#बौद्धिक_गुलामी.....
हमने बचपन में स्कूली पाठ्यपुस्तक में एक पाठ पढ़ा था, अब्बू खां की बकरी ...... पूरे पाठ में यही दिखाया गया, अब्बू खाँ अपनी बकरी से कितना प्यार करते है, बच्चों जैसा रखते है !!...
अंत मे बकरी का सामना घास चरते हुए , जंगल मे शेर से हो जाता है ...... जहाँ अब्बू खां की निडर बकरी सिंग मार मारकर शेर को भागने पर मजबूर कर देती है !!...
पूरी कहानी अब्बू खां और बकरी के पवित्र रिश्तों पर केंद्रित थी !!...
मित्रो तब तो हम बच्चे थे समझ न सकें कांग्रेसी,वामपंथियों की चाल ...... इन्होंने किस तरह हमे वेबकूफ बनाया !!...
अब्बू ख़ाँ का सच हमसे छुपाया !!...
हमे तो कल तक यही लगता था, की एक वर्ग विशेष बकरियों से बहुत प्यार करता है, बच्चों जैसा ख्याल रखता है ........ गलत काम तो कर ही नही सकता !!...
क्योंकि हमारे जेहन में इन वामपंथियों के पाठ्यक्रम ने कुछ और बैठा रखा था !!...
सच कहें तो, हिन्दुओ को इन कांग्रेसी, वामपंथी विचारकों ने वेबकूफ बनाए रखा !!...
हमे #बौद्धिक_गुलाम बनाए रखा !!..
नही तो क्या वजह थी जो हमे स्कूलों, कालेजो में हिन्दू कुप्रथा, कुरीतियों के बारे में तो पढ़ने को मिला .......... किँतु अन्य धर्म की नही !!...
हम सबने सती प्रथा, घूँघट प्रथा, छुआछुत सभी के बारे में पढ़ा !!...
परन्तु बुर्का ( घूँघट जैसा ही है ), हलाला, तीन तलाक, मुताह, मयस्सर, कन्फेंशन आदि कुरूतियों के बारे में नही पढ़ा , क्यों ??..
हमने बाल प्रथा पढ़ा, लेकिन एक धर्म मे मासिक चक्र की शुरुआत को ( 14 साल ) बालिग मानकर शादी करने की बाल प्रथा को नही पढ़ा, क्यों ??..
वामी विचारकों, बुद्धिजीवियो, पूर्व सरकारों ने हमे अंधेरे में रखा !!...
सिर्फ हिन्दू धर्म को नारी विरोधी, अंधविश्वास, ढकोसला बताया !!...
हमे अन्य धर्म के अंधविश्वास से दूर रखा, या यूँ कहे जानबूझकर उनकी कुरीतियों को ढांककर रखा !!...
मानवता के नाम पर कलंक छुआछुत सिर्फ हिन्दू धर्म मे बताई गई .......... किँतु चुस्लिम की अरजल, अशरफ छुआछुत छुपा ली गई !!..
वर्ण को रंग मानकर आर्य, अनार्य में भेद किया गया ........ किन्तु ईसाई धर्म में मौजूद श्वेत, अश्वेत रंगभेद को छुपा लिया गया !!...
Ncrt की इतिहास पुस्तको में आपको पेघम्बर, यीशु सब ईश्वर मिलेंगे ........... किन्तु सनातन का कोई नही !!...
अन्य धर्मों के महापुरुषों का विवरण उनकी धार्मिक किताबो के आधार पर इतिहास में लिख दिया गया !!...
किन्तु राम कृष्ण के लिए इतिहासकारों को शिलालेख चाहिए , जबकि वाल्मीकि रामायण, गीता मौजूद थी !!..
अकबर का पूरा इतिहास अबुल फजल की आईने अकबरी किताब से लिख दिया गया .........
किँतु जायसी की पद्मावत महाकाव्य के वाबजूद पद्मावती काल्पनिक ही रही !..
अकबर महान, किन्तु समुद्रगुप्त, पृथ्वीराज मात्र एक राजा बनकर रह गए !! ...
आर्य बाहरी, किँतु बाहरी आक्रमणकारी मुगल इसी मिट्टी का अंश हो गए !!..
भारत मुगलो और अंग्रेजो दोनो का गुलाम रहा, लेकिन खलनायक सिर्फ अंग्रेज बताए गए, मुगल महान हो गए !!...
बहुत बेवकूफ बनाया हमे , इन विधर्मियो ने शिक्षा के नाम पर !!...
जो जितना ज्यादा पढ़ा वो उतना धर्म विरोधी बनता गया ......... गर उसकी जड़े गहरी न हो.
( में सबकी बात नही कर रहा, ज्यादातर ऐसे है, सकारात्मक रूप से ले ) !!...
समझिए इनकी चालो को !!..
"शिक्षा को हथियार बनाए" न कि "शिक्षित होकर खुद इनके हथियार बन जाए" !!...
साभार
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