पदाधिकारी पदाधिकारी होता है वह न किसी सरकार का फेवरेट होता है न उसका विरोधी। राजनेता भले ही अपने आप उनका वर्गीकरण अच्छे-बुरे कैटेगरी में कर देते हैं।जो उनके किसी भी आदेश को आंख मूंद कर मान लें वे बेस्ट,जो नियम कानून का हवाला दें वे घटिया।
वर्तमान में जिनकी मैं चर्चा कर रहा हूं वह हैं मैडम अश्विनी भिडे । ये महाराष्ट्र कैडर की आई ए एस हैं। महागठबंधन की सरकार बनने के पहले ये मुंबई मेट्रो रेलवे प्रोजेक्ट की एम डी थीं । 33 किलोमीटर लंबे लाइन बिछाने के क्रम में पेड़ों की कटाई हुई जिसका विरोध युवा नेता आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में सोशल एक्टिविस्ट समूहों ने किया। अश्विनी भिडे टस से मस नहीं हुई और उसने स्पष्ट कर दिया कि मेट्रो रेलवे से ट्रैफिक सुविधाजनक हो जाएगा और स्वत: प्रदूषण कम हो जाएगा।
चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे सी एम बने और अपने पुत्र आदित्य ठाकरे की ज़िद पर सबसे पहला ट्रांसफर अश्विनी भिडे का हुआ और उनकी कहीं पोस्टिंग भी नहीं कर के वेटिंग फॉर पोस्टिंग में रखा गया।
फिर कोरोना आ गया ।जब मुंबई में हाहाकार मचा तब एक टास्क फ़ोर्स बनाया गया और सारे सीनियर आईएएस पदाधिकारियों ने कहा कि अश्विनी भिडे को इस टास्क फोर्स में लाया जाए। आदित्य ठाकरे ने मुंह फुला लिया लेकिन मरता क्या न करता?
अश्विनी भिडे ने मुंबई महानगर पालिका में योगदान दिया और मुंबई के सबसे गंभीर इलाके धारावी को चुनौती के रूप में स्वीकार कर लिया
आज धारावी में स्थिति नियंत्रण में है। मात्र 166 लोग संक्रमित बचे हैं। यह सब इस शानदार पदाधिकारी के प्रयासों से संभव हुआ है
कोरोना वारियर्स को सलाम