकी शिक्षा गुरुकुलों में सृजित हुई -

वाणिज्य ( commerce )
कृषि (Agriculture )
पशुपालन ( animal husbandry )
पक्षिपलन ( bird keeping )
पशु प्रशिक्षण ( animal training )
यान यन्त्रकार ( mechanics)
रथकार ( vehicle designing )
रतन्कार ( gems )
सुवर्णकार ( jewellery designing )
वस्त्रकार ( textile)
कुम्भकार ( pottery)
लोहकार (metallergy)
तक्षक
रंगसाज (dying)
खटवाकर
रज्जुकर (logistics)
वास्तुकार ( architect)
पाकविद्या (cooking)
सारथ्य (driving)
नदी प्रबन्धक (water management)
सुचिकार (data entry)
गोशाला प्रबन्धक (animal husbandry)
उद्यान पाल (horticulture)
वन पाल (horticulture)
नापित (paramedical)

आज हर सनातनी को गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति को जीवंत करने के लिए गुरुकुलीय शिक्षा के महत्व को बताना अत्यंत आवश्यक है जिससे सनातनियों के मन में पुनः गुरुकुलों के प्रति निष्ठा उत्पन्न हो और वे सृजन के कार्य में लग सकें।

गुरुकुलीय शिक्षा से किस तरह बच्चों का हो सकता है ???
गुरुकुलीय शिक्षा से समाज ,परिवार और राष्ट्र में कौन से परिवर्तन होंगें ???
गुरुकुलीय शिक्षा से मानवता का उत्थान कैसे संभव है ??

आदि आदि प्रश्नों का समाधान इस पेज पर अपने लेखों के माध्यम से देने का प्रयास करूंगा I
गुरुकुलीय शिक्षा पर लेखन के साथ इस धरातल पर उतारने के लिए प्रयासरत हैं-

हमारी कार्ययोजना :-

१.:- गुरुकुल :- बालकों का सर्वांगीण विकास करने में सक्षम सर्व्श्रेश्था शिक्षा पद्धति "गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति" को जीवंत करना हमारा लक्ष्य है जहाँ
गणित (mathematics ) ,अंकगणित (arithmetic ) , बीजगणित (algebra ), रेखागणित ( ज्यामिति ,geometry),विज्ञान ( science ), खगोलशास्त्र ( astronomy )
ब्रह्माण्ड ( universe ), भूगोल (geography ), आयुर्वेद और मेडिकल साइंस ( medical science ) ,राजनीति (politics ),समाजशास्त्र ( sociology ),न्यायशास्त्र (Jurisprudence ) , अर्थशास्त्र (economics ) ,भाषा (language ),तकनीक (technology ) ,अध्यात्म (spirituality) ,संगीत ( music ) युद्धकला से परिपूर्ण शिक्षा की व्यवस्था होगी ,जिससे गुरुकुल के विद्यार्थियों को शिक्षण,मेडिकल-इंजीनियरिंग, प्रशासन, राजनीति और समाज सेवा आदि क्षेत्रों के लिए तैयार कर सकें ।
गुरुकुल में पूरे भारत के बच्चे अध्ययन के लिए आ सकेगें। गुरुकुल में अमीर-गरीब सभी को एकसमान व्यवस्था दी जाएगी।
हर जाति वर्ग के लिए गुरुकुल के द्वार सदैव खुले हैं ,गुरुकुल में जातिगत भेदभाव नहीं होगा योग्य हर विद्यार्थी को हर प्रकार की शिक्षा में दीक्षित कर उसे श्रेष्ठ नागरिक बनाने का प्रयास होगा ।

२.:- विद्यालय :- स्थानीय बच्चों को " गुरुकुलीय शिक्षा" में दीक्षित करने के लिए गुरुकुल प्रान्गड़ में विद्यालय स्थापित किया जाएगा , जहाँ आसपास के 8-10 किलोमीटर दूरी तक के बच्चे आ सकें !

३.:- लघु गुरुकुल :- 8 दिन से लेकर 30 दिनों तक चलने वाले लघु गुरुकुल ( शिविर ) जिसमें बच्चे ,युवा और हर उम्र के लोग आ सकते हैं , अभिवावक अपने बच्चों के साथ आ सकते है जहाँ उन्हें गुरुकुलीय जीवन शैली और सनातन ज्ञान से परिचित कराया जाएगा , एक short term course की तरह , जिसे प्रति तीन माह में लगाने की योजना है जब कोई आना चाहे आ सकता है और सैद्धांतिक ( Theoretically ) और प्रायोगिक ( Practically ) रूप से सनातन संस्कृति को जान सकता है , इससे जिनके बच्चे कोंवेंट आदि में पढ़ते हैं वे भी सनातन और गुरुकुलीय ज्ञान से परिचित हो सकते हैं I बच्चों और बढों के लिए अलग अलग कोर्स बनाए गए हैं !

४. Vaidik Classes ( वैदिक कक्षाएं ) मुख्यतः शहरों में कुछ सेंटर बनाकर सप्ताह में हर बालक को कम से कम दो कक्षाएं लगाकर उन्हें practical & theoretical
वैदिक विज्ञान , जीवन दर्शन दर्शन, इतिहास और संस्कृति का ज्ञान कराया जाएँ इस ओर हम प्रयासरत हैं
उत्कृष्ठ शिक्षा से ही मानवता का वर्तमान और भविष्य उत्तम बन सकता है !

शुभमस्तु
विवेकानन्द विनय
संपर्क सूत्र :- 8279318028
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