चीन पीछे नहीं हटा है उल्टे भारत ने चीन पर दया कर उसे एक फेस सेवर दे दिया है, चीन के पीछे हटने का प्रमुख कारण गलवान नदी में आई भीषण बाढ़ है जिसके कारण चीन की लॉजिस्टिक सप्लाई लाइन कट चुकी थी, और गलवान में चीनी सैनिक भारतीय सेना के लिए मात्र बैठे हुई बत्तख बनकर रह गए थे,
और अजीत डोभाल ने बिल्कुल यही बात चीनी विदेश मंत्री को अपनी बातचीत में कई होगी, कि या तो अब आप स्वयं शराफत से पीछे हट जाइये, अन्यथा लॉजिस्टिक स्पोर्ट से वंचित आपके पीले सैनिकों को भारतीय आर्म्ड फोर्सेज कायदे से रगड़कर दुनिया भर में आपकी नाक काट देगी।
वास्तव में यदि भारतीय सेना चाहती तो इस समय मात्र 3-4 अटैक हैलीकॉप्टर लगाकर चीन को वह सबक सिखाती की पूरी दुनिया उसपर हंस रही होती, और चीनी आर्मी त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही होती, और बेबस चीन गलवान में बैठे अपने सैनिकों को बचाने के लिए भी कुछ नहीं कर पाता क्योंकि गलवान नदी के प्रबल वेग से चीन की पूरी लॉजिस्टिक सप्लाई लाइन कट चुकी थी और चीनी सैनिक केवल एयरसपोर्ट के भरोसे रहते, जहां 12000 फीट की ऊंचाई के कारण चीनी वायुसेना अपनी पूरी क्षमता और मैक्सिमम टेकऑफ वेट, पूरे वेपन और एक्सटर्नल फ्यूल टैंक के संग ऑपरेट कर गलवान की ऊंचाई तक नहीं आ सकती थी, जबकि ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे लैंडिंग ग्राउंड दौलत बेग गोल्डी के एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना चीन के विरुद्ध बहुत ही कारगर रूप से इस्तेमाल करती।
खैर इस बार तो चीन सस्ते में छूट गया और उसे पतली गली पकड़कर निकलने का अवसर मिल गया परंतु यह भी एक सत्य है कि चीन पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता और संभव है कि गलवान नदी में बाढ़ समाप्त हो जाने के बाद सितंबर के महीने में चीन पुनः यही नौटंकी करे और पुनः आगे आ जाए, इसीलिए हमें नही लगता कि इस बार हमेशा की तरह सर्दियों में भारतीय सेना अपनी पोज़िशन खाली कर पीछे हटेगी।