कोरोना को हल्के में लेते हुए लॉकडाऊन में बाहर निकलने वालों का हश्र . . .
1 - एक दिन अचानक बुख़ार आता है !
2 - गले में दर्द होता है !
3 - साँस लेने में कष्ट होता है !
Covid टेस्ट की जाती है, 1 दिन तनाव में बीतता हैं! अब टेस्ट + ve आने पर रिपोर्ट नगर पालिका जाती है!
4 - रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है !
5 - फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है !
6 - कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर तुम्हें देखते हैं !
7 - कुछ लोग आपके लिए टिप्पणियां करते है !
8 - कुछ मन ही मन हँस रहे होते हैं !
9 - एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने का कहते हैं !
10 - बेचारे घरवाले तुम्हें जी भर कर देखते हैं! टेन्सन में आ जाते है और सोचने लगते है कि अब किसका नम्बर है!
तुम्हारी आँखों से आँसू बोल रहे होते हैं.... तभी आवाज़ दी जाती है- चलो जल्दी बैठो!
11 - एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द ! सायरन बजाते रवानगी !
12 - फिर कॉलोनी वाले बाहर निकलते है!
13 - कॉलोनी सील कर दी जाती है !
14 - 14 दिन पेट के बल सोने को कहा जाता है!
15 - दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है !
16 - Tv, Mobile सब अदृश्य हो जाते हैं !
17 - सामने की खाली दीवार पर अतीत और भविष्य के दृश्य दिखने लगते.. ओर वहा पर बुरे बुरे सपने आने लगते है..!
अब आप ठीक हो गए तो ठीक! वो भी जब 3 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएँ तो घर वापसी! लेकिन इलाज के दौरान यदि आपके साथ कोई अनहोनी हो गई तो . . .
18 - आपके शरीर को प्लास्टिक के कवर में पैक कर सीधे शवदाहगृह!
19 - शायद अपनों को अंतिमदर्शन भी नसीब नहीं !
20 - कोई अंत्येष्टि क्रिया भी नहीं!
21 - सिर्फ परिजनों को एक डेथ सर्टिफिकेट!
वो भी इसलिए कि वसीयत का नामांतरण करवाने के लिए.. और खेल खत्म... बेचारा चला गया. . . अच्छा था..
इसीलिए बेवजह बाहर मत निकलिए! घर में सुरक्षित रहिए! बाह्य जगत का मोह और हर बात को हल्के में लेने की आदतें त्यागिए!
यह वर्ष काम धंधे का, कमाई करने का नहीं है! पिछले वर्षों में कमाया उसे खर्च करिये! मार्च 20 से दिसम्बर 20 तक 10 माह कमाने का वर्ष नही, जीवन बचाने का वर्ष है!
जीवन अनमोल है! कड़वा है किंतु यही सत्य है!
लॉकडाउन में छूट सरकार ने दी है, कोरोना ने नही! सरकार ने तो लॉकडाउन खोल दिया लेकिन आप सावधान रहिये, सतर्क रहिये क्योंकि आप सरकार कि नजर में मात्र एक संख्या हैं! लेकिन अपने परिवार के लिये आप पूरी दुनिया हैं !
आपका जीवन अनमोल है! सावधानी ही बचाव है!
✍...उमेश कुमार अग्रवाल, सौजन्य से : आरडी. अमरुते